पिता ने पुत्र
को उपदेश दिया
जीवन का
सन्देश दिया
बेटा, काम कुछ
ऐसा कर जाना
दुनिया की यादों
में बस जाना
पशुवत जीवन तो
सब जीते हैं
ज़हर का घूँट
तो सब पीते हैं
तुम राम -सा
जीवन जी जाना
नाम अपना रौशन
कर जाना
अब पुत्र ने
चिंतन- मनन किया
राम के जीवन का
अवलोकन किया
इक गहन चिंता
में डूब गया
आज के युग में
कहाँ से लाउँगा
भारत- सा
त्यागी भाई
लक्षमण -सा
आज्ञाकारी भाई
सीता हर किसी को
मिला नहीं करती
राम अगर बन जाऊँगा
केकैयी तो बहुत
मिल जाएँगी पर
कौशल्या- सी माँ
कहाँ से लाऊँगा
जहाँ माँ ही
स्वार्थ की खातिर
बेटो की बलि
चढ़ा देती है
पत्नी भी प्रेमी
के साथ
भाग जाती है
जन्म भर का बंधन
इक पल में
भुला देती है
भाई ही भाई का
गला उतार देते हैं
जहाँ पग -पग पर
मर्यादाएँ टूटा करती हैं
कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम
बन पाऊँगा
कैसे राम- सा जीवन
जी पाऊँगा
बहुत चिंतन -मनन के बाद
पुत्र निष्कर्ष पर पंहुचा
सिर्फ नाम ही तो करना है
लोगों के ज़ेहन में
अपनी छवि अंकित
ही तो करनी है
काम ही तो
ऐसा करना है
जिससे नाम
रौशन हो जाये
राम बनना आसान
नहीं इस युग में
इसलिए वो
"रावण"बन गया
सत्य वचन ... जो गया लंका, वही बन गया रावण ...
जवाब देंहटाएंआपकी रचना अच्छी है !
Vandana ji sach baat keh di...waise bhi bhale hokar bhi pareeksha hi deni padti hai...Ravan to ish ke haantho mara...
जवाब देंहटाएं"बहुत चिंतन मनन के बाद
जवाब देंहटाएं...................रावण बन गया "
वन्दना जी, आपने हमारे बोलने लायक कुछ छोड़ा ? बहुत खूब !
कटु यथार्थ!
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम| कैकेई तो बहुत मिलेंगी कौशल्या मिलना मुश्किल है |सीता कहाँ मिलेगी आज कल पत्नियां तो भाग जाती है| भरत कहाँ से मिलेगा आज कल तो भाई का गला भाई काट रहा है जब केवल नाम ही करना है तो राम क्यों बना जाए रावण क्यों न बना जाये .आधुनिक पीढी और वर्तमान विचार धारा पर सीधा कटाक्ष
जवाब देंहटाएंराम बनना आसान नहीं इसलिए रावण बन गया ....
जवाब देंहटाएंसच राम बनना आसान कहाँ होता है ...!!
kuchh had tak sahi bhi hai.. achchhi kavita ka sampreshan kiya. aabhar
जवाब देंहटाएंvaise Ram isliye Ram nahin the ki unke sath Laxman, Bharat ya Sita theen, balki ye sab unke sath isiliye the ki wo Ram the... :)
जवाब देंहटाएंsahi kah rahe hain deepak ji
जवाब देंहटाएंbas wo raam hi to koi banna nahi chahta aaj .........kaun maryada mein jeena chahta hai........kise aaj bandhan sweekar hain?raam banna aasan nahi hai.
beshak bahot khoob alfaaz rakam kiye hai
जवाब देंहटाएंbeshak bahot khoob alfaaz rakam kiye hai
जवाब देंहटाएंBas ik aah nikalti hai...
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति........... सारगर्भित
जवाब देंहटाएंराम बनना आसान
जवाब देंहटाएंनहीं इस युग में
इसलिए वो
"रावण"बन गया
राम बनने के लिये अनेक शर्तें और शायद अनेक पराकाष्ठाएँ जो हैं
बेहतरीन
bahut khoob..........
जवाब देंहटाएंbahut badiya sacchai se ikdam kareeb badhai
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना ।। साधुवाद।।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुती .....
जवाब देंहटाएंआपकी रचना बहुत ही बढ़िया सन्देश देती है!
जवाब देंहटाएंअभिनव पाठ पढ़ाती हुई इस रचना के लिए बधाई!
वाह सार्थक भावाभिव्यक्ति साधुवाद
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंbadhai is ke liye aap ko
वाह.....नाम ही तो करना है....अब पुत्र की भी तो बहुत बड़ी समस्या थी....फिर भी उसने आज्ञाकारी बन दिखाया....
जवाब देंहटाएंकरारी चोट करती अच्छी रचना
ओह क्या कहूँ निश्बद कर दिया है आपने इस शानदार रचना से ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार .... और सच को उजागर करती.... यह रचना दिल को छू गई....
जवाब देंहटाएंये उसने अच्छा नहीं किया।
जवाब देंहटाएंरचना अच्छी जा रही थी, मगर कुछ कमी सी खटकती है, कुछ घुमाव या कुछ कविता की कमी लगी मुझे और जिस तंज़ के स्तर पर जा रही थी, वैसा अन्त नहीं हुआ।
सपाट-बयानी भी अगर की जाए, तो वो एक झटका दे, 'हॉण्ट' करे।
मैं बस खुले मन से अपनी राय व्यक्त कर रहा हूँ, क्योंकि मुझे इससे और - बहुत अच्छी रचना की आशा लग गयी है आपसे।
sahi raavan bann gaya ye toh...
जवाब देंहटाएंbahut hee uttam rachna vandana ji...
bilkul sach kaha vandana ji....
जवाब देंहटाएंachhi rachna ke liye badhai.......
regards
http://i555.blogspot.com/
idhar ka v rukh karein......
wah ji wah
जवाब देंहटाएंkya baat hai
khooob likha hai
aaj ka katu saty to yahi hai
Vandana jee, bahut khub!! aapne to naye yug ki ramayan hi likh di.......:)
जवाब देंहटाएंआज तो सब रावण बनने की तैयारी कर रहे हैं .... काश कोई राम भी बन सके .. पर सच कहा आसान नही है ...
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