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बुधवार, 22 जुलाई 2009

ठहरा हुआ इंतज़ार ......................एक प्रेम कथा

कल की सी बात लगती है
याद है तुम्हें प्रिये
तेरा आना जीवन में मेरे
ज्यों बहारों ने डेरा डाला हुआ हो
छुप -छुपकर कनखियों से
खिड़की के झरोखों से वो तकना मुझे
चांदनी रात में घंटों इंतज़ार करना
सिर्फ़ एक बार देखने की चाहत में
वो पल पल का हिसाब रखना तेरा
यादों के तारों को झंझोड़ जाता है
कभी प्रेम का इजहार किया नही
फिर भी प्रेम के हर रंग को जिया
अंखियों के मौन निमंत्रण को
मौन में ही संजो लिया
तन की प्यास कभी जगी ही नही
मन के प्यासे प्रेमी हम
प्रेम - वंदन में पगे रहे
ख्वाबों की चादर बुनते रहे
प्यार के मोती टांकते रहे
मेरे जिस्म , मेरे अधरों ,
मेरे गेसुओं पर कोई
कविता कभी लिखी ही नही
मगर फिर भी बिना कहे
प्रेम के हर अहसास से गुजरते रहे
इन्द्रधनुषी रंगों से प्रेम रंग में रंगते रहे
कल की सी बात लगती है
याद है तुम्हें प्रिये
फिर एक दिन तुम
मेरे प्रणय - निवेदन को भुला
मातृभूमि की पुकार पर
अपने विजय-रथ पर सवार हो
अपने हर ख्वाब को ,उस पर टंगे मोतियों को
चांदनी रात की परछाइयों को
यादों के दामन में संजो कर
देशभक्ति का कफ़न उढाकर चले गए
और मैं ..............................
तेरे विरह की अग्नि में जलती रही
पर तेरे पथ की न शिला बनी
पल - पल युगों सा निष्ठुर बन गया
कभी चांदनी रात में
तारावली की अनन्य घाटी में
तेरे दीदार को तरसती रही
कभी पतझड़ सी मुरझाती रही
तेरे आने की आस में
दिल को मैं समझाती रही
और फिर एक दिन .............
वो मनहूस ख़बर आई
जीवन का हर रंग उडा ले गई
ये कैसे हो सकता है !
जब धड़कन चल रही हो
तो दिल कैसे रुक सकता है
जब साँस मेरी चल रही हो
तो मौसम कैसे बदल सकता है
मैं न समझ पाई कुछ
तेरे इंतज़ार में इक उम्र गुजार दी मैंने
ज़माने ने 'बावरी' नाम दे दिया
और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया
अब दर-दर भटकती फिरती थी
सिर्फ़ तुझे खोजती फिरती थी
तेरे ही नाम की माला जपती थी
कभी तेरे ख्यालों से खेलती थी
कभी तेरी याद से उलझती थी
सीने के दर्द को मैं
ज़हर बनाकर पीती थी
मगर फिर भी
साँस गर मेरी चलती है तो
मौजूद है तू कहीं न कहीं
बस इसी आस में जीती थी
सदियाँ गुजर गयीं यूँ ही सूनी
कोई भी सावन मेरा
कभी न हरा हो पाया
और पतझड़ ने जीवन में
अपना डेरा लगा लिया
और उम्र के एक पड़ाव पर आकर
जब आंखों के सतरंगी सपने सारे
चूर - चूर हो चुके
आस का दामन भी जब
लहू सा रिसने लगा
तब एक दिन अच्चानक तुमने
मेरे जीवन में ठहरे हुए
अमावस को दूर करते हुए
अपनी मोहब्बत की चांदनी बिखेरते हुए
मेरे विश्वास को अटल करते हुए
बरसों की प्रीत को
अपने प्रेम की चादर उढाकर
मेरी बरसों से सूनी मांग में
अपने अनुपम प्रेम का सिन्दूर लगाकर
मुझे अपनी प्राणप्रिया बनाकर
हमारे चिर-प्रतीक्षित प्रेम को अमर कर दिया

27 टिप्‍पणियां:

  1. kya kahun , abhi shabd nahi hai kuch kahne ke liye.....

    phir aaunga ...kuch kahne ke liye ...ye kavita tareef ke sansaar se upar hai ..

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  2. bahut behtareen rachna hai

    aap ka blog padhne ke liye mujhe bahut mushkil hoti hai jaise hi aap ka page kholta hoon internet ke zariye ik box aata hai aur phir us par diya gaya ok ka batan dabate hi disply khatam ho jaata hai ..aap likhti itna achcha hain ki kisi tarah se ruk ruk kar padhta hoon
    abhi to aasani se ho gaya hai par aksar pareshan karta hai ....

    bahut achcha laga ye rachna padh kar

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  3. अदभुत प्रेम कथा है ..बांध लिया इस ने अपने लफ्जों से ...बहुत सुन्दर भाव है इस के

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  4. यादों से सजी, प्रेम में पगी,
    आत्म-कथा अच्छी लगी।।
    बहुत बधाई।

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  5. क्या कहूँ.......मंत्रमुग्ध कर लिया आपकी इस पावन प्रेम कविता ने....बहुत बहुत सुन्दर......आभार.

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  6. ek behad premmay prem katha ........jisame thosi der ke liye kho gaye ......bahut hi sundar

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  7. बहुत भावमय कथा बधाई शब्द संयोजन अच्छा है

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  8. बेहतरीन शब्द संयोजन, अल्फाजों ने काफी प्रभावित किया

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  9. वंदना आप की यह कविता बहुत ही खूबसूरत है....प्यार के अहसास से लबरेज़...मोहब्बत से भरी हुई...सच में आप बहुत प्यारा लिखते हो.....डॉ.अमरजीत
    www.amarjeetkaunke.blogspot.com

    09142-31698

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  10. बहुत सुन्दर भाव ली हुई रचना.

    सचमुच देश की सीमाओ पर लडते किसी स्त्री के मन की व्याथाओ का बहुत सुन्दर चित्रण.

    बधाई

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  11. pyaar kee isse achhi aur kya varnan hogi... man ko tripti mil gayi...

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  12. बहुत ही खूबसूरत ख्याल हैं आपकी रचना में... थोडा सा और परिश्रम कर इसमें आप लय डाल पायें तो सोने पर सुहागा होगा अन्द प्रवाह भी आयेगा.

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  13. इतने लाजवाब दिल को छूने वाले ख्याल, प्यार के एहसासों में डूबी कमाल की रचना है

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  14. जब साँस मेरी चल रही हो
    तो मौसम कैसे बदल सकता है
    ========
    एहसास की इस सुन्दर कथा की अंतर्कथा अत्यंत प्रभावी है. आपकी लेखनी मे अद्भुत शक्ति है
    वाह

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  15. बहुत ही खूबसूरत लगी आपकी प्रेम की अभिव्यक्ति..
    अद्भुत...सजीव...अनवरत....

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  16. वन्दना जी,

    अद्भुत !!!

    प्रेम रस में डुबो ले गई रचना।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  17. बहुत ही बेहतरीन लिखा है। एक ही रचना में कई भाव कह दिये आपने। और लय भी बनी रही। सच में कमाल का लिखा है।

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  18. ठहरा हुआ इंतज़ार ......एक प्रेम कथा

    इतने कम शब्दों में उम्दा प्रस्तुति.
    साधुवाद.

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  19. vandana , maine kaha tha ki baad me aakar is par tippani doonga .. lekin ab bhi padha to sochta hoon ki is par kya tippani doon , ye rachna apne aap me hi ek poornta hai .. tippani dekar ise main aur kya banaun... jaisa ki phale bhi kaha hai ki aapki lekhni ab behatar hote jaa rahi hai , pls focus on more creative writing and better expressive and deeper words.....

    is rachna ke liye ... salaam..

    namaskar

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  20. kavita acchi hai...

    ...bahut acchi...

    ...par kahin kahin 'gadya, kahani ya nibhand' ka roop leti hui si lagti hai...

    ...asha karta hoon anytha na leengi.

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