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सोमवार, 20 जुलाई 2009

मचलते अरमान

दोस्तों
जो लिखने जा रही हूँ उसके लिए मैं रूपचंद्र शास्त्री जी की शुक्रगुजार हूँ । मैं इस पोस्ट में १-२ जगह अटक गई थी तो उनकी सहायता से ये पोस्ट पूरी हो पाई। मैं शास्त्री जी की आभारी हूँ उन्होंने अपना कीमती समय दिया ।


नूतन नवल कुसुम खिले हैं
अमल धवल रंग में मिले हैं
सावन की रिमझिम फुहारों सा
मन मयूर भी नृत्य किए है
किसी के आने का पैगाम लिए हैं
जीवन को मदमस्त किए है
जागृत में भी स्वप्न दिखे है
मौसम भी अलमस्त किए है
बादल बिजुरिया चमक रहे हैं
अरमान दिलों में मचल रहे हैं
किसी के साथ को तरस रहे हैं
तन मन को भिगो रहे हैं
न जाने कैसे फंद पड़े हैं
उलझ उलझ का सुलझ रहे हैं
मन का मीत आज आ रहा है
इसीलिए हम संवर रहे हैं

25 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सच कहा..... जब मन का meet आने को हो.........तो हर cheej मस्त हो जाती है, maachne lagti है, मौसम भी khushgawaar हो जाता है....... लाजवाब लिखा है

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  2. वन्दना जी!
    मेरा नाम देने की औपचारिकता क्यों की।
    भाव तो आपके ही हैं।
    बस अब तो लिखने के लिए एक ही शब्द बचा है,
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. वन्दना जी!
    मेरा नाम देने की औपचारिकता क्यों की।
    भाव तो आपके ही हैं।
    बस अब तो लिखने के लिए एक ही शब्द बचा है,
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह,
    वो गीत याद आ रहा है:
    ज़रा बिखरी लटे सवार. लूं ...............जरा मोर से पंख उधार लू .......!!

    जवाब देंहटाएं
  5. मन का मीत आज आ रहा है
    इसीलिए हम संवर रहे हैं
    फिर तो संवरना लाजिमी है.
    बहुत खूब

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  6. बहुत ही सुन्दर वन्दना जी ........ऐसे ही लिखते रहे .

    जवाब देंहटाएं
  7. मन का मीत आज आ रहा है
    इसीलिए हम संवर रहे हैं......nice one...

    जवाब देंहटाएं
  8. जीवन को मदमस्त किए है
    जागृत में भी स्वप्न दिखे है
    मौसम भी अलमस्त किए है
    behad khubsurat

    जवाब देंहटाएं
  9. सावन की फुहारों में
    मौसम की बहारों में
    मेरा वो आने वाला है
    मन बहलाने वाला है

    उसका ही छाया जादू है
    तन-मन भी बेकाबू है
    बादल पागल बरस रहा है
    मिलने को मन तरस रहा है

    उलझ उलझ सुलझ रही हूँ
    सुलझ सुलझ उलझ रही हूँ
    जाने क्यों मैं संवर रही हूँ
    संवर संवर के निखर रही हूँ.
    शायद प्यार यही!!!
    शायद प्यार यही है!!!


    आपकी रचना का यह प्रभाव है
    सुन्दर रचना !!!

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  10. सुन्दर रचना के लिये बधाई

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन रचना

    आभार/मगलभावनाओ सहीत
    मुम्बई-टाईगर
    हे प्रभु यह तेरापन्थ

    जवाब देंहटाएं
  12. नूतन नवल कुसुम खिले है,

    बहुत सुन्दर रचना वन्दना जी

    सादर
    राकेश

    जवाब देंहटाएं
  13. नूतन नवल कुसुम खिले है,

    बहुत सुन्दर रचना वन्दना जी

    सादर
    राकेश

    जवाब देंहटाएं
  14. नूतन नवल कुसुम खिले है,

    बहुत सुन्दर रचना वन्दना जी

    सादर
    राकेश

    जवाब देंहटाएं
  15. वाह... प्रेम-गीत !!!

    सजना है मुझे सजना के लिए....
    अच्छा लगा पढ़ कर....

    जवाब देंहटाएं
  16. wah ek baar phir wahi badiya rang main...

    मन मयूर भी नृत्य किए है
    किसी के आने का पैगाम लिए हैं

    ....jaisa ki maine pehle bhi kaha aap accha likhtein hain.

    जवाब देंहटाएं

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