पृष्ठ

मंगलवार, 14 जुलाई 2009

नदिया की रवानी अभी देखी कहाँ है

तूने नदिया की रवानी
अभी देखी कहाँ है
बहते पानी की मदमस्त जवानी
अभी देखी कहाँ है
बलखाती ,मदमाती , अल्हड नदिया की
लहरों से छेड़खानी
अभी देखी कहाँ है
लहरों के गीतों पर
उछलती नदिया की
अंगडाइयां अभी देखी कहाँ हैं
तूफानों के साये में
पलने वाली नदिया की
तूफानों को बहा ले जाने की अदा
अभी देखी कहाँ है
तूने नदिया की रवानी
अभी देखी कहाँ है

34 टिप्‍पणियां:

  1. वन्दना जी बहुत ही सुन्दर सकारात्मक भाव दर्शाती कवित के लिये बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. नदिया की मदमस्त रवानी,
    देख-देख हैरानी है,
    बलखाती अलमस्त जवानी,
    दो दिन में पिट जानी है।
    तूफानों के साये में,
    इठलाना अच्छी बात नही-
    सागर में मिल जाने पर,
    मस्ती सारी मिट जानी है।।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह......... नादिया का बलखाता इठलाता पानी बहूत कुछ कहता है.......... सुंदर रचना लिखी है उसी पानी को बाँध कर

    जवाब देंहटाएं
  4. एक बार खूब पानी बरस जाए बस। अच्छा लगा पढकर।

    जवाब देंहटाएं
  5. वन्दना जी,
    आप की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति और विचार विन्यास अनुपम है. सुन्दर और भाव गर्भित रचना, बधाई.

    दरिया की रवानी पर एक-दो प्रतिबिम्ब मेरे पास भी है,कभी "सच में"(www.sachmein.blogspot.com)पर आना हो तो नीचे दिये Link पर जाने का कष्ट करें.


    http://sachmein.blogspot.com/2009/03/blog-post_24.html

    http://sachmein.blogspot.com/2009/03/part-ii.html

    जवाब देंहटाएं
  6. वन्दनाजी
    'बलकाती,मदमाती अल्हड नदियॉ की
    लहरो से छेडखानी
    अभी देखी कहॉ।'

    आप द्वारा रचित इस कविता मे रोचकता व एक नई उमग बरकरार रही। आपकी रचनाओ को अब मै रोज यहॉ आकर पढ लेता हू। अच्छा लगता है। आपकी इस नई सृजनता के लिए मै आपका अभिवादन करता हू एवम बधॉई देता हू।



    आभार/मगलभावो के साथ
    मुम्बई टाइगर
    हे प्रभु तेरापन्थ खान

    जवाब देंहटाएं
  7. तूफानों के साये में
    पलने वाली नदिया की
    तूफानों को बहा ले जाने की अदा
    अभी देखी कहाँ है
    तूने नदिया की रवानी
    अभी देखी कहाँ है

    yah na hui ki baat.kavita apne aap mein khil ke rah gayi hai. badhaai!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  8. तूफानों के साये में
    पलने वाली नदिया की
    तूफानों को बहा ले जाने की अदा
    अभी देखी कहाँ है
    तूने नदिया की रवानी
    अभी देखी कहाँ है

    bahut sundar!

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचना
    खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  10. तूफानों के साये में,
    इठलाना अच्छी बात नही-
    सागर में मिल जाने पर,
    मस्ती सारी मिट जानी है।।

    bahut sundar!

    जवाब देंहटाएं
  11. वाकई में ये सच्चाई है.........
    सुन्दर रचना.........

    जवाब देंहटाएं
  12. नदी के तेवर को दर्शाती अच्छी कविता |abhar

    जवाब देंहटाएं
  13. नदी को फुर्सत नहीं कोई उसे देखे या नहीं बस उसे तो सागर मिलन की आस में दौड़ना ही है ..काश हम इंसान कुछ समज पाते इस प्रकृति ....

    जवाब देंहटाएं
  14. एक अच्छी रचना पढने को मिली -आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. वंदना जी,

    एक नई साहित्यिक पहल के रूप में इन्दौर से प्रकाशित हो रही पत्रिका "गुंजन" के प्रवेशांक को ब्लॉग पर लाया जा रहा है। यह पत्रिका प्रिंट माध्यम में प्रकाशित हो अंतरजाल और प्रिंट माध्यम में सेतु का कार्य करेगी।

    कृपया ब्लॉग "पत्रिकागुंजन" पर आयें और पहल को प्रोत्साहित करें। और अपनी रचनायें ब्लॉग पर प्रकाशन हेतु editor.gunjan@gmail.com पर प्रेषित करें। यह उल्लेखनीय है कि ब्लॉग पर प्रकाशित स्तरीय रचनाओं को प्रिंट माध्यम में प्रकाशित पत्रिका में स्थान दिया जा सकेगा।

    आपकी प्रतीक्षा में,

    विनम्र,

    जीतेन्द्र चौहान(संपादक)
    मुकेश कुमार तिवारी ( संपादन सहयोग_ई)

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया