तूने नदिया की रवानी
अभी देखी कहाँ है
बहते पानी की मदमस्त जवानी
अभी देखी कहाँ है
बलखाती ,मदमाती , अल्हड नदिया की
लहरों से छेड़खानी
अभी देखी कहाँ है
लहरों के गीतों पर
उछलती नदिया की
अंगडाइयां अभी देखी कहाँ हैं
तूफानों के साये में
पलने वाली नदिया की
तूफानों को बहा ले जाने की अदा
अभी देखी कहाँ है
तूने नदिया की रवानी
अभी देखी कहाँ है
वन्दना जी बहुत ही सुन्दर सकारात्मक भाव दर्शाती कवित के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंbahut achcha
जवाब देंहटाएंbehtreen.
जवाब देंहटाएंWAAH .....WAAH......WAAH
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंनदिया की मदमस्त रवानी,
जवाब देंहटाएंदेख-देख हैरानी है,
बलखाती अलमस्त जवानी,
दो दिन में पिट जानी है।
तूफानों के साये में,
इठलाना अच्छी बात नही-
सागर में मिल जाने पर,
मस्ती सारी मिट जानी है।।
बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंmere hisab se behtarin , jawab nahin
जवाब देंहटाएंवाह......... नादिया का बलखाता इठलाता पानी बहूत कुछ कहता है.......... सुंदर रचना लिखी है उसी पानी को बाँध कर
जवाब देंहटाएंachchi kavita..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya...
बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना
जवाब देंहटाएंएक बार खूब पानी बरस जाए बस। अच्छा लगा पढकर।
जवाब देंहटाएंवन्दना जी,
जवाब देंहटाएंआप की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति और विचार विन्यास अनुपम है. सुन्दर और भाव गर्भित रचना, बधाई.
दरिया की रवानी पर एक-दो प्रतिबिम्ब मेरे पास भी है,कभी "सच में"(www.sachmein.blogspot.com)पर आना हो तो नीचे दिये Link पर जाने का कष्ट करें.
http://sachmein.blogspot.com/2009/03/blog-post_24.html
http://sachmein.blogspot.com/2009/03/part-ii.html
वन्दनाजी
जवाब देंहटाएं'बलकाती,मदमाती अल्हड नदियॉ की
लहरो से छेडखानी
अभी देखी कहॉ।'
आप द्वारा रचित इस कविता मे रोचकता व एक नई उमग बरकरार रही। आपकी रचनाओ को अब मै रोज यहॉ आकर पढ लेता हू। अच्छा लगता है। आपकी इस नई सृजनता के लिए मै आपका अभिवादन करता हू एवम बधॉई देता हू।
आभार/मगलभावो के साथ
मुम्बई टाइगर
हे प्रभु तेरापन्थ खान
तूफानों के साये में
जवाब देंहटाएंपलने वाली नदिया की
तूफानों को बहा ले जाने की अदा
अभी देखी कहाँ है
तूने नदिया की रवानी
अभी देखी कहाँ है
yah na hui ki baat.kavita apne aap mein khil ke rah gayi hai. badhaai!!!!!!
बहुत सुंदर भाव हैं।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
तूफानों के साये में
जवाब देंहटाएंपलने वाली नदिया की
तूफानों को बहा ले जाने की अदा
अभी देखी कहाँ है
तूने नदिया की रवानी
अभी देखी कहाँ है
bahut sundar!
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंmeethe paani ki tarah is racha swaad chakhaa kahan hai......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
तूफानों के साये में,
जवाब देंहटाएंइठलाना अच्छी बात नही-
सागर में मिल जाने पर,
मस्ती सारी मिट जानी है।।
bahut sundar!
काबिलेतारीफ ज़ज्बा।
जवाब देंहटाएंगज़ब कर दिया जी !
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna...
जवाब देंहटाएंवाकई में ये सच्चाई है.........
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.........
नदी के तेवर को दर्शाती अच्छी कविता |abhar
जवाब देंहटाएंनदी को फुर्सत नहीं कोई उसे देखे या नहीं बस उसे तो सागर मिलन की आस में दौड़ना ही है ..काश हम इंसान कुछ समज पाते इस प्रकृति ....
जवाब देंहटाएंShaandar rachna hai. Badhaayi.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अच्छी बेहतरीन रचना !
जवाब देंहटाएंएक अच्छी रचना पढने को मिली -आभार
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंएक नई साहित्यिक पहल के रूप में इन्दौर से प्रकाशित हो रही पत्रिका "गुंजन" के प्रवेशांक को ब्लॉग पर लाया जा रहा है। यह पत्रिका प्रिंट माध्यम में प्रकाशित हो अंतरजाल और प्रिंट माध्यम में सेतु का कार्य करेगी।
कृपया ब्लॉग "पत्रिकागुंजन" पर आयें और पहल को प्रोत्साहित करें। और अपनी रचनायें ब्लॉग पर प्रकाशन हेतु editor.gunjan@gmail.com पर प्रेषित करें। यह उल्लेखनीय है कि ब्लॉग पर प्रकाशित स्तरीय रचनाओं को प्रिंट माध्यम में प्रकाशित पत्रिका में स्थान दिया जा सकेगा।
आपकी प्रतीक्षा में,
विनम्र,
जीतेन्द्र चौहान(संपादक)
मुकेश कुमार तिवारी ( संपादन सहयोग_ई)
बहुत बढिया!!
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna hai...
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