पृष्ठ

बुधवार, 4 जुलाई 2007

ख्वाब

मैंने एक ख्वाब देखा है ,चाहतों का बाज़ार देखा है,
यह कौन सी मंज़िल है,जो मिल कर भी नहीं मिलती ,
हर तरफ एक खामोशी सी छाई है , दर्द है तनहाई है,
यह कौन सा मुकाम है जिन्दगी का, जहाँ कुछ नहीं मिलता ,
सिर्फ ख्वाबों को टूटते देखा और जिन्दगी को हाथ से फिसलते देखा ,
अब इस दौर मैं कैसे ख्वाबों को सजाऊँ ?
किसे आवाज़ दूं और किसे बुलाऊं ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. Oi, achei teu blog pelo google tá bem interessante gostei desse post. Quando der dá uma passada pelo meu blog, é sobre camisetas personalizadas, mostra passo a passo como criar uma camiseta personalizada bem maneira. Se você quiser linkar meu blog no seu eu ficaria agradecido, até mais e sucesso. (If you speak English can see the version in English of the Camiseta Personalizada. If he will be possible add my blog in your blogroll I thankful, bye friend).

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया