पृष्ठ

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

मैंने चिंताओं को पकते देखा है 
वक्त की डाल पर 
किसी खराश सा 
जो परिवर्तित हो 
बन जाती है अंततः 
चिता की लकड़ी 
और 
धूं धूं कर जलना जिनकी नियति 

1 टिप्पणी:

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया