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बुधवार, 26 सितंबर 2018

मुद्दा ये है, कि हम प्यार में हैं

न जाने किसके अख्तियार में हैं
मुद्दा ये है, कि हम प्यार में हैं

वो कह दें इक बार जो हमको अपना
हम समझेंगे उनके दिल-ओ-जान में हैं

अब पराई अमानत है न परायेपन का भरम
कमाई है दिल की दौलत बस इस गुमान में हैं

नज़र तुम्हारी उठे या हमारी गिरे
मुद्दा अब अंखियों के ईमान में है

नज़र भर देखने की मोहलत किसे
बंदगी तो अब रुख के हर आयाम में है




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