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गुरुवार, 6 जुलाई 2017

चल अकेला

साथ कब किसी का होता है 
सब अकेले ही चलते हैं 
ये तो मन के भरम होते हैं 
वो मेरा है 
वो मेरा अपना है 
वो मेरा प्रियतम है 
जब भीड़ में भी तन्हाई डंसती है 
तब पता लगता है 
किस साथ के भरम में 
उम्र के शहतूत गिर गए 
वो जो चिने थे सदियों ने 
सारे पर्वत पिघल गए 
फिर इक नया सफ़र शुरू होता है 
चल अकेला चल अकेला चल अकेला का सिद्धांत मुखर होता है 

क्योंकि 
अंतिम सत्य तो यही है 
अकेले आगमन होता है 
और अकेले ही गमन 
तो कैसे सम्भव है 
बीच में काफिलों का बनना 
बस इस सबब को समझते समझते 
टूट जाती हैं सारी शाखें वक्त के वृक्ष से 
और उस पल का अकेलापन 
काफी होता है उम्र भर को तोड़ने को 
और दूसरे की थाली से रोटी खाने से कब किसी का पेट भरा है 
जब तक कोई खुद न उस दोज़ख से गुजरा है 
अपने हिस्से के आस्माँ को जिसने खुद ना निरखा है 
कैसे सम्भव है 
रेगिस्तान की रेत से पानी उलीचना ?

खुद के मरे बिना कब स्वर्ग मिला करता है 
आश्वासनों की तहरीरों पर ना जीवन गुजरा करता है 
जब समझ आता है तब तक 
देर की देहरियों पर सांझ उतर आती है 
और रात्रि के अंतिम पड़ाव से पहले 
अकेलेपन के जंगलों में फिर कोई सूरजमुखी नहीं खिला करती 
जानना जरूरी है ............
अकेलेपन की त्रासदी को भोगने से पहले 
जानना जरूरी है …………चल अकेला के सिद्धांत को 

#हिन्दी_ब्लॉगिंग

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-07-2017) को "न दिमाग सोता है, न कलम" (चर्चा अंक-2659) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. एकला चलो का सिद्धांत हमें बार-बार प्रेरित करता है ,उद्वेलित करता हमारा पथ -प्रदर्शन करता है। सुन्दर रचना।

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  3. गहन दार्शनिक भाव .... जीवन भर ये सिद्धांत नहीं समझ पाते ...

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  4. बहुत ही दार्शनिक भाव और सही कहा अकेला चलो का सिद्धांत, बहुत शुभकामनाएं.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  5. जिंदगी की राहों पर इंसान को अकेले ही चलना पड़त है। सुंदर प्रस्तुति।

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  6. जीवन ताना बाना समझना आसान नहीं, गहरे भाव लिये सुंदर रचना।

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