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शनिवार, 1 जुलाई 2017

हम सब जुनैद हैं

मैं मर चुकी हूँ
हाँ , चुक चुकी है
मेरी खोज
मेरी अंतर्वेदना
मेरा मन

नही रही चाह किसी खोजी तत्व की
एक गूंगा मौसम फहरा रहा है
अपना लम्पट आँचल
और मैं हूँ गिरफ्त में

जीने की चाह न बचना
आखिर है क्या ?
मौत ही तो है ये भी
साँस लेना जिंदा होने का सबूत नहीं

राम रोज बरस रहा है धरती पर
कभी बरखा बन कर तो कभी कहर बन कर
मासूमों का क़त्ल
मेरे समय का शून्यकाल है
संवेदनाएं पक्ष विपक्ष कब देखती हैं
शून्य चित्त से नहीं किये जाते आह्वान

समय दरोगा बन कर रहा है शासन
हुक्म उदूली करना पर्याय है विद्रोह का
देश बन गया है कत्लगाह
जुनैद हैं यहाँ सभी
हम सब जुनैद हैं
मारे जा चुके हैं
तो बताओ कैसे कहूँ - जिंदा हूँ मैं ?

मगर "राम" जिंदा हो गया
अपने समय के वीभत्स स्वरुप पर अट्टहास करता हुआ
अल्लाह की सिसकियों से बोझिल है सारी कायनात
जुनैद का मरना जरूरी है शान्ति पाठ के लिए ....

आज मौत मेरा स्वाभाविक अवलंबन है
और विद्रोह मेरा गुनाह ...

#हिंदी_ब्लोगिंग

22 टिप्‍पणियां:

  1. मन के भावों को बखूबी अभिव्यक्त किया है ...

    देख पा रहे हैं हम
    वही जो हमें दिखाया जा रहा है
    हमारी संवेदनाओं को
    अच्छे से भुनाया जा रहा है .

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 02 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सटीक कहा आपने. यह सवाल बन गया है.

    #हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
    रामराम
    ०२३

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  4. बहुत खूब ब्लॉग वापिसी की बधाई

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  5. आभार आपका ... अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें .....

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  6. जुनैद का मरना जरूरी है शांति पाठ के लिए ....

    एक सशक्त कविता ...

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  7. भावातिरेक साफ़ छलक रहा है...

    कविता में मन के भाव उभरने भी चाहिए

    साधुवाद

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  8. मासूमों का क़त्ल ,मेरे समय का शून्यकाल

    सच में लगता है ऐसे समय हम कितने लाचार हैं ,जहां ये शून्य के सिवा कुछ और हो भी नहीं सकता...

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  9. बहुत ही सुन्दर सशक्त एवं सार्थक प्रस्तुति.....

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  10. परिवेश को लक्षित कर वर्तमान माहौल पर लिखने को मचल पड़ी है आपकी लेखनी। गहराई तक हमारे अंतःकरण को झकझोर रही है आपकी सामयिक रचना। उत्कृष्ट भावों का प्रस्फुटन व्यापक सन्देश लिए हुए।

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  11. भावपूर्ण अभिव्यक्ति... शुभकामनाएं

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  12. अगले जनम अब जुनैद न कीजो। बहुत बहुत मुबारक।

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  13. आप का बागीपन ....आप को दूसरों से अलग करता है ...
    डटे रहिये ....शुभकामनायें |

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  14. waah bahut khoob atyant manmohak rachna padhkar man bhavvibhor ho gaya

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