पृष्ठ

बुधवार, 1 जुलाई 2015

कहीं बच्चे भी कभी बड़े होते हैं ?........1

उड़ ही जाते हैं पंछी घोंसला छोड़ 
जब उग आते हैं पंख 
और निर्भरता हो जाती है ख़त्म 

छोड़ चुका है पंछी अब नीड़
उड़ने दो उसे 
भरने दो उसे परवाज़ 
तोलने दो उसे अपने पंखों को 
कि 
नापने को धरती और आकाश की दूरियां 
जरूरी होता है 
खुद उड़ान भरना 
अपना आकाश खुद बनाना

ये समय की माँग है 
तो मानना ही पड़ेगा इस सत्य को 
' बच्चे बड़े हो गए हैं  '
मगर क्या सच में ?

विश्वास और अविश्वास की गुल्झट सुलझाते हुए 
अन्दर की माँ पसोपेश में है 
कहीं बच्चे भी कभी बड़े होते हैं ?
वो तो माँ के लिए उम्र भर बच्चे ही रहते हैं 
फिर कैसे करूँ इस कटु सत्य को स्वीकार ?

7 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा अपने बच्चे कभी बड़े नहीं होते हम चाहें कितने भी बड़े क्यों हो जाएँ एक बच्चा अपने अंदर छुपाये रहते हैं

    जवाब देंहटाएं
  2. सच है बच्चे हमेशा ही मां बाप कि लिये बच्चे ही रहते है

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2024 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. ये सत्‍य है, सबको स्‍वीकारना ही होगा

    जवाब देंहटाएं
  5. दूर जाते बच्चों के लिए माँ की तड़प व्यक्त करती कविता ,अच्छी है

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया