कुंवारी हसरतों के अन्जाने लिहाफ ओढ़कर
वो देखो बैठी है इक लड़की गली के मोडपर
इश्क प्यार मोहब्बत लफ़्ज़ों से
खेलेगी खिलखिलाएगी मुस्कुराएगी
फिर काँच सी जब बिखर जायेगी
हर टूटे हिस्से में अपना ही अक्स पाएगी
बस यूं उसकी हर हसरत कुंवारी ही रह जायेगी
कहीं टूटेंगे कुछ शाख से गुंचे
कहीं बिखरेंगे आरजुओं के कंचे
वो समेट समेट सहेजेगी आँचल में
वो फिसल फिसल जायेंगे रेत की मानिंद
इक रात की तफसील नहीं है ये
उम्र के जोड़ों पर खुदे मिलेंगे किस्से
बरसातों में भीगे बिना भी
रूह में भीगे मिलेंगे हिस्से
ऋतु के बदलने से नहीं बदलते मौसम
यूं उसे रोज तकलीफ दिया करेंगे किस्से
एक दिन की खता नहीं थी जो
उम्र के उस पायदान पर रुके मिलेंगे
अधूरे प्यार की अधूरी दास्ताँ बन
उम्र से इश्क किया करेंगे वो हिस्से
कुंवारी हसरतों के अन्जाने लिहाफ ओढ़कर
वो देखो बैठी है इक लड़की गली के मोडपर
वो देखो बैठी है इक लड़की गली के मोडपर
अति सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंhttp://prathamprayaas.blogspot.in/-सफलता के मूल मन्त्र
आज 31/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत कमाल की पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत सटीक और भावपूर्ण...लाज़वाब अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएं