ये हैं कुछ झलकियाँ विश्व पुस्तक मेले की जहाँ मैं , अपने प्रथम संग्रह " बदलती सोच के नए अर्थ " और अपने सभी मित्रों के साथ ……… तबियत खराब होने की वजह से देर से आपके सामने आ पायी हूँ …………एक सुखद अहसास से भरपूर समय रहा जहाँ जाने कितने जाने और अनजाने मित्रों से मिलना हुआ मानो दूरियाँ सिमट गयी हों और एक जगह केन्द्रित हो गयी हों
कुछ झलकियाँ और आपकी प्रतीक्षा में हैं ………सभी मित्रों से मिलना, उनके द्वारा उत्साहवर्धन किया जाना और उनके द्वारा पुस्तक खरीद कर पढे जाने की ज़िद ने इस बार पुस्तक मेले को एक नया आयाम दिया फिर चाहे वो बडे बडे साहित्यकार ही क्यों ना हों जो बताता है कि एक नयी परम्परा की तरफ़ आज की पीढी ने एक नया कदम रख दिया है और कोई शक नहीं कि आने वाला कल कविता के भविष्य को उज्ज्वलता प्रदान करेगा
और अब सबसे जरूरी बात :
जिसके अपरिमित सहयोग के बिना मेरी बुक आपको इस बार के पुस्तक मेले में दिख ही नही सकती थी तो वो है बेहद सहज , सरल और निश्छल हिंद युग्म के संचालक शैलेष भारतवासी जिसको शुक्रिया अदा करने के लिये मेरे पास शब्द ही नहीं हैं क्योंकि मेरे प्रकाशक का तो स्टाल इस मेले में था नही और ऐसे में किसी और प्रकाशक की पुस्तक को अपने स्टाल पर स्थान देना शैलेष के अद्भुत और बडे दिल वाले व्यक्तित्व को ही दर्शाता है और मेरे पास ऐसे कोई शब्द नहीं जिनसे मैं शैलेष का शुक्रिया अदा कर सकूँ बस उसके लिये हर पल दिल से सिर्फ़ और सिर्फ़ दुआयें ही निकल रही हैं और चाहती हूँ मेरे सभी दोस्त उसके लिये दुआओं का ये सिलसिला कायम रखें मेरे साथ
बाकी और सूचनायें और फ़ोटो बाद में :)
कुछ झलकियाँ और आपकी प्रतीक्षा में हैं ………सभी मित्रों से मिलना, उनके द्वारा उत्साहवर्धन किया जाना और उनके द्वारा पुस्तक खरीद कर पढे जाने की ज़िद ने इस बार पुस्तक मेले को एक नया आयाम दिया फिर चाहे वो बडे बडे साहित्यकार ही क्यों ना हों जो बताता है कि एक नयी परम्परा की तरफ़ आज की पीढी ने एक नया कदम रख दिया है और कोई शक नहीं कि आने वाला कल कविता के भविष्य को उज्ज्वलता प्रदान करेगा
और अब सबसे जरूरी बात :
जिसके अपरिमित सहयोग के बिना मेरी बुक आपको इस बार के पुस्तक मेले में दिख ही नही सकती थी तो वो है बेहद सहज , सरल और निश्छल हिंद युग्म के संचालक शैलेष भारतवासी जिसको शुक्रिया अदा करने के लिये मेरे पास शब्द ही नहीं हैं क्योंकि मेरे प्रकाशक का तो स्टाल इस मेले में था नही और ऐसे में किसी और प्रकाशक की पुस्तक को अपने स्टाल पर स्थान देना शैलेष के अद्भुत और बडे दिल वाले व्यक्तित्व को ही दर्शाता है और मेरे पास ऐसे कोई शब्द नहीं जिनसे मैं शैलेष का शुक्रिया अदा कर सकूँ बस उसके लिये हर पल दिल से सिर्फ़ और सिर्फ़ दुआयें ही निकल रही हैं और चाहती हूँ मेरे सभी दोस्त उसके लिये दुआओं का ये सिलसिला कायम रखें मेरे साथ
बाकी और सूचनायें और फ़ोटो बाद में :)
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Congratulation....!!!!
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-07-2014) को भोले-बाबा अब तो आओ { चर्चा - 1536 } में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-07-2014) को भोले-बाबा अब तो आओ { चर्चा - 1536 } में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंAap aur aapki pustak dono se mil kar bahut achchha laga. Dono adbhut hain .LIKHTI RAHIYE...MUSKURAATI RAHIYE.
जवाब देंहटाएंNEERAJ
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाऐं भी । आभार सुंदर झलकियों को साझा करने के लिये ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंHardik Badhai....
जवाब देंहटाएंबधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ...
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