फिर शोर में दरारें होंगी
फिर मौसम में बहारें होंगी
तू आवाज़ में सच का दम रख तो सही
फिर इंकलाब की पुकारें होंगी
तू आवाज़ में सच का दम रख तो सही
फिर इंकलाब की पुकारें होंगी
वरना तो देश को खा जायेंगे
ये गद्दार यूँ ही चबा जायेंगे
देश के छलिये नेता नया कानून पारित कर
एक बार फिर से छल जायेंगे
ये गद्दार यूँ ही चबा जायेंगे
देश के छलिये नेता नया कानून पारित कर
एक बार फिर से छल जायेंगे
विधेयक जल्द पारित हो जायेंगे
अपनी सहूलियतों के लिए कानून बन जायेंगे
मगर दामिनियों के लिए जल्दी विधेयक
नहीं बना करते
ना ही उन्हें बिना आन्दोलनों के
इन्साफ मिला करते
ये तो खुद की खातिर बिगुल बजायेंगे
कानून की भी सरे आम धज्जियाँ उड़ायेंगे
आम जनता की सहूलियतों का क्यूं सोचें
अपनी कुर्सी की जडें क्यों न सींचें
इसी कारण तो सत्ता में आते हैं
फिर देश की नींव को ही खाते हैं
यूं सफेदपोश देशभक्त हुक्मरान कहलाते हैं
जो गलत को गलत और सही को सही न कह पाते हैं
सिर्फ कुर्सियों के प्रति उनकी निष्ठां होती है
बस वही तक उनकी अंधभक्ति होती है
फिर संसद में दागियों मुजरिमों का बोलबाला होगा
फिर तेरे सत्य का बार बार मूँह काला होगा
तू एक बार हौसला रख आगे बढ तो सही
गलत सही को पहचान तो सही
फिर तेरे सत्य का बार बार मूँह काला होगा
तू एक बार हौसला रख आगे बढ तो सही
गलत सही को पहचान तो सही
अपने अधिकार का सदुपयोग कर तो सही
फिर मौसम का रख जरूर बदला होगा
फिर मौसम का रख जरूर बदला होगा
फिर तेरे मुख से यूं ही ना निकला होगा
इन्कलाब जिंदाबाद इन्कलाब जिंदाबाद
मेरा देश रहे हल पल आबाद , हर पल आबाद
Kya kahun?
जवाब देंहटाएंPerfectly written !
जवाब देंहटाएंBehad umdaa............bahut khub
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक और सशक्त रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सटीक और सशक्त प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही, कुर्सी का खेल है सारा
जवाब देंहटाएंआपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - इंतज़ार उसका मुझे पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंशोर में दरारें
जवाब देंहटाएंमै समझा नहीं
sundar abhibyakti
जवाब देंहटाएंDIL SE NIKLEE SACHCHHEE AAWAAZ .
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली लेखन और सामयिक भी बधाई
जवाब देंहटाएंbehtareen... abhivyakti!!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (04-08-2013) के चर्चा मंच 1327 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंदुखती रग पर रखीं उँगलियाँ !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसच्चा इन्कलाब अब आ ही जाना चाहिए ... देश इससे ज्यादा क्या सहेगा ...
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