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मंगलवार, 30 जुलाई 2013

जी चाहता है--------

जी चाहता है--------
दिल को तोड के लिख दूँ
कलम को मोड के लिख दूँ
फ़लक को  फ़ोड के लिख दूँ
जमीँ को निचोड के लिख दूँ

जी चाहता है-------------
दर्द को  घोल के पी लूँ
ज़हर को भी अमर कर दूँ
मोहब्बत को ज़हर कर दूँ
गंगा को उल्टा बहा दूँ

जी चाहता है------------
नकाबों को आग लगा दूँ
बुझता हर चिराग जला दूँ
रेत से चीन की दीवार चिनवा दूँ
ज़िन्दगी को मौत से जिता दूँ

जी चाहता है-------------
हर रोक को आज हटा दूँ
हर पंछी को उडना सिखा दूँ
रस्मों की हर रवायत मिटा दूँ
बेफ़िक्री का डंका बजा दूँ

जी चाहता है------------
ब्रह्माँड को उलट दूँ
ब्रह्मा की सृष्टि को पलट दूँ
पाप पुण्य का भेद मिटा दूँ
इंसान को देवता बना दूँ

जी चाहता है------------------
हर नियम कानून की नींव मिटा दूं
मौत को भी रास्ता भुला दूँ

अमीरी गरीबी का भेद मिटा दूँ
रिश्वतखोरों  की कौम मिटा दूँ
भ्रष्टाचारियों को फ़ांसी चढा दूँ

एक नया जहान बसा दूँ

मगर मनचाहा कब होता है?





( भ्रष्ट तंत्र से परेशान हर ह्रदय की व्यथा )

20 टिप्‍पणियां:

  1. हे मेरे नाथ ।
    आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप मुझे प्यारे लगें। केवल यही मेरी माँग है, और कोई माँग नहीं।
    हे नाथ! अगर मैं स्वर्ग चाहूँ तो मुझे नरकमें डाल दें, सुख चाहूँ तो अनन्त दुःखों में डाल दें, पर आप मुझे प्यारे लगें।
    हे नाथ!
    हे नाथ!! हे मेरे नाथ!!! हे दीनबन्धो! हे प्रभो! आप
    अपनी तरफ से शरणमें ले लें। बस, केवल आप प्यारे लगें। जय श्री राम जी की |

    जवाब देंहटाएं
  2. हे मेरे नाथ ।
    आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप मुझे प्यारे लगें। केवल यही मेरी माँग है, और कोई माँग नहीं।
    हे नाथ! अगर मैं स्वर्ग चाहूँ तो मुझे नरकमें डाल दें, सुख चाहूँ तो अनन्त दुःखों में डाल दें, पर आप मुझे प्यारे लगें।
    हे नाथ!
    हे नाथ!! हे मेरे नाथ!!! हे दीनबन्धो! हे प्रभो! आप
    अपनी तरफ से शरणमें ले लें। बस, केवल आप प्यारे लगें। जय श्री राम जी की |

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  3. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 031/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. मन का हो न हो...
    चाहत ऐसी होगी तो निश्चित कुछ अच्छा भी होगा जो मन के अनुकूल होगा!

    जवाब देंहटाएं
  5. आमीन.....

    लेकिन मन के चाहे क्या होता है...!

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  6. सच कहा आपने अक्सर मनचाही चीजें नहीं हो पाती
    सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  7. चाहते कभी कम नही होती,बहुत सुंदर रचना,

    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_29.html

    जवाब देंहटाएं
  8. काश आपकी कुछ चाहत तो अवश्य पूरी हों ... शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया