25 मई 2013 की शाम डायलाग में "मुक्तिबोध" की प्रसिद्ध कविता " अंधेरे में " को पढने का मौका मिला जो एक यादगार क्षण बन गया क्योंकि उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने भी उसी कविता के संदर्भ में अपने अपने विचार रखे तो लगा कि सही कविता चुनी मैने पढने के लिये :)
पहली बार किसी दूसरे की कविता को पढना और उसके भावों को प्रस्तुत करना आसान नहीं था अपनी कविता का तो हम सभी को पता होता है मगर यहाँ तो मुक्तिबोध को पढना था जो साहित्य जगत के सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं इसलिये कोशिश की कि उनके भावों को सही तरह से प्रक्षेपित कर सकूँ और इस तरह उन्हें नमन कर सकूँ
क्योंकि कविता बहुत बडी है इसलिये सिर्फ़ उसके पहले भाग को ही पढा
इस कार्यक्रम के बाद क्योंकि दूसरे कार्यक्रम में जाना था इसलिये अतिथियों के विचार मुक्तिबोध की कविता के बारे में सुनने के बाद और आशुतोष कुमार जी का मुक्तिबोध की कविता का पाठ सुनने के बाद मुझे वहाँ से जाना पडा ।
एक शाम और दो दो कार्यक्रम ………लीजिये लुत्फ़ आप भी हमारे साथ चित्रों के माध्यम से
सुमन केशरी जी के काव्य संग्रह "मोनालिसा की आँखें" का लोकार्पण कल शाम "इंडिया इंटरनैशनल सैंटर" में किया गया तो वहाँ भी पहुँचना जरूरी था इसलिये डायलाग में कविता पाठ करके और गणमान्य अतिथियों को सुनने के बाद हमने यहाँ के लिये प्रस्थान किया
ये कम उम्र साथी संजय पाल जिसने खुद मुझे पहचाना और आकर मिला तो बेहद खुशी हुयी
यहाँ राजीव तनेजा जी , संजय और रश्मि भारद्वाज के साथ यादों को संजोया
ये हर दिल अज़ीज़ मुस्कान बिखेरती पंखुडी इंदु सिंह के साथ निरुपमा सिंह
सुमन केशरी जी के साथ शाम को जीवन्त किया
इस प्रकार एक सुखद माहौल में काफ़ी लोगों से मिलना हुआ साथ ही आज के समय के वरिष्ठ हस्ताक्षर देवी प्रसाद त्रिपाठी जी और अशोक वाजपेयी जी को सुनने का भी मौका मिला जो एक अलग ही अनुभव था।
राजीव तनेजा जी को आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होने ये तस्वीरें संजो कर
हम सबके यादगार क्षणों को यहाँ कैद किया और हमें अनुगृहित किया।
अच्छा लगा...चित्र देख कर। दुख हुआ अपने आलस्य पर कि गरमी का बहाना कर घर से निकला ही नहीं। राजीव के चित्रों में आप गरिमामय लग रही हैं...बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा...चित्र देख कर। दुख हुआ अपने आलस्य पर कि गरमी का बहाना कर घर से निकला ही नहीं। राजीव के चित्रों में आप गरिमामय लग रही हैं...बधाई।
जवाब देंहटाएंबधाई।
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जवाब देंहटाएंबढ़िया रिपोर्ट। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होना एक सुखद अहसास होता है।
आपके माध्यम से दो दो समारोहों के हम भी साक्षी बनें, लगता है राजीव तनेजा साहब सिद्ध हस्त फ़ोटोग्राफ़र हैं, बहुत ही सुंदर चित्र हैं, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपकी यह रचना कल सोमवार (27 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंसुखद अहसास,,,बधाई
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बेटियाँ,
सुखद अहसास,,,बधाई,,,
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,
RECENT POST : बेटियाँ,
अच्छा जी
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन फ़िर से नक्सली हमला... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबधाईए, सुखद अहसास ,बहुत ही सुंदर चित्र
जवाब देंहटाएंवाह मेरी पसंदीदा कविताओं मे से एक है यह कविता। काश मै भी सुन पाती... अच्छे चित्र अ्च्छी रिपोर्ट :)
जवाब देंहटाएंवाह बधाई | बहुत ही सुन्दर चित्र | पढ़कर और देखकर अच्छा लगा | सादर आभार |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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बढ़िया प्रस्तुति. रिपोर्ट पढ़कर अच्छा लगा ... बधाई
जवाब देंहटाएंसभी चित्र यादगार बन गए हैं .. ऐसे कार्यक्रमों से ऊर्जा बढ़ जाती है ... बधाई ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रों से सजा सुन्दर संस्मरण!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!