पृष्ठ

बुधवार, 15 मई 2013

कभी देखा है कोई पीर फ़कीर दरवेश ऐसा …………

चाहती थी
नींद , ख्वाब
भंवरा, पपीहा
पीहू - पीहू
पी कहाँ ,पी कहाँ
सारे बोल गुनगुनाऊँ
मै भी जोगन बन जाऊँ
मै भी एक बार
मोहब्बत मे गुम हो जाऊँ
पर ज़रूरी तो नही ना

हर रस्म निभायी ही जाये
या हर ख्वाब सच हो ही जाये
ओ मेरे
अन्जान देश के अन्जान पंछी
मेरी आखिरी कसक का आखिरी सलाम लेता जा
देख ले आज तू भी
एक अन्दाज़ ये भी होता है जीने का
न ख्वाब मे ना हकीकत मे
कुछ हथेलियों पर मोहब्बत की लकीर ही नही होती
फिर भी
जो अन्जानों की इबादत करता हो ………

कभी देखा है कोई पीर फ़कीर दरवेश ऐसा …………

16 टिप्‍पणियां:

  1. :) जो अनजानों की इबादत करे उससे बड़ा पीर कहाँ ?

    जवाब देंहटाएं
  2. ऐसी साध्वी को मेरा प्रणाम.

    जवाब देंहटाएं
  3. ख्वाब हकीकत में भी बदल जाते हैं. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  4. sundar rachna मेरी आखिरी कसक का आखिरी सलाम लेता जा
    देख ले आज तू भी
    एक अन्दाज़ ये भी होता है जीने का
    न ख्वाब मे ना हकीकत मे
    कुछ हथेलियों पर मोहब्बत की लकीर ही नही होती
    फिर भी
    जो अन्जानों की इबादत करता हो ………

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सही कहा आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार . कायरता की ओर बढ़ रहा आदमी ..

    जवाब देंहटाएं
  7. जो अन्जानों की इबादत करता हो ………

    कभी देखा है कोई पीर फ़कीर दरवेश ऐसा …………

    ...वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  8. जब मन से अपना लिया तो अंजाना कैसा रहा ...
    अर्थपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह बहुत ही सुन्दर भावों की शानदार अभिव्यक्ति.

    जवाब देंहटाएं

  10. देख ले आज तू भी
    एक अन्दाज़ ये भी होता है जीने का
    न ख्वाब मे ना हकीकत मे
    कुछ हथेलियों पर मोहब्बत की लकीर ही नही होती
    फिर भी
    जो अन्जानों की इबादत करता हो ………

    अनमोल पंक्तियाँ हैं ये...हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ!!

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया