तुमने स्वीकारा अपना प्रेम
और छोड दिया एक प्रश्न
मेरी तरफ़ …मेरी स्वीकार्यता
मेरे जवाब का इंतज़ार
तुम्हारे लिये शेष रहा …………मगर
शेष रहा …………क्या?
प्रेम ? उसकी स्वीकार्यता
क्या तभी तक है प्रेम का अस्तित्व
जब तक ना हो जाये स्वीकार्य
सुनो …मैने तो सुना है
स्पन्दनों के तारों पर स्वंय प्रवाहित होता है प्रेम
बिना उत्तर की प्रतीक्षा किये ………
जानते हो ! प्रेम में कुछ शेष नहीं रहता …………
ना तू्……… ना मैं
बस प्रेम मे तो बस प्रेम ही बचता है मिश्री की डली के स्वाद सा
जिसका कोई आकार नहीं , प्रकार नहीं मगर भासित होता है ………बस यही है मेरे लिये प्रेम
क्या अब भी जरूरत है तुम्हें
स्वीकार्यता के भाव की
क्या अब भी जरूरत है तुम्हें
शेष कहने की…………
क्योंकि
मैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं …………(एक आयाम ये भी होता है प्रेम में )
और छोड दिया एक प्रश्न
मेरी तरफ़ …मेरी स्वीकार्यता
मेरे जवाब का इंतज़ार
तुम्हारे लिये शेष रहा …………मगर
शेष रहा …………क्या?
प्रेम ? उसकी स्वीकार्यता
क्या तभी तक है प्रेम का अस्तित्व
जब तक ना हो जाये स्वीकार्य
सुनो …मैने तो सुना है
स्पन्दनों के तारों पर स्वंय प्रवाहित होता है प्रेम
बिना उत्तर की प्रतीक्षा किये ………
जानते हो ! प्रेम में कुछ शेष नहीं रहता …………
ना तू्……… ना मैं
बस प्रेम मे तो बस प्रेम ही बचता है मिश्री की डली के स्वाद सा
जिसका कोई आकार नहीं , प्रकार नहीं मगर भासित होता है ………बस यही है मेरे लिये प्रेम
क्या अब भी जरूरत है तुम्हें
स्वीकार्यता के भाव की
क्या अब भी जरूरत है तुम्हें
शेष कहने की…………
क्योंकि
मैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं …………(एक आयाम ये भी होता है प्रेम में )
क्योंकि
जवाब देंहटाएंमैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं …………(एक आयाम ये भी होता है प्रेम में )
और यही से शुरू होती एक नई जिंदगी ...कुछ अधूरी सी ..कुछ पूरी सी
क्योंकि
जवाब देंहटाएंमैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं …………(एक आयाम ये भी होता है प्रेम में )
और यही से शुरू होती है एक नई जिंदगी कुछ अधूरी सी कुछ पूरी सी
हम्म
जवाब देंहटाएंशेष रहा प्रेम
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ लाजवाब प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंअरुन शर्मा
www.arunsblog.in
सही कहा प्रेम के बारे में
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (आइए कुछ बातें करें!) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
satya, aapke prem sambandhit paribhashayen, dil ko chhooti hain.
जवाब देंहटाएंप्रश्नचिन्ह लगा प्रेम सदा उत्तर खोजता है.
जवाब देंहटाएंprem ki ek paribhasa jo apne bhaut khubsurat shabdo me di h....
जवाब देंहटाएंLajwab
जवाब देंहटाएंजहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
जवाब देंहटाएंऔर मैं जानती हूँ,,
बहुत सुंदर भावमय पंक्तियाँ ....
recent post: बात न करो,
प्रेम मिले यदि, फिर क्या चाहूँ?
जवाब देंहटाएंप्रेम के और कितने आयाम दिखलाओगी वंदना...
जवाब देंहटाएंhats off to ur talent
love
anu
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बात कही है .....
क्योंकि
जवाब देंहटाएंमैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं.
प्रेम में प्रश्नचिन्ह कैसा. बेहतरीन भावपूर्ण कविता.