तुम कहाँ हो ?
युगों युगों की पुकार
ना जाने कब तक चलेगी
यूँ ही अनवरत
बहती धारा
प्रश्न चिन्ह बनी
अपने वजूद को ढूंढती
क्योंकि
तुमसे ही है मेरा वजूद
तुम नहीं तो मैं नहीं
मैं ...........कौन
कुछ भी तो नहीं
अस्तित्वहीन सा कुछ
जो तुम्हारे बिना कुछ नहीं
तुम ही तो वीणा में राग भरते हो
साज़ में आवाज़ भरते हो
धडकनों में स्पंदन करते हो
तुमसे पृथक "मैं" कहाँ ?
और कौन हूँ?
कुछ भी तो नहीं
तो बताओ
कैसे तुम्हें ढूंढूं
कहाँ तुम्हें खोजूं?
कौन सा रूप दूँ?
कौन सा आकार दूँ
जिसे नैनन में भर लूँ
जिसकी छाप अमिट हो जाये
वो छवि बस अंतरपट पर छा जाये
बोलो .........दोगे मुझे
वो अनिर्वचनीय सुख
समाओगे मेरे नैनों के कोटर में
मेरे ह्रदय स्थली में
देखो
ढूँढ ढूँढ हार चुकी हूँ
नहीं मिल रहा वो तुम्हारा रूप
ना वो रंग
जिसे देखने के बाद
कुछ देखना बाकी नहीं रहता
जिसे पाने के बाद
कुछ पाना बाकी नहीं रहता
तो बोलो
हे अनंत ...............चितचोर
माधव नन्द किशोर
कहाँ हो तुम ?
आओगे ना एक बार
जीवन रहते जवाब देने
और मुझे संपूर्ण करने
हे केशव
हे मदन मुरारी
तुझ पर मैं सब कुछ हारी
तुम कहाँ हो मुरारी ?
मेरी अधूरी प्यास के अमृतघट ...............
आ जाओ ना अब तो ..................
ओ बिहारी ! ओ गिरधारी !
लो मैं खुद को हारी !
अब तो सुन लो पुकार
दे दो दीदार !
तुम कहाँ हो ? तुम कहाँ हो ? तुम कहाँ हो?
सुन लो मन पपीहे की ये करुण पुकार
पीर का आर्तनाद तुम तक पहुँचता तो होगा ना ..........केशव !
पीर का आर्तनाद पहुँचता है केशव तक ... तभी तो यह लेखनी भी अपना जादू जगाती है ... बहुत ही भावमय करते शब्द ...
जवाब देंहटाएंवंदना जी , हर मन की करुण पुकार को कितना सुन्दर शब्द दिया है आपने.. आह !
जवाब देंहटाएंअपने ईष्ट को पुकारती प्रभावी पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंshrikrishn ji ko samarpit bhavaporn sundar rachana ...badhai
जवाब देंहटाएंसच्चे मन से की गई पुकार ईश्वर जरूर सुनेगे,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,
भक्तिभाव से की गयी पुकार .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रार्थना की है आपने बंशी वाले से!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंbhawnaon ka samander.....
जवाब देंहटाएंनिराकार रूप का सुन्दर वर्णन बहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंकभी राधा कभी मीरा- तलाश कृष्ण की
जवाब देंहटाएंमन की पुकार यदि सच्ची श्रद्धा और अच्छे भाव से होते तो वह ज़रूर सुनता है।
जवाब देंहटाएंभागे चले आ रहे होंगे कान्हा आपकी इस करूँ पुकार को सुन......
जवाब देंहटाएंमोहपाश से बच न सकेंगे...
बहुत सुन्दर वंदना जी...
अनु
नितांत सात्विक
जवाब देंहटाएंइतनी शिद्दत से आपने केशव को याद किया तो केशव कब तक इसे अनदेखा कर सकते हैं. शुभकामनायें इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये.
जवाब देंहटाएंbhav my ...bhakti my...sundar rachna
जवाब देंहटाएंtum par main sab kuch haari
जवाब देंहटाएंtum kahan ho murari,
Kanhaji aise hi kuch swal karti meri
new post
KYUN???
https://udaari.blogspot.in/
भावविभोर करती पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंwaah..ati sundar bhavpoorn rachna..bahut bahut badhai sweekar karen.
जवाब देंहटाएंअद्भुत कविता |
जवाब देंहटाएंआर्ती की पुकार प्रभु अवश्य सुनते हैं । सुंदर भावुक करने वाली रचना ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव
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