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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

"मैं अभिव्यक्ति की आज़ादी बोल रही हूँ"


आप सब मेरी एक रचना पढिये जो अभी 5-6 दिन पहले अचानक लिखी गयी और उम्मीद नही थी कि इसका प्रयोग इतनी जल्दी हो जायेगा ……और देश मे जो घटने वाला है वो कलम से उद्धरित हो जायेगा 






मैं अभिव्यक्ति की आज़ादी बोल रही हूँ
कट्टरपंथियों की कट्टरता से लेकर
पुरातत्व विदों की खोजों तक
मेरे वजूद पर सिर्फ पहरे ही मिले
कहीं ना मुझे मेरे चेहरे मिले
कोशिशों के संग्राम में
उम्मीदों की आस्तीनों पर
जब विचारों का बवंडर चला
इन्कलाब के नारे लगे
एक नया जूनून उठा
और अस्तित्व मेरा सुलग उठा
अपना युद्ध खुद लड़ना पड़ता है
मैंने भी लड़ा .........मगर देखो तो
मुझे आखिर क्या मिला
लगता है अब तक सिर्फ मेरा
दोहन ही तो हुआ
अभिव्यक्ति की आज़ादी का सिर्फ तमगा मिला
कहीं ना कहीं मेरी स्वतंत्रता पर
आज भी है अंकुश लगा
तभी तो
सच कहने वाला ही दोषी बना
झूठ का परचम तो आज भी खूब डटा
मैंने ही हथकड़ी पहनी
मेरे ही पाँव में बेडी पड़ी
मगर झूठ तो आज भी सिंहासन पर काबिज़ है
फिर कैसी ये अभिव्यक्ति की आज़ादी है
जहाँ सांस लेना भी दुश्वार है
अभिव्यक्ति की आज़ादी का बलात्कार है
देखो अब ना खुलकर सांस ले रही हूँ
ना तुम्हारे चँगुल से निकली हूँ
फिर मैं कैसी अभिव्यक्ति की आज़ादी हूँ
जो चोर को चोर नहीं कह सकती हूँ
महामहिमों को दंडवत सलाम ठोंकती हूँ
और अन्दर ही अन्दर कसमसाती हूँ
बेड़ियों में जकड़ी मैं कैसी अभिव्यक्ति की आज़ादी हूँ
बस इसी पर विचार करती हूँ
कभी कहा जाता है भाषा संयमित बरतो
तो कभी कहा जाता है भावनाओं पर अंकुश रखो
कभी कहा जाता है ये कहने का तुम्हें हक़ नहीं
तो आखिर कैसे खुद को अभिव्यक्त करूँ
आखिर कैसे मूँहतोड जवाब दूं
कैसे इस रेत के दरिया से बाहर निकलूँ
और खुलकर ताज़ी हवा में सांस ले सकूँ
और कह सकूँ ..........हाँ , मैं आज़ाद हूँ
सही में अभिव्यक्ति की आज़ादी हूँ
जब तक ना अपना वास्तविक स्वरुप पाऊँ
कैसे खुद को अभिव्यक्ति की आज़ादी कहलाऊँ ????????

33 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. अभिव्‍यक्ति की आजादी को शब्‍दों में उतारना गहन भावों के साथ ... बेहद सशक्‍त रचना
    आभार आपका

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  3. सच कहने वाला ही दोषी बना
    झूठ का परचम तो आज भी खूब डटा
    मैंने ही हथकड़ी पहनी
    मेरे ही पाँव में बेडी पड़ी
    मगर झूठ तो आज भी सिंहासन पर काबिज़ है
    फिर कैसी ये अभिव्यक्ति की आज़ादी है... ??????????? प्रश्न हर तरफ खड़ा और अड़ा है

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  4. अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एकदम सटीक अंतर्द्वान्दात्मक कविता , एकदम से उलझा उलझा सा है आदमीकोई तो रास्ता दिखाए.

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  5. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !

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  6. बहुत पहरे लगें हैं इसकी आज़ादी पे ...
    पैदा होने के साथ इसको बंद कर दिया जाता है ...
    गहन भाव ...

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  7. शानदार सार्थक अभिव्यक्ति

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  8. खुबसूरत और समसामयिक सतुलित पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें .

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  9. सच कहा आपने , पर उन 'भैयाओ में सब हैं वे किसी दूसरे ग्रह से नही आये ये भी सोचने की बात है

    सच में पिछले दिनो सारे देश ने देखी अभिव्यक्ति की आजादी पर बंधन

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  10. Beautiful post...

    come and join the group...it would be pleasure to see you there...

    http://www.facebook.com/#!/groups/424971574219946/

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  11. हर समाज अभिव्यक्ति से विशेषकर उसकी आजादी से डरता रहा है. बचपन से हम बच्चे को टोकते हैं, सच मत बोलो. मत बताओ घर में क्या हुआ. मत बताओ कि कोई व्यक्ति तुम्हें पसंद नहीं या किसी से मिलना पसंद नहीं. मुखौटा लगाकर मुस्कराओ और जी हाँ जी हाँ कहते जाओ. अन्यथा समाज में उथल पुथल हो जाएगी.
    घुघूती बासूती

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  12. अभिव्यक्ति की आज़ादी अपनी पूरी मान-मर्यादा के साथ रहे -यही सबकी चिन्ता है !

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  13. सच कहने वाला ही दोषी बना ... सब अपनी अपनी राय थोपने में लगे हुये हैं .... ऐसे हालात ही क्यों पैदा किए कि धुआँ उठे ? हर मर्यादा की धज्जियां उड़ाते हैं संसद में बैठ कर तब एहसास नहीं होता ... सशक्त लेखन

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  14. झूठ कहने वाला ही सबसे बड़ा है...
    सच कहने वाला तो पीछे खड़ा है....!!

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  15. खूबसूरत रचना.
    हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई.

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  16. अभिव्यक्ति की वेदना को बड़ी प्रखरता के साथ प्रस्तुत किया है वन्दना जी ! आज हमारे जनतंत्र में
    'अभिव्यक्ति की आज़ादी' का जुमला एक मखौल बन कर रह गया है ! जिसकी आज़ादी पर सबसे अधिक पहरे और पाबंदियां हैं उसी के लिये बवाल मचा रहता है !

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  17. वंदना जी आपका ब्लॉग देखा मन प्रसन्न हो गया कभी फुर्सत मिले तो मेरे घर भी पधारें आपका स्वागत है पता है...http://pankajkrsah.blogspot.com

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  18. वंदना जी मैंने आपका ब्लॉग देखा मन प्रसन्न हो गया कभी फुर्सत मिले तो मेरे घर भी पधारें आपका स्वागत है..
    मेरा पता है
    http://pankajkrsah.blogspot.com

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  19. वाह ...जानदार ..
    हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें ...

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  20. सशक्त विचार... ना जाने कब पायेगी अपना वास्तविक स्वरुप अभिव्यक्ति की आज़ादी...

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  21. ये एक कवि की सोच है जो कविता के रूप में सबके सामने है ....बहुत खूब

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  22. अभिव्यक्ति की आजादी महज़ एक आईवाश है ......और कुछ नहीं ...आज़ादी है लेकिन सरकार के खिलाफ बोलने की नहीं ....

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  23. बहुत सही व सच्ची बात लिखी है !यहाँ सिर्फ़ बलवान ही आज़ाद है..
    ~सादर

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  24. जानदार, शानदार ।
    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की नाम ही है बस ।

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