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गुरुवार, 9 अगस्त 2012

और श्राप है तुम्हें.............मगर तब तक नहीं मिलेगा तुम्हें पूर्ण विराम .............



ढूँढ रहे हो तुम मुझे शब्दकोशों में
निकाल रहे हो मेरे विभिन्न अर्थ
कर रहे हो मुझे मुझसे विभक्त
बना रहे हो मेरे नए उपनिषद
कर रहे हो मेरी नयी -नयी व्याख्याएं
मगर फिर भी नहीं पकड़ पाते हो पूरा सच

बताओ तो ज़रा .............
क्या- क्या नहीं कर डाला तुमने
किस - किस धर्मग्रन्थ को नहीं खंगाल डाला
खजुराहो की भित्तियों में ना उकेर डाला 
अजंता अलोरा के पटल पर फैला मेरा 
विशाल आलोक तुम्हारी ही तो देन है
कामसूत्र की नायिका के रेशे- रेशे में
मेरे व्यक्तित्व के खगोलीय व्यास 
अनंत पिंड कई- कई तारामंडल
क्या कुछ नहीं खोजा तुमने
पूरा ब्रह्माण्ड दर्शन किया तुमने
पर फिर भी ना तुम्हारी कुत्सितता गयी 
फिर भी अधूरी  रही तुम्हारी खोज
और तुम उसी की चाह(?) में 
खोजते रहे उसके अंगों में अपनी दानवता
सिर्फ दो अंगों के सिवा ना तुम्हें कुछ दिखा
और गुजर गए अनंतकाल 
तुम्हारा अनंत भ्रमण
पर हाथ ना कुछ लगा

करते रहे तुम मर्यादाओं का बलात्कार
सरे आम , हर चौराहे पर 
फिर भी ना तुम्हारा पौरुष तुष्ट हुआ
जानते हो क्यों ?
क्यूँकि तुमने सिर्फ बाह्य अंगों को ही 
स्त्री के दुर्लभतम अंग समझा
और गूंथते रहे तुम उसी में 
अपनी वासना के ज्वारों को 
और फिर भी ना पूरी हुई तुम्हारी
हवस की झुलसी चिंगारियां

और श्राप है तुम्हें.............

नहीं मिलेगा तुम्हें कभी वरदान
नहीं खोज पाओगे तुम उसका ब्रह्माण्ड
कभी नहीं पाओगे चैन-ओ-आराम 
यूँ ही भटकोगे ......करोगे बलात्कार
करोगे अत्याचार ..........
ना केवल उस पर
खुद पर भी
अपने से भी मुँह चुराते रहोगे 
पर नहीं मिलेगा तुम्हें यथोचित आकार

तब तक ..........जब तक 
नहीं उतरोगे तुम उसके 
स्त्रीत्व की परीक्षा पर खरे 
नहीं भेदोगे जब तक तुम 
उसके मन के कोने 
जब तक नहीं बनोगे अर्जुन
और नहीं साधोगे निशाना
मछली की आँख पर 
तब तक नहीं मिलेगी तुम्हें भी 
कोई धर्मोचित मर्यादा 
बेशक मिलता रहे अर्धविराम 
मगर तब तक 
नहीं मिलेगा तुम्हें पूर्ण विराम .............


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25 टिप्‍पणियां:

  1. किताब में तो पढ़ी ही थी यहाँ दोबारा पढ़ने का लोभ भी संवरण न कर पायी..
    बहुत सुन्दर!!

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. गहरी रचना ...जब तक अंतस को नहीं खोजोगे नारी का सार जान पाना आसान नहीं होगा ...
    सत्य की अभिव्यक्ति ...

    जवाब देंहटाएं
  4. Wah! Kya gazab kee rachana hai! Harek shabd chuninda aur gahan arthpoorn!

    जवाब देंहटाएं
  5. गहराई लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर..बधाई..आप को वंदना जी

    जवाब देंहटाएं
  7. एक बार फिर आपने अवसर दिया इसे पढ़ने का ... तो बधाई हो जाए इसी बात पर ...
    शुभकामनाओं के साथ ...

    जवाब देंहटाएं
  8. उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

    जवाब देंहटाएं
  9. खुबसूरत है आपका दृष्टिकोण चिंतनीय

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही बेहतरीन और प्रभावपूर्ण रचना....
    जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
    मेरे ब्लॉग

    जीवन विचार
    पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर सृजन , आभार.

    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें , आभारी होऊंगा

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर प्रस्तुति.
    हार्दिक बधाई.

    ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन
    वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...

    श्रीकृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ,वन्दना जी.
    कृष्ण प्रेम में दीवानी हैं आप.
    शायद इसीलिए भूल गयीं आप मेरे ब्लॉग पर आना.

    जवाब देंहटाएं
  13. गहरे भाव व्यक्त कराती बहुत ही बेहतरीन रचना..
    बहुत सुन्दर..
    जन्माष्टमी की शुभकामनाये..
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही बेहतरीन और प्रभावपूर्ण रचना....
    जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनाएँ
    मेरे ब्लॉग

    जीवन विचार
    पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  15. तब तक नहीं उतरोगे
    तुम उसकी स्त्रीत्व की परीक्षा पर खरे
    नहीं भेदोगे जब तक
    तुम उसके मन के कोने .....संपूर्ण सच ....बहुत ही सशक्त प्रस्तुति !!!

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट छाते का सफरनामा पर आपका ङार्दिक अभिनंदन है । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  17. अभिव्यक्ति में बहुत दम है

    जवाब देंहटाएं
  18. जब तक नहीं उतरोगे तुम उसकी परीक्षा में खरे , स्वयं अपने कितने ही प्रतिमान बना लो , उद्देश्यहीन ही रहोगे !
    बेहतरीन !

    जवाब देंहटाएं

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