चाहती थी तुझमे अपना मधुमास गूंथना
चाहती थी तुझ संग प्रीत के हिंडोले पर झूलना
चाहती थी तुझ संग पीली चदरिया ओढना
चाहती थी तुझमे ॠतुराज का हर रंग उंडेलना
चाहती थी तेरी चाहत को अपनी वेणी मे संजोना
और चाहत सिर्फ़ चाहत ही रह गयी
हर बरस ॠतुराज
कुछ अंगार ही डाल गया दामन मे मेरे
अब देख कितनी संजीदगी से हर अंगार
सुर्ख पलाश सा झुलसा रहा है
और वो देख दूर खडा ॠतुराज मुस्कुरा रहा है
बेबसी की जुबान पर उगते काँटे देखे हैं कभी……
चाहती थी तुझ संग प्रीत के हिंडोले पर झूलना
चाहती थी तुझ संग पीली चदरिया ओढना
चाहती थी तुझमे ॠतुराज का हर रंग उंडेलना
चाहती थी तेरी चाहत को अपनी वेणी मे संजोना
और चाहत सिर्फ़ चाहत ही रह गयी
हर बरस ॠतुराज
कुछ अंगार ही डाल गया दामन मे मेरे
अब देख कितनी संजीदगी से हर अंगार
सुर्ख पलाश सा झुलसा रहा है
और वो देख दूर खडा ॠतुराज मुस्कुरा रहा है
बेबसी की जुबान पर उगते काँटे देखे हैं कभी……
कांटे बिना परवरिश के उग आते हैं ... मुख से फूल बरसाइए :) मन के भावों को बखूबी लिखा है ॥
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है पोस्ट।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है वंदना जी ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंnew post...फुहार...तुम्हें हम मिलेगें...
बहुत खूब वंदना जी...
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति..
BKAUL SAHIR -
जवाब देंहटाएंMAINE CHAAND AUR SITAARON KEE TAMANNA KEE THEE
MUJHKO RAATON KEE SIYAAHEE KE SIWAA KUCHH N MILA
MARMIK KAVITA KE LIYE AAPKO BADHAAEE.
बेबसी की जुबान पर उगते कांटें देखे है कभी.....
जवाब देंहटाएंदिल की मुराद पूरी न होने का दर्द और बेबसी स्पष्ट दिखलाती रचना.... !! अति सुन्दर..... :)
बेबसी की जुबान पर उगते कांटें देखे है कभी.....
जवाब देंहटाएंदिल की मुराद पूरी न होने का दर्द और बेबसी स्पष्ट दिखलाती रचना.... !! अति सुन्दर.... !!
आखिरी पंक्ति पर निकला ...उफ्फ्फ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ.
अनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
बेबसी की जुबान पर कांटे जब उगते हैं तो पहले ज़ुबान छिलती है
जवाब देंहटाएंफिर साँसों की नाली लहुलुहान होती है
पाचन शक्ति ख़त्म .......
दिखता नहीं तो हर शक्स हैरां होता है
सपने झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
जवाब देंहटाएंउसके बाद काँटे ही तो उगते हैं बेबसी की जुबान पर, बढ़िया रचना....
ये जुबान बहुर कुछ कहती हैं, बेबसी में ही सही।
जवाब देंहटाएं☺☺
जवाब देंहटाएंFair and justified creation .thanks
जवाब देंहटाएंआपके इस उत्कृष्ट लेखन के लिए ...आभार ।
जवाब देंहटाएंजबरदस्त ||
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन
बहुत ही बेहतरीन रचना है....:-)
bahut hi sundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावाव्यक्ति ,बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति.
sunder vichaar..
जवाब देंहटाएं