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रविवार, 25 दिसंबर 2011

ज़रा एक नज़र इधर भी………हम भी खडे हैं राह में………ये है मेरा सफ़र


वंदना गुप्ता का खामोश सफ़र




प्रिय मित्रो

सादर ब्लॉगस्ते

इये मित्रो आज क्रिसमस के शुभ अवसर पर काजू और किशमिश खाते हुए मिलते हैं ब्लॉग जगत के एक सक्रियसदस्य सेजी हाँ मैं बात कर रहा हूँ वंदना गुप्ता जी कीदिल्ली के आदर्श नगर में रहते हुए अपने माता-पिता केआदर्शों को मन में संजोये हुए ये लगी हुईं हैं ब्लॉग लेखन द्वारा हिंदी माँ की सेवा मेंइनके पिता तो चाहते थे  किउनकी बेटी आई..एसअधिकारी बने लेकिन बन गयीं ये लेखक और ब्लॉगरअब होनी को जो मंज़ूर होता है वो हीहोता हैअब सोचिये यदि ये आई..एसअधिकारी  बन जाती तो ब्लॉग जगत की रौनक का क्या होताअथवा ब्लॉगर सम्मेलन उबाऊ  हो जातेतो आइये धन्यवाद दें उस दुनिया बनाने वाले को जिन्होंने इस दुनिया कोऔर वंदना गुप्ता जी को बनाया और इन्हें आई..एसअधिकारी नहीं बनायावंदना गुप्ता जी लेखन की विविधविधाओं में लिखती हैं और बाकी बचा-खुचा चलिए इन्हीं से पूछ लेते हैं
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8 टिप्‍पणियां:

  1. वंदना जी,....सुमीत जी द्वारा लिया गया आपका साक्षात्कार पढकर बहुत अच्छा लगा,आपको और अधिक जानने का अवसर मिला,भविष्य में इसी तरह ब्लॉग जगत में आपका नाम रोशन हो,..
    मेरी बहुत२ शुभकामनाए,क्रिसमस की बधाई....

    मेरे नए पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--"बेटी और पेड़"--में click करे

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  2. वंदना जी आपकी यात्रा हमने नुक्कड़ पर ही तय कर ली.ब्लॉग्गिंग में आपसी विदुषी कोई और नहीं.आपकी लगन को सलाम आपकी लेखन यात्रा का सदा से कायल बधाई

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  3. वंदना जी बधाई। साक्षात्‍कार पढ़ लिया। पर अफसोस कि इससे आपके बारे में कुछ नई जानकारी नहीं मिली। न ही किसी विषय पर कोई गंभीर टिप्‍पणी।

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  4. बढ़िया,रोशन हो ब्लॉग जगत में आपका नाम,बधाई.
    v7: स्वप्न से अनुराग कैसा........

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  5. क्या बात है :) बढ़िया जी बढ़िया.

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