वंदना गुप्ता का खामोश सफ़र
प्रिय मित्रो
सादर ब्लॉगस्ते!
आइये मित्रो आज क्रिसमस के शुभ अवसर पर काजू और किशमिश खाते हुए मिलते हैं ब्लॉग जगत के एक सक्रियसदस्य से. जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ वंदना गुप्ता जी की. दिल्ली के आदर्श नगर में रहते हुए अपने माता-पिता केआदर्शों को मन में संजोये हुए ये लगी हुईं हैं ब्लॉग लेखन द्वारा हिंदी माँ की सेवा में. इनके पिता तो चाहते थे किउनकी बेटी आई.ए.एस. अधिकारी बने लेकिन बन गयीं ये लेखक और ब्लॉगर. अब होनी को जो मंज़ूर होता है वो हीहोता है. अब सोचिये यदि ये आई.ए.एस. अधिकारी बन जाती तो ब्लॉग जगत की रौनक का क्या होताअथवा ब्लॉगर सम्मेलन उबाऊ न हो जाते. तो आइये धन्यवाद दें उस दुनिया बनाने वाले को जिन्होंने इस दुनिया कोऔर वंदना गुप्ता जी को बनाया और इन्हें आई.ए.एस. अधिकारी नहीं बनाया. वंदना गुप्ता जी लेखन की विविधविधाओं में लिखती हैं और बाकी बचा-खुचा चलिए इन्हीं से पूछ लेते हैं.
आगे पढ़ें...
आगे पढ़ें...
वंदना जी,....सुमीत जी द्वारा लिया गया आपका साक्षात्कार पढकर बहुत अच्छा लगा,आपको और अधिक जानने का अवसर मिला,भविष्य में इसी तरह ब्लॉग जगत में आपका नाम रोशन हो,..
जवाब देंहटाएंमेरी बहुत२ शुभकामनाए,क्रिसमस की बधाई....
मेरे नए पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--"बेटी और पेड़"--में click करे
वंदना जी आपकी यात्रा हमने नुक्कड़ पर ही तय कर ली.ब्लॉग्गिंग में आपसी विदुषी कोई और नहीं.आपकी लगन को सलाम आपकी लेखन यात्रा का सदा से कायल बधाई
जवाब देंहटाएंवंदना जी बधाई। साक्षात्कार पढ़ लिया। पर अफसोस कि इससे आपके बारे में कुछ नई जानकारी नहीं मिली। न ही किसी विषय पर कोई गंभीर टिप्पणी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया...
जवाब देंहटाएंbadiya.
जवाब देंहटाएंबढ़िया,रोशन हो ब्लॉग जगत में आपका नाम,बधाई.
जवाब देंहटाएंv7: स्वप्न से अनुराग कैसा........
क्या बात है :) बढ़िया जी बढ़िया.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाए...
जवाब देंहटाएं