पहचान प्रश्नचिन्ह तो नहीं
पहचान तो खुद बोलती है
बिना किसी शब्द के
बिना किसी मोल भाव के
पहचान तो बनती ही है
फिर चाहे जड़ हो या चेतन
चाहे कोई भी रूप हो रंग हो
बिना पहचान के तो अस्तित्व बोध नहीं
हवा की भी तो पह्चान है ना
गुजरती है तो स्पर्श करती है ना
जो दृश्यमान नही फिर भी
अपनी पहचान दे जाती है
फिर इंसान तो एक बोलती घडी है समय की
रुकने से पहले अपनी पहचान बनाता ही है
चाहे अच्छी हो या बुरी
यूँ ही नही बनते शेक्सपीयर या लिंकन
यूं ही नहीं याद किया जाता
सिर्फ़ नाम ही पहचान नही बन गया
एक पहचान ने ही तो नाम अमर कर दिया.........
पहचान पर तो प्रश्नचिन्ह लग ही नहीं सकता ..........
पहचान को अच्छे और सटीक शब्द दिए हैं
जवाब देंहटाएंBilkul theek kah rahee ho. Apnee pahchaan to bantee hee hai....chahe baad me bhula dee jay...
जवाब देंहटाएंपहचान तो उन्मुक्त अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना....
जवाब देंहटाएंसटीक शब्दों में गूढ़ अभिव्यक्ति..
सादर.
क्या बात कही है.एकदम सटीक.
जवाब देंहटाएंपहचान की सटीक परिभासा निकलकर आरही है आपकी इस कविता में. सर्वोचित विश्लेषण भी
जवाब देंहटाएंसच है जगत में जगत में हर किसी की अपनी पहचान है........सुन्दर पोस्ट|
जवाब देंहटाएंपहचान पाना ही तो इंसान का लक्ष है दुनिया कि भीड़ में अपने नाम कि पहचान बनाना यूं तो सभी इंसान होते है मगर वो गीत है न रंगीला फिल्म का बड़े-बड़े लोगों में अपना भी नाम तो हो पहचान तो हो.....
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
सही कहा आपने, अगर पहचान मिल जाए तो उसपर प्रश्नचिंह कैसा ?
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने.... सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर....
पहचान कभी मिटती नहीं ... तभी तो लेखनी कमाल कर गई
जवाब देंहटाएंसशक्त और प्रभावशाली रचना.....
जवाब देंहटाएंsundar prastuti.....
जवाब देंहटाएंapna astitva kaayam rakhne ke liye pahchaan banana jaroori hai.pahchaan hi ek saarthak abhivyakti hai.bahut achcha likha hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सही और सटीक बात कही संगीता जी आपने..गूढ़ अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएं...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएं...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंपहचान ही तो इंसान को इंसान बनती हैं ..
जवाब देंहटाएंpahchaan par sateek abhivyakti.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता... नई पहचान दे रही है प्रेम को
जवाब देंहटाएंवाह जी बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी पहचान है...सही और सटीक बात की सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएं"पहचान तो खुद बोलती है बिना किसी शब्द के"
जवाब देंहटाएंसही कहती है आपकी रचना पहचान पर तो प्रश्नचिन्ह लग ही नहीं सकता ... गहन अभिव्यक्ति... आभार
behtareen...
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बेहद खूबसूरत और सटीक विवरण ...इस पहचान का
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंpahchan ko achchhi pahchan di hai aapne.
जवाब देंहटाएंpahchaan par wakai prashnchinh nahi lag sakta..behtarin rachna..sadar badhayee aaur amantran ke sath
जवाब देंहटाएंपहचान को बखूबी परिभाषित किया गया है.
जवाब देंहटाएंसंसार में हर चीज की पहचान है,जीव हो या निर्जीव सबका अपना२ नाम है,पहचान की सुंदर
जवाब देंहटाएंविवेचना,....बेहतरीन पोस्ट,....
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पहचान से नाम बढ़िया कहा है .
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha aapne...
जवाब देंहटाएंपहचान को समग्रता से पहचानती हुई सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंsundar kavita
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