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गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

पहचान प्रश्नचिन्ह तो नहीं


पहचान प्रश्नचिन्ह तो नहीं
पहचान तो खुद बोलती है
बिना किसी शब्द के
बिना किसी मोल भाव के
पहचान तो बनती ही है 
फिर चाहे जड़ हो या चेतन
चाहे कोई भी रूप हो रंग हो 
बिना पहचान के तो अस्तित्व बोध नहीं 
हवा की भी तो पह्चान है ना 
गुजरती है तो स्पर्श करती है ना 
जो दृश्यमान नही फिर भी 
अपनी पहचान दे जाती है 
फिर इंसान तो एक बोलती घडी है समय की 
रुकने से पहले अपनी पहचान बनाता ही है 
चाहे अच्छी हो या बुरी 
यूँ ही नही बनते शेक्सपीयर या लिंकन
यूं ही नहीं याद किया जाता 
सिर्फ़ नाम ही पहचान नही बन गया 
एक पहचान ने ही तो नाम अमर कर दिया.........
पहचान पर तो प्रश्नचिन्ह लग ही नहीं सकता ..........

35 टिप्‍पणियां:

  1. Bilkul theek kah rahee ho. Apnee pahchaan to bantee hee hai....chahe baad me bhula dee jay...

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  2. पहचान तो उन्मुक्त अभिव्यक्ति है।

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  3. अच्छी रचना....
    सटीक शब्दों में गूढ़ अभिव्यक्ति..
    सादर.

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  4. पहचान की सटीक परिभासा निकलकर आरही है आपकी इस कविता में. सर्वोचित विश्लेषण भी

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  5. सच है जगत में जगत में हर किसी की अपनी पहचान है........सुन्दर पोस्ट|

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  6. पहचान पाना ही तो इंसान का लक्ष है दुनिया कि भीड़ में अपने नाम कि पहचान बनाना यूं तो सभी इंसान होते है मगर वो गीत है न रंगीला फिल्म का बड़े-बड़े लोगों में अपना भी नाम तो हो पहचान तो हो.....
    सार्थक अभिव्यक्ति

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  7. सही कहा आपने, अगर पहचान मिल जाए तो उसपर प्रश्नचिंह कैसा ?

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  8. सही कहा है आपने.... सुन्दर प्रस्तुति...
    सादर....

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  9. पहचान कभी मिटती नहीं ... तभी तो लेखनी कमाल कर गई

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  10. apna astitva kaayam rakhne ke liye pahchaan banana jaroori hai.pahchaan hi ek saarthak abhivyakti hai.bahut achcha likha hai.

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  11. बहुत सही और सटीक बात कही संगीता जी आपने..गूढ़ अभिव्यक्ति..

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  12. पहचान ही तो इंसान को इंसान बनती हैं ..

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  13. खूबसूरत कविता... नई पहचान दे रही है प्रेम को

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  14. सबकी अपनी पहचान है...सही और सटीक बात की सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  15. "पहचान तो खुद बोलती है बिना किसी शब्द के"

    सही कहती है आपकी रचना पहचान पर तो प्रश्नचिन्ह लग ही नहीं सकता ... गहन अभिव्यक्ति... आभार

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  16. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  17. बेहद खूबसूरत और सटीक विवरण ...इस पहचान का

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  18. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  19. pahchaan par wakai prashnchinh nahi lag sakta..behtarin rachna..sadar badhayee aaur amantran ke sath

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  20. संसार में हर चीज की पहचान है,जीव हो या निर्जीव सबका अपना२ नाम है,पहचान की सुंदर
    विवेचना,....बेहतरीन पोस्ट,....

    मेरे पोस्ट के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे

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  21. पहचान से नाम बढ़िया कहा है .

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  22. पहचान को समग्रता से पहचानती हुई सुंदर कविता।

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