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गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011

मोहब्बत जडाऊ नहीं होती

चाहती थी प्रीत बंजारन
के पांव में बिछुए पहनाना 
मोहब्बत के नगों से जड़कर
बनाना चाहती थी
एक नयी इबारत
एक नयी उम्मीद
एक नया अहसास
मोहब्बत के लिबास का
पर मोहब्बत ने कब
लिबास पहना है
कब  नग बन
किसी अहसास में उतरी है
मोहब्बत न तो कभी
बेपर्दा हुयी है
और न ही कभी
लिबास में ढकी है
मोहब्बत ने तो 
हर युग में
हर काल में
एक नयी इबारत गढ़ी है 
और हर रूह को छूती
हवा सी बही है
और बंजारे कब कहीं 
ठहरे हैं
फिर प्रीत बंजारन को
कैसे कोई छाँव मिलती
जो किसी नगीने सी 
किसी जेवर में जड़ी जाती 
शायद तभी
मोहब्बत जडाऊ नहीं होती .........

37 टिप्‍पणियां:

  1. बंजारों का जो जीवन है,अगर आम आदमी उसे मानसिक रूप से ही स्वीकार कर ले,तो इस लोक और उस लोक- दोनों के बीच मुहब्बत की कड़ी जुड़ सकती है।

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  2. दिल को छू लेने वाली सुंदर कविता. आभार. दशहरा बहुत-बहुत मुबारक .

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  3. मोहब्बत ने तो हर युग में
    हर काल में
    एक नयी इबारत गढ़ी है
    और हर रूह को छूती
    हवा सी बही है...

    वाह! सुन्दर रचना....
    विजयादशमी की सादर बधाइयां....

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  4. बंजारे कब कहीं ठहरे हैं --सही कहा ।
    दशहरे की शुभकामनायें ।

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  5. बहुत सुन्दर..हर पंक्ति ख़ूबसूरत..

    विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. शायद तभी
    मोहब्बत जडाऊ नहीं होती ...
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं...
    सुन्दर सत्य,
    मन को छू गई रचना..

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  7. हमेशा का बंजारा है मन जो कहीं टिकता नहीं ,
    आपकी रचना एकदम खरी है !

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  8. अतिसुन्दर।विजयादशमी पर आपको सपरिवार शुभकामनायें।

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  9. प्यार को प्यार ही रहने दो......

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  10. UMDA RACHNA KE LIYE AAPKO BADHAAEE
    AUR SHUBH KAMNA

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  11. behad shandaar rachna..aapko hardik badhayee..vijay dashmi ki dher sari shubhkamnaon ke sath

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  12. प्यार को प्यार ही रहने दो तो बेहतर है .....!

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  13. विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।

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  14. बड़ा ही नूतन प्रयोग किया है आपने इस कविता में।
    विजयदशमी की शुभकामनाएं।

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  15. बेहतरीन काव्य ,विजय दशमी की शुभकामनाये

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  16. मोहब्बत जडाऊ नहीं होती...
    वह खुद ही चमकती है...
    किसी गहने की ज़रुरत नहीं होती....!!
    खूबसूरत रचना ...!!

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  17. बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति । धन्यवाद .

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  18. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  19. सार्थक बहुत खूब बधाई हो आपको वंदना जी
    आप सभी को दीपोत्सव(दीपावली) की अग्रिम शुभकामनाएं....
    सभी मित्रों से अनुरोध है की अब मेरा ब्लाग फेसबुक पर भी है कृपया जरुर अनुसरण करे अगर आपको मेरा ब्लाग पसंद हो तो जरुर लाइक करें(फालो मी)लिंक नीचे है
    मित्र-मधुर परिवार
    MADHUR VAANI
    MITRA-MADHUR

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  20. wakai mohabbat jadau nahi hoti..aapki is behtarin kriti ko naman aaur iske srijankarta ko dher sari badhayiyan,,sadar pranam ke sath

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  21. 'और बंजारे कब कहीं ठहरे हैं '
    ............सुन्दर,भावपूर्ण प्रस्तुति

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  22. फिर प्रीत बंजारन को कैसे छाँव मिलती , मुहब्बत जो जडाऊ नहीं होती ...
    बहुत सुन्दर !

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  23. बहुत खूब शानदार लगी पोस्ट|

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  24. मोहब्बत न तो कभी बेपर्दा हुयी है
    और न ही कभी लिबास में ढकी है

    बहुत सुंदर ! आकर अच्छा लगा !

    ____________________________
    किसे जलाये - रावण को या राम को ???

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  25. सर्वप्रथम विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनायें…भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई……

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  26. Pyar aatma ki parchhai hai
    Ishq ishwar ki ibadat
    aur Mohabbat zindagi ka maksad....शायद यह लोग समझ जाएँ तो शायद पूरी दुनिया में सिर्फ प्यार ही प्यार हो तब कहा जासकता है की हर दिल रूपी आभूषण में मोहब्बत जड़ाऊ हो सकती है :)

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  27. शायद तभी
    मोहब्बत जडाऊ नहीं होती ...

    बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति.

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  28. मोहब्बत ने एक नई इबारत गढ़ी है...
    कविता के भाव बहुत अच्छे लगे।

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  29. सुन्दर बिम्ब के साथ उत्कृष्ट कविता।

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