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रविवार, 24 जुलाई 2011

बहुत दिन हुये तुमने कुछ कहा नही

बहुत दिन हुये
तुमने कुछ कहा नही
तुम कुछ कहते क्यों नही
देखो ना सारे पन्ने कोरे पडे हैं
बताओ अब इनमे
कौन सी ताबीर लिखूँ
तुम्हारा ना दर्द है अब मेरे पास
और ना ही कोई सुबह
जिसमे तुमने कुछ
ख्वाब बोये हों
बताओ ना क्या लिखूँ
ज़िन्दगी के हर पन्ने पर
सिर्फ़ तुम्हारे ही तो
रंग उकेरती हूँ
तुम जानते हो
और जब तुम कुछ नही कहते
तो सोचो ना
कितनी बेरंग हो जाती हूँ
मै और मेरे पन्ने
क्या तुम कभी
पढना चाहोगे बेरंग पन्नों को
मेरे जाने के बाद
कैसे उनमे मुझे ढूँढोगे
कैसे उनमे से अपने प्रेम की
चिलमन उठाओगे
और दीदार करोगे इन्द्रधनुष का
जिसमे बरसात के बाद
सुनहरी धूप खिली होगी
और उनमे तुम्हारा अक्स
चस्पां होगा
बताओ ना कैसे तुम
खुद का दीदार मेरी
आंखो से करोगे
तुम्हे कुछ तो कहना ही होगा
मेरे लिये ना सही
कम से कम अपने लिये तो कहो
यही तो अनमोल सौगात
तुम्हे देने के लिये
लिख रही हूँ
शायद कभी तुम पढो
और उनमे कभी खुद को
और कभी मुझे देखो
और लफ़्ज़ों मे मुझे
छूने की , महसूसने की
कोशिश करो
देखना उस पल
तुम्हारी आँखों से ट्पकते
आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
उन्हे मै पी रही होंगी
और तुम्हारा गम जी रही होंगी

जानते हो ………
मोहब्बत का इक ताजमहल

ऐसे भी बनाया जाता है…………

40 टिप्‍पणियां:

  1. अरे मैं तो समझी कि तुम मुझसे कह रही हो, कविता पढ़ी तो लगा कि किसी और से कहा है. बहुत सुंदर रचना. एक मुद्दत बाद कुछ समय दे पा रही हूँ.

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  2. Haan...aisebhee ek muhobbatkaa tajmahal banaya jaa sakta hai! Tumhare jitnee samvedansheelta to zaroor chahiye uske liye!

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  3. तुम्हारी आँखों से ट्पकते
    आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
    उन्हे मै पी रही होंगी
    और तुम्हारा गम जी रही होंगी
    जानते हो ………
    मोहब्बत का इक ताजमहल
    ऐसे भी बनाया जाता है…………

    कमाल के अहसास..बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..आभार

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  4. बहुत ही सलीके से लिखी एक सुन्दर भावार्थ से सजी कविता बधाई वन्दना जी

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सलीके से लिखी एक सुन्दर भावार्थ से सजी कविता बधाई वन्दना जी

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  6. कमाल की अभिव्यक्ति है आपकी,वंदनाजी.
    भावाकाश में कितनी ऊँची उडान भर लेतीं हैं आप.
    हमारी तो आँखें खोजतीं ही रह जातीं हैं आपकी इस ऊँची उडान को .
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  7. तुम्हारी आँखों से ट्पकते
    आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
    उन्हे मै पी रही होंगी
    और तुम्हारा गम जी रही होंगी
    जानते हो ………
    मोहब्बत का इक ताजमहल
    ऐसे भी बनाया जाता है…………

    ज़बरदस्त भावों से लबरेज़ पंक्तियाँ.वाह वंदना जी वाह.

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  8. बहुत खूब ...
    गज़ब की कल्पना है ... मुहब्बत के ताज महल की ... लाजवाब ...

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  9. dil ki gaharaaiyon se nikle hue shabd jajbaat.bahut achchi rachna.

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  10. वंदना जी आपकी रचनाये यथार्थ के बिलकुल नजदीक होती है. ऐसा लगता है कही आसपास से उठाया है प्रसंग. बधाई..

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  11. a heart touching poem .
    हम खामोश थे यह सोच कर कि वो पढ लेंगे मेरी निगाहों को ..
    इक मुद्दत के बाद अहसास ये दिल को हुआ , वो सुनने और कहने में यकी रखते थे .....

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  12. अद्भुत अभिव्यक्ति वंदना जी..धन्यवाद.

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  13. बेहतरीन अभिव्यक्ति ....
    शुभकामनायें आपको !

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  14. अंतर्मन को उद्देलित करती पंक्तियाँ, बधाई

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  15. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग इस ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो हमारा भी प्रयास सफल होगा!

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  16. विरह को दर्द की मिठास में घोल के पकाया है ये गीत .बहुत सुन्दर अप्रतिम प्रस्तुति .शब्दों का संयोजन सिर चढ़के बोले है भाव के अनुरूप .

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  17. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति, बधाई

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  18. बहुत खूबसूरती से उकेरे हैं जज़्बात ... खूबसूरत रचना

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  19. संवाद ज़ारी रहे ..
    कविता के भाव मन को छूते हैं।

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  20. मोहब्बत का ताजमहल ऐसे भी बनाया जाता है....
    ...सुंदर भाव।

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  21. कल्पनायें जीने का सम्बल हैं। इन्हीं से तो कितने ताजमहल बनते हैं\ सुन्दर रचना बधाई। कल की बातचीत के लिये शुक्रिया। देखो आज हाजिर हो गयी।

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  22. तुम्हारी आँखों से ट्पकते
    आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
    उन्हे मै पी रही होंगी
    और तुम्हारा गम जी रही होंगी
    जानते हो ………
    मोहब्बत का इक ताजमहल
    ऐसे भी बनाया जाता है…………

    सुन्दर कल्पना...

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  23. दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  24. बहुत बढ़िया , उम्दा लिखा है . बधाई

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  25. वंदना जी,
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम""सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

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  26. Badi himmat karke apn i pratikriya de raha hun...
    Bahut acchhi rachna.. Aabhar...

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  27. तुम्हारी आँखों से ट्पकते
    आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
    उन्हे मै पी रही होंगी
    और तुम्हारा गम जी रही होंगी
    जानते हो ………
    मोहब्बत का इक ताजमहल
    ऐसे भी बनाया जाता है…………
    ye to prem ki parakashtha hai...kitna ander tak ghav ker rahi hain ye lines... bahut sunder...
    blog ki duniya me mere kadam naye hain.. kabhi wahan bhi aiye, achha lagega..

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