चलो अच्छा हुआ
अब दहलीज को
लांघकर निकल
जाते हैं लोग
वरना आस के पंख
कब तक इंतजार की
धडकनें गिनते
यूँ भी अब कहाँ
लोग बनाते हैं
दहलीज घरों में
ये तो कुछ
वक्त के निशाँ हैं
जिन्हें दहलीजें
समेटे बैठी हैं
वरना दहलीजें तो
अब सिर्फ उम्र की
हुआ करती हैं
रिश्तों की नहीं ...........
शायद तभी
रिश्तों की दहलीज
लाँघ गए तुम ............
बेनाम दहलीजों को कब नाम मिले हैं .............
अब दहलीज को
लांघकर निकल
जाते हैं लोग
वरना आस के पंख
कब तक इंतजार की
धडकनें गिनते
यूँ भी अब कहाँ
लोग बनाते हैं
दहलीज घरों में
ये तो कुछ
वक्त के निशाँ हैं
जिन्हें दहलीजें
समेटे बैठी हैं
वरना दहलीजें तो
अब सिर्फ उम्र की
हुआ करती हैं
रिश्तों की नहीं ...........
शायद तभी
रिश्तों की दहलीज
लाँघ गए तुम ............
बेनाम दहलीजों को कब नाम मिले हैं .............
बहुत बढिया रचना है बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंShayad dahleez langhme ke liye hi hote hai .achchha likhaachchha likha
जवाब देंहटाएंवरना दहलीजें तो
जवाब देंहटाएंअब सिर्फ उम्र की
हुआ करती हैं
रिश्तों की नहीं .......
बहुत खूबसूरत बिम्ब दिया है ... अच्छी रचना
आज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
आदरणीय वन्दना जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
अद्भुत अभिव्यक्ति बहुत बढिया इतनी खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद|
अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
गजब है आपका वंदना जी.
जवाब देंहटाएंअजब प्रस्तुति कर देतीं हैं आप
क्यूंकि आप पर उसकी कृपा है.
और'आपे' की दहलीज के पार जा कर
ही आपकी यह सुन्दर अभिव्यक्ति है.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
बहुत बेहतरीन रचना!
जवाब देंहटाएंसोचने के लिए बाध्य करती हुई!
सुन्दर कविता... दहलीज़ का विम्ब अच्छा बना है...
जवाब देंहटाएंमहोदय/ महोदया जी,
जवाब देंहटाएंअब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा! मेरे इस पते पर अपनी रचना भेजें sonuagra0009@gmail.com या आप मेरे ब्लॉग “स्मस हिन्दी” मे टिप्पणि के रूप में भी अपनी रचना भेज सकते हो.
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मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
चलो अच्छा हुआ
जवाब देंहटाएंअब दहलीज को
लांघकर निकल
जाते हैं लोग
वरना आस के पंख
कब तक इंतजार की
धडकनें गिनते
आपने प्रतीकों में बहुत गहरी बात कही है। रिश्ते निभाते लोग कम मिलते हैं, लांघते ज़्यादा।
वरना दहलीजें तो
जवाब देंहटाएंअब सिर्फ उम्र की
हुआ करती हैं
रिश्तों की नहीं .........
सुन्दर अभिव्यक्ति........
सुन्दर अभिव्यक्ति ...बहुत खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंबड़ी ही भावप्रवण रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंदहलीज को प्रतीक बनाकर ज़िंदगी से जुड़े एक अहम् सवाल को मुखरित किया है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्त, दहलीज के नए नए सार्थक अर्थों के साथ.
जवाब देंहटाएंLife is Just a Life
विचारणीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंvicharniye prastuti sahi me rishton ki dahleej aajkal kam hoti ja rahi hain.
जवाब देंहटाएंवंदना जी यही होना ही चाहिए। दहलीजों को लंधना ही होगा वह भी वैसे दहलीज को जो है ही नहीं......बहुत सशक्त रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंवन्दना जी ,बहुत ख़ूबसूरत लगी कविता ......
जवाब देंहटाएंन जाने कितनी सीमायें छिपी छिपी ही रह गयीं।
जवाब देंहटाएंदहलीजें तो अब सिर्फ उम्र की हुआ करती हैं........वाह वंदना जी बहुत गहरी बात कही है आपने......शानदार|
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 14-07- 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएंनयी पुरानी हल चल में आज- दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा -
वाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंवरना दहलीजें तो
जवाब देंहटाएंअब सिर्फ उम्र की
हुआ करती हैं
रिश्तों की नहीं ...........
..बेनाम दहलीजों को कब नाम मिले हैं ..........
बहुत सारगर्भित और मर्मस्पर्शी रचना..आप की रचना की Punch line का तो कोई ज़वाब नहीं होता..बहुत सुन्दर. आभार
गहरी बात कह दी ... उम्र की डलहीज होती है ... रिश्तों की दहलीज की बात कौन करे ... बहुत लाजवाब प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ...बहुत खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप सभी का थोड़ा सा सहयोग चाहता हूँ कृपया मेरे लेखो पर थोरी द्रष्टि डाले और मुझे महत्वपूर्ण सुझाव दे
सुन्दर बिम्ब रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
अब दहलीज को
जवाब देंहटाएंलांघकर निकल
जाते हैं लोग
sachchayee ko bade nazuk andaz men chitrit kar diya......bahut sunder.
वरना दहलीजें तो
जवाब देंहटाएंअब सिर्फ उम्र की
हुआ करती हैं
रिश्तों की नहीं ...........
शायद तभी
रिश्तों की दहलीज
लाँघ गए तुम ............
बहुत खूबसूरत ,अच्छी रचना
मर्मस्पर्शी रचना...आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति.......
जवाब देंहटाएं