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शुक्रवार, 24 जून 2011

कहो ना ..........

उस दिन जब तुमने
उसे पसंद किया
और मैंने भी छुआ
तो एक तरंग सी
अहसासों से गुजर गयी
एक नमकीन सा अहसास
दिल में धड़क गया
स्पर्श का ऐसा अहसास
तो पहले कभी नहीं हुआ था
क्या तरंगें वस्तुओं से भी
पहुँचती हैं या हमारे दिल

इतने जुड़ चुके हैं कि
तरंगे वस्तुओं से गुजरकर
भी हम तक पहुँच जाती हैं
ये कैसे संकेत हैं
क्या प्रेम की तरंगें
इतनी गहरी होती हैं
या प्रेम तरंगें ऐसे ही बहती हैं
बिना माध्यम के
दिल की तारों पर
मचलते स्पंदनों में
ए क्या तुम्हारे साथ भी
ऐसा होता है
क्या तुमने भी कभी
मुझे यूँ ही महसूस किया है
बिना स्पर्श के
मगर अहसास और अनुभूति में
जीवंत किया हो
कहो ना ..........

32 टिप्‍पणियां:

  1. इसी को तो telepathy कहते है वंदना जी ,. बहुत ही मनभावन कविता , छूती हुई .. मन को .
    आभार आपका !!

    विजय

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  2. क्या प्रेम की तरंगें
    इतनी गहरी होती हैं
    या प्रेम तरंगें ऐसे ही बहती हैं
    बिना माध्यम के
    दिल की तारों पर
    मचलते स्पंदनों में

    प्रेम न बाड़ी उपजे , प्रेम ना हाट बिकाय...
    यह तो स्वतः ही हो जाता है
    और जिसको यह होता है फिर उसे पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है ....!

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  3. एक तरंग सी
    अहसासों से गुजर गयी
    एक नमकीन सा अहसास
    दिल में धड़क गया
    स्पर्श का ऐसा अहसास
    तो पहले कभी नहीं हुआ था..
    --
    बहुत ही सुन्दर और सशक्त रचना!

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  4. सर्वोत्क्रिस्ट अहसासों से लबरेज ,बेहद साफगोई से व्यक्त होता कोमल अहसास, आपके हृदय लो आयाम दे रहा है सच्ची कविता के लिए बधाई

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  5. वाह .. अन्तिम पंक्तियां बहुत ही खूबसूरत भाव लिये हुये ..बेहतरीन ।

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  6. telepathy... sparsh se hee nahi ham kahi apno se door ho kar bhi unke bhavo ko samajh sakte hai... agar hamre taar tarang jude hai... aur isi ko darshati aapki kavita achhi lagi..

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  7. या प्रेम तरंगें ऐसे ही बहती हैं
    बिना माध्यम के
    दिल की तारों पर
    मचलते स्पंदनों में

    हाँ इसी को कहते हैं ..बहुत खूबसूरत एहसास

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  8. अहसासों से गुजर गयी
    एक नमकीन सा अहसास
    दिल में धड़क गया
    स्पर्श का ऐसा अहसास
    तो पहले कभी नहीं हुआ था...... एहसासों से लबरेज इस रचना को पोस्ट करने के लिए आपका आभार ...!

    वाह वाह.

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  9. क्या प्रेम की तरंगें
    इतनी गहरी होती हैं
    या प्रेम तरंगें ऐसे ही बहती हैं
    बिना माध्यम के .........कहो ना ..........

    बहुत ही सुन्दर प्यार भरे सवाल पूछती सी पंक्तियाँ........ प्यारा सा आग्रह... अन्तिम पंक्तियां बहुत ही खूबसूरत लग रहीं हैं... कहो ना .......

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  10. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (25.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  11. bahut achha..
    kripya mere bhi blog me aaye..
    www.pradip13m.blogspot.com

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  12. आपकी लेखनी की तरंगे दिल तक पहुंचती है.बहुत ही सुन्दर

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  13. मन से मन बातें करता है,
    कौन कहे यह चुप रहता है।

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  14. दिल के तारों की झंकार सुनाई दे रही है इस रचना में । बहुत रूमानी ।

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  15. ये प्रेम की तरंग है, ऐसे ही बहती है..

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  16. क्या तुमने भी कभी
    मुझे यूँ ही महसूस किया है
    बिना स्पर्श के
    मगर अहसास और अनुभूति में
    जीवंत किया हो
    कहो ना ........

    बहुत सुंदर प्रश्न करता ख्याल वंदनाजी .....

    बेहतरीन कविता

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  17. दिल के तार जुड़ते हैं बेतार भी ....
    सुन्दर !

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  18. जरुर किया होगा |

    आपका एहसास, क्यूँ नहीं करेगा वो |
    इतनी शिद्दत से, पुकारा जायेगा जो ||

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  19. क्या प्रेम की तरंगें
    इतनी गहरी होती हैं
    या प्रेम तरंगें ऐसे ही बहती हैं
    बिना माध्यम के
    दिल की तारों पर
    मचलते स्पंदनों में ....बहुत ही सुन्दर और सशक्त रचना!

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  20. स्पर्श का ऐसा अहसास
    तो पहले कभी नहीं हुआ था
    क्या तरंगें वस्तुओं से भी
    पहुँचती हैं या हमारे दिल
    इतने जुड़ चुके हैं कि तरंगे वस्तुओं से गुजरकर
    भी हम तक पहुँच जाती हैं


    बहुत ही सुंदर कविता ... और बहुत ही गहरे भाव !

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  21. हाँ जी ऐसा होता है कभी-कभी......जब प्रेम बहुत गहन हो जाता है|

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  22. वाह....सादगी से गहरे भावों को अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना....
    सादर..

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  23. क्या प्रेम की तरंगें
    इतनी गहरी होती हैं
    या प्रेम तरंगें ऐसे ही बहती हैं
    बिना माध्यम के
    दिल की तारों पर
    मचलते स्पंदनों में

    प्रेम की तरंगे तो मन को कभी भी स्पंदित करने में समर्थ है.

    सुंदर रचना.

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  24. वाह ... तरंकों का भी अपना महत्त्व होता है प्रेम बंधन में ..

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  25. स्पन्दन अच्छा है।


    अति सूधो प्रेम कै मारग है जहाअँ नैकु सयानप बाँक नहीं।


    ..सुन्दर

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