आज एक साया
धुंध का कम्बल
लपेटे मेरे दिल के
दरवाज़े पर दस्तक
दे गया
चेहरा नज़र ही
नहीं आया
कौन था कैसा था
मगर फिर भी
ना जाने किस
अधिकार से
वो सब कह गया
जो मैं सुनना
चाहती रही
शायद इसी के लिए
तो जीती रही
वो आया एक
खामोश तूफ़ान
बनकर
बोला तो दास्ताँ
बन गयी
कहता था---------
ओ अन्दर ही अन्दर
खुद से लड़ने वाली
मगर कभी ना
स्वीकारने वाली
तुझे आज मैं
मोहब्बत सिखा जाऊँ
कुछ लम्हे मोहब्बत के
तुझमे भी बो जाऊँ
मोहब्बत से इतना
गिला क्यूँकर
हर दिल में इक
सागर समाया है
फिर तुझमे इतना
गरल क्यूँकर
आ आज मोहब्बत की
सांसें तुझमे फूंक जाऊँ
जब भी सांस ले तो
मोहब्बत ही साँसों में
उतर जाये
हर सांस के साथ
मोहब्बत का ही
आगाज़ हो जाए
आज तेरे दिल
के मरघट में
मोहब्बत के कुछ
गुलाब उगा जाऊँ
फिर हर गुलाब में
तुझे सिर्फ मोहब्बत के
पंख ही मिलें
हर गुलाब तुझमे
मोहब्बत की धडकनें
बिछा जाए
तू ओढ़कर मोहब्बत
की चादर प्रेम
दीवानी हीर बन जाये
बस तू एक बार
मुझे खुद में
उतरने तो दे
एक बार दिल की
इबारत पढने तो दे
दिल की वादी में
मोहब्बत ही मोहब्बत होगी
और तू मोहब्बत की
बिखरी चाँदनी की
श्वेत धवल चादर पर
पाँव जब रखेगी
एक नूर की बूँद
तेरे स्वागत को तरसेगी
और तू फिर खुद
मोहब्बत का गीत बन जाएगी
और जुबाँ तेरी सिर्फ
एक ही गीत गुनगुनायेगी
हाँ ...........मोहब्बत हो गयी मुझे
जैसे भ्रमर ब्रह्म ब्रह्म करते करते
ब्रह्म ही बन जाता है वैसे ही
तू भी मोहब्बत मोहब्बत
करते करते
मोहब्बत ही बन जायेगी
फिर ना मोहब्बत से
कभी लड़ पायेगी
इतना कह वो साया
धुंध में विलीन हो गया
और मुझमे मोहब्बत की
इक कनी रोप गया
और अब मोहब्बत ही
मेरी ज़िन्दगी बन गयी
अब तलाशती हूँ
उस साये को
जो मिलकर भी
नहीं मिलता
आह! फ़कीरा
ये तूने क्या किया
प्रेम का प्रेरणा भरा काव्य।
जवाब देंहटाएंअभिभूत कर गया,बीज बो गया।
मोहब्बत और धुंध, बहुत समानता है।
जवाब देंहटाएंवाह....कमाल का लिखतीं हैं आप...प्रेम के बारे में......भावपूर्ण अभिव्यक्ति....मुबारक हो.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के लिए कुछ खास दिल मखसूस होते हैं,
जवाब देंहटाएंयह वो नगमा है,जो हर साज पर गाया नही जाता।
बहुत ही भावुक पोस्ट। नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं।
तुझे आज मैं
जवाब देंहटाएंमोहब्बत सिखा जाऊँ
कुछ लम्हे मोहब्बत के
तुझमे भी बो जाऊँ
मोहब्बत से इतना
गिला क्यूँकर
हर दिल में इक
सागर समाया है
ऐसे धुंध में लिपटे साए की हमेशा जरूरत पड़ती है....जो टूटता विश्वास फिर से जमा जाए.
सुन्दर अभिव्यक्ति
मुहब्बत के जज़्बे से लबरेज़,तमाम सारे खूबसूरत प्रतीक और बिम्ब अपने अन्दर समेटे हुए,सागर की लहरों की तरह हिलोरें लेती हुई इस कविता को एक बार पढ़कर मन नहीं भरा.
जवाब देंहटाएंफिर पढूंगा,फिर पढूंगा,फिर पढूंगा.
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंसुभानाल्लाह......दुआ है.... ये प्रेम का बीज एक विशाल वृक्ष बन जाये......जो सारी स्रष्टि को प्रेम की छाँव दे सके......आमीन|
har dil me ek sagar samaya hai
जवाब देंहटाएंphir tujhme itna garal kyonkar?
bahut sundar abhivyakti...
behad bhawpurn kavita.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावमय करते हुये शब्द ...।
जवाब देंहटाएंप्रेम का प्रेरणा भरा काव्य।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुदंर व भावमयी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंइतना कह वो साया
जवाब देंहटाएंधुंध में विलीन हो गया
और मुझमे मोहब्बत की
इक कनी रोप गया
aur wo muhabbat heere ki kani ban gai
और अब मोहब्बत ही मेरी जिन्दगी बन गई ।
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण रचना.
तुझे आज मैं
जवाब देंहटाएंमोहब्बत सिखा जाऊँ
कुछ लम्हे मोहब्बत के
तुझमे भी बो जाऊँ
मोहब्बत से इतना
गिला क्यूँकर
हर दिल में इक
सागर समाया है
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
khoobsurat!!!!!!!
जवाब देंहटाएं... kyaa kahane !!
जवाब देंहटाएंइतना कह वो साया
जवाब देंहटाएंधुंध में विलीन हो गया
और मुझमे मोहब्बत की
इक कनी रोप गया
और अब मोहब्बत ही
मेरी ज़िन्दगी बन गयी
बहुत ही भावपूर्ण प्रेममयी प्रस्तुति..
तुझे आज मैं
जवाब देंहटाएंमोहब्बत सिखा जाऊँ
कुछ लम्हे मोहब्बत के
तुझमे भी बो जाऊँ
मोहब्बत से इतना
गिला क्यूँकर
हर दिल में इक
सागर समाया है
ऐसे धुंध में लिपटे साए की हमेशा जरूरत पड़ती
है....जो टूटता विश्वास फिर से जमा जाए.
बेहतरीन प्रस्तुति...
बहुत ही गजब की लेखनी ... आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएं१३ जनवरी को पौष माह का आखिरी दिन यानि ठंड का अंत !इसी दिन लोहरी होती है ।
आप हमारे संग लोहरी मनाने हमारे यहाँ आईएगा ।
आभार !
हरदीप
किनारे पर बैठ कर सागर मंथन नहीं होगा, लेखनी बहुत सुघड़ है, पर एक निवेदन है, अब आगे बढ़िए और भीतर जाने का प्रयास करें. आत्म मंथन से नहीं आत्मा के मंथन से अभीष्ट की प्राप्ति होगी.
जवाब देंहटाएंhttp://aghorupanishad.blogspot.com
मेरी टिप्पणी प्रकाशित करने के लिए नहीं आपको प्रकाश देने के लिए है, आपमे असीम संभावनाए दिखी इसलिए लिख दिया आगे हरि इच्छा
जवाब देंहटाएंकौन था कैसा था
जवाब देंहटाएंमगर फिर भी
ना जाने किस
अधिकार से
वो सब कह गया
जो मैं सुनना
चाहती रही
शायद इसी के लिए
तो जीती रही
--
चेतना के तार झंकृत करती हुई बहुत सुन्दर रचना!
बधाई!
थोड़ी लंबी है पर मोहब्बत ही मोहब्बत है ..बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...खुबसूरत....
जवाब देंहटाएंबुढ़ापा.. ..
यह बीज खूब फले फूलें ...यही दुआ है ..खूबसूरत अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण प्रेममयी प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंइतना कह वो साया
जवाब देंहटाएंधुंध में विलीन हो गया
और मुझमे मोहब्बत की
इक कनी रोप गया
और अब मोहब्बत ही
मेरी ज़िन्दगी बन गयी
.....जिसने मोहब्बत को समझ लिया वह तर गया..
खूबसूरत भावपूर्ण रचना
क्या शब्द दिए हैं आपने अपने भावों को ... हमें निशब्द कर दिया ... उम्दा प्रस्तुति ... शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
जवाब देंहटाएंमोहब्बत से इतना
जवाब देंहटाएंगिला क्यूँकर
हर दिल में इक
सागर समाया है
फिर तुझमे इतना
गरल क्यूँकर
गरल कहाँ यहाँ तो अमृत ही अमृत है -
सुंदर रचना -
बधाई -
एक अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंअब तलाशती हूँ
जवाब देंहटाएंउस साये को
जो मिलकर भी
नहीं मिलता
प्रेम और धुंध कहाँ कुछ नज़र आता है..... बेहतरीन रचना
सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......सादर
जवाब देंहटाएंइतना कह वो साया
जवाब देंहटाएंधुंध में विलीन हो गया
और मुझमे मोहब्बत की
इक कनी रोप गया
और अब मोहब्बत ही
मेरी ज़िन्दगी बन गयी
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.......सुन्दर अभिव्यक्ति
.
नये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?