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बुधवार, 12 जनवरी 2011

मोहब्बत के बीज

आज एक साया
धुंध का कम्बल
लपेटे मेरे दिल के
दरवाज़े पर दस्तक
दे गया
चेहरा  नज़र ही
नहीं आया
कौन था कैसा था
मगर फिर भी
ना जाने किस
अधिकार से
वो सब कह गया
जो मैं सुनना
चाहती रही
शायद इसी के लिए
तो जीती रही

वो आया एक
खामोश तूफ़ान
बनकर
बोला तो दास्ताँ
बन गयी
कहता था---------

 ओ अन्दर ही अन्दर
खुद से लड़ने वाली
मगर कभी ना
स्वीकारने वाली
तुझे आज मैं
मोहब्बत सिखा जाऊँ
कुछ लम्हे मोहब्बत के
तुझमे भी बो जाऊँ
मोहब्बत से इतना
गिला क्यूँकर
हर दिल में इक
सागर समाया है
फिर तुझमे इतना
गरल क्यूँकर
आ आज मोहब्बत की
सांसें तुझमे फूंक जाऊँ
जब भी सांस ले तो
मोहब्बत ही साँसों में
उतर  जाये
हर सांस के साथ
मोहब्बत का ही
आगाज़ हो जाए
आज तेरे दिल
के मरघट में
मोहब्बत के कुछ
गुलाब उगा जाऊँ
फिर हर गुलाब में
तुझे सिर्फ मोहब्बत के
पंख ही मिलें
हर गुलाब तुझमे
मोहब्बत की धडकनें
बिछा जाए
तू ओढ़कर मोहब्बत
की चादर प्रेम
दीवानी हीर बन जाये
बस तू एक बार
मुझे खुद में
उतरने तो दे
एक बार दिल की
इबारत पढने तो दे
दिल की वादी में
मोहब्बत ही मोहब्बत होगी
और तू मोहब्बत की
बिखरी चाँदनी की
श्वेत धवल चादर पर
पाँव जब रखेगी
एक नूर की बूँद
तेरे स्वागत को तरसेगी
और तू फिर खुद
मोहब्बत का गीत बन जाएगी
और जुबाँ तेरी सिर्फ
एक ही गीत गुनगुनायेगी
हाँ ...........मोहब्बत हो गयी मुझे
जैसे भ्रमर ब्रह्म ब्रह्म करते करते
ब्रह्म ही बन जाता है वैसे ही
तू भी  मोहब्बत मोहब्बत

करते करते
मोहब्बत ही बन जायेगी
फिर ना मोहब्बत से
कभी लड़ पायेगी

इतना कह वो साया
धुंध में विलीन हो गया
और मुझमे मोहब्बत की
इक कनी रोप गया
और अब मोहब्बत ही
मेरी ज़िन्दगी बन गयी

अब तलाशती हूँ
उस साये को
जो मिलकर भी
नहीं मिलता

आह! फ़कीरा
ये तूने क्या किया

37 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम का प्रेरणा भरा काव्य।
    अभिभूत कर गया,बीज बो गया।

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  2. मोहब्बत और धुंध, बहुत समानता है।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह....कमाल का लिखतीं हैं आप...प्रेम के बारे में......भावपूर्ण अभिव्यक्ति....मुबारक हो.

    जवाब देंहटाएं
  4. मोहब्बत के लिए कुछ खास दिल मखसूस होते हैं,
    यह वो नगमा है,जो हर साज पर गाया नही जाता।
    बहुत ही भावुक पोस्ट। नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. तुझे आज मैं
    मोहब्बत सिखा जाऊँ
    कुछ लम्हे मोहब्बत के
    तुझमे भी बो जाऊँ
    मोहब्बत से इतना
    गिला क्यूँकर
    हर दिल में इक
    सागर समाया है

    ऐसे धुंध में लिपटे साए की हमेशा जरूरत पड़ती है....जो टूटता विश्वास फिर से जमा जाए.
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. मुहब्बत के जज़्बे से लबरेज़,तमाम सारे खूबसूरत प्रतीक और बिम्ब अपने अन्दर समेटे हुए,सागर की लहरों की तरह हिलोरें लेती हुई इस कविता को एक बार पढ़कर मन नहीं भरा.
    फिर पढूंगा,फिर पढूंगा,फिर पढूंगा.

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  7. वंदना जी,

    सुभानाल्लाह......दुआ है.... ये प्रेम का बीज एक विशाल वृक्ष बन जाये......जो सारी स्रष्टि को प्रेम की छाँव दे सके......आमीन|

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  8. har dil me ek sagar samaya hai
    phir tujhme itna garal kyonkar?
    bahut sundar abhivyakti...

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  9. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते हुये शब्‍द ...।

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रेम का प्रेरणा भरा काव्य।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुदंर व भावमयी प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  12. इतना कह वो साया
    धुंध में विलीन हो गया
    और मुझमे मोहब्बत की
    इक कनी रोप गया
    aur wo muhabbat heere ki kani ban gai

    जवाब देंहटाएं
  13. और अब मोहब्बत ही मेरी जिन्दगी बन गई ।
    बेहद भावपूर्ण रचना.

    जवाब देंहटाएं
  14. तुझे आज मैं
    मोहब्बत सिखा जाऊँ
    कुछ लम्हे मोहब्बत के
    तुझमे भी बो जाऊँ
    मोहब्बत से इतना
    गिला क्यूँकर
    हर दिल में इक
    सागर समाया है
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

    जवाब देंहटाएं
  15. इतना कह वो साया
    धुंध में विलीन हो गया
    और मुझमे मोहब्बत की
    इक कनी रोप गया
    और अब मोहब्बत ही
    मेरी ज़िन्दगी बन गयी

    बहुत ही भावपूर्ण प्रेममयी प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
  16. तुझे आज मैं
    मोहब्बत सिखा जाऊँ
    कुछ लम्हे मोहब्बत के
    तुझमे भी बो जाऊँ
    मोहब्बत से इतना
    गिला क्यूँकर
    हर दिल में इक
    सागर समाया है

    ऐसे धुंध में लिपटे साए की हमेशा जरूरत पड़ती
    है....जो टूटता विश्वास फिर से जमा जाए.



    बेहतरीन प्रस्तुति...

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  17. सुन्दर कविता !
    १३ जनवरी को पौष माह का आखिरी दिन यानि ठंड का अंत !इसी दिन लोहरी होती है ।
    आप हमारे संग लोहरी मनाने हमारे यहाँ आईएगा ।

    आभार !
    हरदीप

    जवाब देंहटाएं
  18. किनारे पर बैठ कर सागर मंथन नहीं होगा, लेखनी बहुत सुघड़ है, पर एक निवेदन है, अब आगे बढ़िए और भीतर जाने का प्रयास करें. आत्म मंथन से नहीं आत्मा के मंथन से अभीष्ट की प्राप्ति होगी.
    http://aghorupanishad.blogspot.com

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  19. मेरी टिप्पणी प्रकाशित करने के लिए नहीं आपको प्रकाश देने के लिए है, आपमे असीम संभावनाए दिखी इसलिए लिख दिया आगे हरि इच्छा

    जवाब देंहटाएं
  20. कौन था कैसा था
    मगर फिर भी
    ना जाने किस
    अधिकार से
    वो सब कह गया
    जो मैं सुनना
    चाहती रही
    शायद इसी के लिए
    तो जीती रही
    --
    चेतना के तार झंकृत करती हुई बहुत सुन्दर रचना!
    बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  21. थोड़ी लंबी है पर मोहब्बत ही मोहब्बत है ..बहुत सुन्दर.

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  22. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...खुबसूरत....
    बुढ़ापा.. ..

    जवाब देंहटाएं
  23. यह बीज खूब फले फूलें ...यही दुआ है ..खूबसूरत अभिव्यक्ति ...

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत ही भावपूर्ण प्रेममयी प्रस्तुति| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  25. इतना कह वो साया
    धुंध में विलीन हो गया
    और मुझमे मोहब्बत की
    इक कनी रोप गया
    और अब मोहब्बत ही
    मेरी ज़िन्दगी बन गयी

    .....जिसने मोहब्बत को समझ लिया वह तर गया..
    खूबसूरत भावपूर्ण रचना

    जवाब देंहटाएं
  26. क्या शब्द दिए हैं आपने अपने भावों को ... हमें निशब्द कर दिया ... उम्दा प्रस्तुति ... शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  27. जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

    जवाब देंहटाएं
  28. मोहब्बत से इतना
    गिला क्यूँकर
    हर दिल में इक
    सागर समाया है
    फिर तुझमे इतना
    गरल क्यूँकर

    गरल कहाँ यहाँ तो अमृत ही अमृत है -
    सुंदर रचना -
    बधाई -

    जवाब देंहटाएं
  29. अब तलाशती हूँ
    उस साये को
    जो मिलकर भी
    नहीं मिलता
    प्रेम और धुंध कहाँ कुछ नज़र आता है..... बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  30. सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......सादर

    जवाब देंहटाएं
  31. इतना कह वो साया
    धुंध में विलीन हो गया
    और मुझमे मोहब्बत की
    इक कनी रोप गया
    और अब मोहब्बत ही
    मेरी ज़िन्दगी बन गयी
    बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.......सुन्दर अभिव्यक्ति
    .
    नये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?

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