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रविवार, 2 जनवरी 2011

विदा करो मुझे

विदा करो मुझे
अब अपनी रूह से
अब नहीं रुक पायेगी
रूह मेरी तेरे साथ
रूह की चादर पर
टंगे तेरे ख्वाब
अब नयी ताबीर
नहीं लिख पाएंगे
मेरी ज़ख़्मी रूह के
हर नासूर  पर
एक ठुकी कील
ज़ख्मों को
हरा भरा रखती है
और रूह का तंतु
अब तार तार हो चुका है
देख ना
झुलस चुका है
हर तागा रूह के
तंतुओं का
फिर बता
अब कैसे रुकूं
कैसे चिथड़ों को
समेटेगा
जहाँ रूह का
अस्तित्व भी
क्षत विक्षत
हो चुका है
वहाँ कैसे
अब अपने
प्रेम का
आसमाँ उकेरेगा
अगर हुआ कोई जन्म
तो मिलेंगे शायद
बस अब
तब तक के लिए
विदा करो मुझे
मेरे प्यार !

37 टिप्‍पणियां:

  1. वंदना......रूह....कब क्षत-विक्षत हुई है.....प्रेम तो वो मरहम है...जो हर घाव भर देता है....हम स्वीकार तो करें.

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  2. रूह मेरी तेरे साथ
    रूह की चादर पर
    टंगे तेरे ख्वाब
    अब नयी ताबीर
    नहीं लिख पाएंगे
    chalo lete hain vida , per roohen to milengi

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  3. आत्‍मा अजर अमर है
    ना कभी मरी है ना मरेगी
    आत्‍मा तो सूर्य है
    आत्‍म आत्‍म प्रकाश है
    देखने समझने का विवेक
    और पाथेय है आत्‍मा।
    लालसाएं हमें भावावेश
    से आवृत कर, झोंकती हैं
    प्रेम में।
    प्रेम तो शाश्‍वत है
    चाहतों के बिना, आकांक्षाओं से दूर
    रोज जीने का मार्ग दिखाता है
    अपने को अपने से मिलाता है।

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  4. नए साल की पहली पोस्ट.प्यारी रचना....अच्छी लगी. नव वर्ष पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ.

    _____________
    'पाखी की दुनिया' में नए साल का पहला दिन...

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  5. दिल को खरोचती रचना । बहुत अच्छी अभिव्यक्ति।

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  6. रूह मेरी तेरे साथ
    रूह की चादर पर
    टंगे तेरे ख्वाब
    अब नयी ताबीर
    नहीं लिख पाएंगे

    बहुत ही सुंदर...

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  7. नये साल मे ये निराशा दूर हो। आपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।

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  8. आत्मा अ़जर-अमर है!
    जब तक प्यार है मिलन होता रहेगा!

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  9. रूह मेरी तेरे साथ
    रूह की चादर पर
    टंगे तेरे ख्वाब
    अब नयी ताबीर
    नहीं लिख पाएंगे
    बहुत ही सुंदर रचना.......

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  10. मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  11. बहुत खुब जी रुह तक जाती हे आप की कविता की आवाज, धन्यवाद

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  12. भावुक कर देने वाली प्रस्तुति।

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  13. नए वर्ष की आपको भी बधाई।
    गरम जेब हो और मुंह में मिठाई॥

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  14. बहुत मर्मस्पर्शी रचना... आपने विदा किया ..हमने भी किया वर्ष २०१० को... आपकी इस सुन्दर रचना के नीचे मै आपको नववर्ष की शुभकामनाये दे रही हूँ .. आपको परिवार सहित नववर्ष खुशियाँ और अच्छा स्वस्थ लाए .. मंगलकामनाएं ...

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  15. सुन्दर कविता है वंदना जी.
    नये वर्ष की असीम शुभकामनाएं.

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  16. गाजियाबाद से एक यलो एक्सप्रेस चल रही है जो आपके ब्लाग को चौपट कर सकती है, जरा सावधान रहे।

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  17. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  18. बहुत ही सुंदर रचना.......
    नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!

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  19. वंदना जी.
    नये वर्ष की असीम शुभकामनाएं.

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  20. मन के भावों को शब्द दिए हैं आपने ... दर्द का गहरा एहसास छिपा है इन शब्दों में ...
    आपको नया साल बहुत बहुत मुबारक ...

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  21. वंदना जी.....बहुत सुन्दर रचना..

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  22. विदा करने के लिए बहुत बल होना चाहिए.. ऊर्जा होनी चाहिए.. धैर्य होना चाहिए... नव वर्ष के आगमन और पुराने वर्ष के जाने के बीच के द्वन्द का सुन्दर चित्रण है.. प्रेम के प्रतीक के रूप में ..

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  23. वंदना जी !
    आपकी कविता के गहरे भाव अंतर्मन को उद्वेलित करते है!
    साभार,
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  24. राहे वफ़ा में ख़ुद कदम उसने बढ़ाये हैं.
    कुछ ऐसे इंकलाब भी मुहब्बत में आये है.

    आपकी कविताओं का दर्द जान लेवा है उनको पढ़कर दर्द में और इज़ाफा हो जाता है.
    वैसे ग़मे जाना से इस दौर में ग़मे दौरा भारी पड़ रहा है सरकारी नौकरी में परिन्दे की परवाज़ गुम हो गयी. नये वर्ष की शुभकामनायें.

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  25. बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति.पर रूह से विदा होना क्या संभव होता है.बहुत सुन्दर रचना.

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