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बुधवार, 8 सितंबर 2010

प्राची के पार.......................

मोहब्बत की थी 
हम दोनों ने
इश्क की सीढियां
चढ़ी थीं 
हम दोनों ने
ज़माने से लड़ा था
दोनों के लिए 


याद है तुम्हें 
प्राची के पार 
मिलने का 
वादा किया था
डूबता सूरज
गवाह बना था
तेरी ज़ुल्फ़ से
अठखेलियाँ करती 
पवन अपने 
पंखों पर 
हमारे प्रेम का
संदेस ले उड़
चली थी
सारा चमन
महका रही थी
और हम दोनों
मिलेंगे कभी 
इसी चाह में
इसी विश्वास पर
इसी आस पर
जिए जा रहे थे 
मोहब्बत के 
ख्वाब बुने 
जा रहे थे 



ना जाने कहाँ से
वो बवंडर आया 
ख्वाब के महल 
को ढहा गया 
ज़माने को ना
इश्क रास आया
तुम्हें मजबूर
किया गया
रिश्तों की 
बेड़ियों में
जकड़ा गया
इज्ज़त के नाम 
पर ठगा गया
लड़की होने की
मजबूरी  पर
कुर्बान किया गया


और फिर उस दिन
जब तुम दुल्हन 
बनीं किसी और की
मुझसे मेरी खुशबू ,
मेरी सांसें ,
मेरी जिंदा
रहने की
हर वजह छीन 
ली गयी
जब तुम्हें देखा
आखिरी बार
दुल्हन के 
लिबास में
विदाई के वक़्त
अंग सब 
शिथिल हो गए
आँसू आँख में
जज़्ब हो गए 
धडकनों ने जैसे
धडकना छोड़ 
दिया था
दिमाग 
चेतनाशून्य
हो गया था
दिल तो तेरे
हवन कुंद की
आग में पहले ही
भस्म हो गया था
और रूह 
तेरे क़दमों तले
कुचली गयी थी
जिस पर
पाँव रख 
तू डोली  में
चढ़ी थी
हर अंग 
स्पन्दनहीन था
बस रूह का 
ज़िंदा पिंजर
खड़ा था
तेरे एक 
वादे की
सलीब पर
टंगा मेरा
वादा खड़ा था
कि
प्राची के पार
मिलन होगा 
हमारा
मगर तूने
बता दिया
प्राची के पार
जहाँ और भी है
जहाँ और भी है.................

42 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है....इतनी संवेदनशील रचना..बहुत अच्छा लगा

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  2. प्राची के पार
    मिलन होगा
    हमारा
    मगर तूने
    बता दिया
    प्राची के पार
    जहाँ और भी है
    जहाँ और भी है...
    कविता फिल्म सी लगी. हर पंक्ति के साथ बन रहे थे चित्र. अंत में ऐसा लगा जैसे क्षितिज पर सूरज डूब गया हो... मर्म्सप्र्शी कविता. अंतिम पंक्तियाँ तो दिल को बेध देत्ती हैं ..

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  3. प्राची के पार जहाँ और भी हैं ....बहुत संवेदनशीलता से लिखी गयी रचना ..

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  4. आपकी यह कविता पढ़कर मुझे अपनी एक कविता याद आ गई-

    एक खुदा जिनसे न हो सके
    मुलाकात इस बेदर्द जमाने में
    कम से कम तू तो मिला
    देना उनसे अपने घराने में

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  5. भावनाओं के समन्दर का एक नायाब मोती है ये कविता..

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  6. लगा जैसे कोई भावमयी फिल्म देख रही हूँ ...बहुत सुन्दर .

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  7. बहुत ही सुन्दर रचना वंदना जी ! ख्वाब बुनने और टूटने का अनोखा अंदाज !

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  8. बहुत खूब.............वंदना जी .....एक कहानी की तरह कह दी है आपने ये कविता इस बात पर एक बहुत पुराना सुना हुआ शेर कहना चाहूँगा....

    "प्यार कब किसी का पूरा होता है,
    प्यार का तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है"

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  9. तेरे एक वादे की सलीब पर
    टंगा खदा मेरा वादा था
    बहुत अच्छी लगी पूरी रचना। शुभकामनायें

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  10. पहले तो टेम्प्लेट के लिए टिप्पणी कर दूं। फिर कविता पर। आज ग़ौर से देखा। बहुत आकर्षक टेम्प्लेट। बधाई।

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  11. मार्मिक लिखा है .... कुछ गहरी भावनाएँ समेत कर लिखी हैं इस रचना में ....

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  12. वंदना जी! अब इसके बाद भी कोई कुछ कहने की स्थिति में होगा क्या?

    दबा के चल दिए सब क़ब्र में, ना दुआ ना सलाम
    ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को

    उसने कहा कौन सा तोहफा मैं तुम्हे दूँ
    मैंने कहा वही शाम जो अब तक उधार है

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  13. Behad bhavuk kar diya...naa jaane un kinaron pe kaise,kaise jahan hain!

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  14. सुन्‍दर शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  15. bahut sochta rha hva ko apne sath bha loon
    bhut sochrha aaj din doobe nhi bcha loon
    pr dono ne kiya vhijo un ki mjboori thi
    mujh ko bhi smjhaya main apne mn ko smjha loon
    sudr rchna tis ko khoob piroya hai
    hardik badhai
    dr.vedvyathit@gmail.com

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  16. चार तुम्हें भी ले जा रहे थे, चार मुझे भी ले जा रहे थे,
    तुम्हारी डोली उठ रही थी मेरी अर्थी लिए जा रहे थे!!

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  17. बहुत अच्छी रचना गूढ अभिव्यक्ति।

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  18. शब्‍द अधूरे पड़कर ही कविता को पूरी कर सकते हैं.

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  19. निःशब्द कर दिया आपने तो... कविता बहुत सुंदर है..

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  20. अच्छी पंक्तिया है ....
    ..
    एक बार जरुर पढ़े :-
    (आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html

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  21. प्राची के पार जहाँ और भी हैं.. क्या बात है..

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  22. अरे, इस उम्दा रचना पर हमरी टिप्पणी कहाँ गुम हो गई??

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  23. प्राची के पार जहां और भी है ! बहुत बढ़िया !

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  24. @उडन तश्तरी

    आपका पहला कमेंट भी है और दूसरा भी………………पसन्द करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।

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  25. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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