पृष्ठ

सोमवार, 6 सितंबर 2010

चाहे हस्ती ही मेरी मिट जाये

कोई ऐसी शय खोजो यारों
दिल को मेरे सुकूँ आ जाये


धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
शायद गुलाब कोई खिल जाये


उनके  चौबारे को ऐसे सजा दो यारों
शायद्  फिर कोई शहीद हो जाये


उसके लबों पर मुस्कुराहट सजा दो यारों

चाहे लहू मेरा बह जाये

दर्द के बिस्तर पर सुला दो मुझको
बस एक बार वो हँस जाये


कोई अहले -करम फ़रमाओ यारों
वो जी जाये और मैं  मर जाऊँ


कुछ उसके भरम तोड दो यारों
चाहे मै शहर--ए-बदर हो जाऊँ


कुछ तो उसको सुकून मिलेगा यारों
चाहे हस्ती ही मेरी  मिट जाये

 

30 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या बात है ..दिल को छूती हुई रचना.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह क्या बात है ..दिल को छूती हुई रचना.

    जवाब देंहटाएं
  3. शाबाश वंदना जी,

    आख़िरकार आपने ग़ज़ल लिखने की कोशिश की है, कुछ शेर उम्दा बन पड़े है.........उम्मीद है और निखार आएगा ......शुभकामनाये |

    जवाब देंहटाएं
  4. कोई ऐसा शय खोजो....सुकून आए , कोई बात बने , नींद आ जाये

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहद संवेदनापूर्ण रचना। पढ़कर आनंद आ गया।

    जवाब देंहटाएं
  6. कुछ तो उसको सुकून मिलेगा यारों
    चाहे हस्ती ही मेरी मिट जाये
    बहुत ही भावाकूल रचना...अति सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  7. धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
    शायद गुलाब कोई खिल जाये
    अद्भुत! धड़कन जब ग़ज़ल बनती है तो सारा जग गुनगुना उठता है।

    गीली मिट्टी पर पैरों के निशान!!, “मनोज” पर, ... देखिए ...ना!

    जवाब देंहटाएं
  8. कोई ऐसी शय खोजो यारों
    दिल को मेरे सुकूँ आ जाये.....वाह क्या बात है

    जवाब देंहटाएं
  9. अंतिम शेर तो रुला दी. खुद को फ़ना करके और को खुश रखने का जज्बा प्रेम में ही होता है. बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  10. धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
    शायद गुलाब कोई खिल जाये


    गज़ल पढ़ कर गुलाब खिल ही जायेगा ...

    जितना मैं जानती हूँ इसे गज़ल नहीं कह सकते ...दो शेर में लास्ट में जाऊं कर दिया है ..यहाँ भी जाये होता तो कुछ गज़ल जैसा हो जाता शायद ...
    नज़्म कहूँगी...खूबसूरत नज़्म ..:):)

    जवाब देंहटाएं
  11. aapne to bahut hee sundar tareeke se baat kahi.dil ko choo gayi vandana ji......aur aapka hardik abhinandan aur dhanyvaad....aap mere blog me aa kar mujhey kritaarth kar gayin..dhanyvaad..

    जवाब देंहटाएं
  12. कोई इसी शय खोजो ... की हस्ती मेरी... बहुत बढ़िया प्रस्तुति हमेशा की तरह ...

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छा प्रयास है । सुन्दर अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  14. कोई ऐसी शय खोजो यारों
    दिल को मेरे सुकूँ आ जाये

    धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
    शायद गुलाब कोई खिल जाये
    --
    --
    बिटिया की महिमा अन्नत है।
    बिटिया से घर में बसन्त है।।
    --
    बहुत ही प्यारी अभिव्यक्ति प्रकट की है आज तो!

    जवाब देंहटाएं
  15. आँय!!!!! मिट के दिल ही ना रहेगा तो दिल को सुकून कैसा???? :P जज्बातों को सुन्दर शब्दों का पहनावा दिया मैम..

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सशक्त रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत अच्छी प्रस्तुति........दिल को छूती हुई रचना..............

    जवाब देंहटाएं
  18. दिल को छूती हुई संवेदनापूर्ण रचना.......बेहद सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  19. उम्दा भाव। अच्छी ग़ज़ल।

    हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।

    हिंदी और अर्थव्यवस्था, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें

    जवाब देंहटाएं
  20. अच्छी कविता है..... बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं
  21. वाह वंदनाजी
    बहुत खूबसूरत अहसास |
    आपकी गजल पढ़कर मुकेशजी का गया गीत यद् आ गया
    किसी की मुस्कुराहतो पे हो निसार
    किसी का दर्द ले सके तो ले उधार
    किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
    जीना इसी का नाम है ....

    जवाब देंहटाएं
  22. लाजवाब .


    पोला की बधाई भी स्वीकार करें .

    जवाब देंहटाएं
  23. आपके परवाज़ ए तखय्युल की दाद देता हूँ|
    हां ग़ज़ल शिल्प के धरातल पर थोड़ी हलकी ज़रूर है|

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया