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बुधवार, 16 जून 2010

आखिरी वसीयत

तेरी गली के
कोने पर 
घर के सामने
खड़ा वो 
गुलमोहर का पेड़
आरामगाह 
है मेरी
बस आखिरी 
आरजू 
आखिरी वसीयत 
है मेरी
वहीँ बिस्तर
लगा देना मेरा
कब्रगाह बनवा 
देना मेरी
मुझे वहाँ 
सुला देना
और चेहरा मेरा
खुला रखना 
बाकी जिस्म 
सारा दबा देना
बस दीदार 
होता रहेगा तेरा
और रूह को
सुकून मिलता रहेगा 


30 टिप्‍पणियां:

  1. अताउल्‍लाखान के गाये एक शेर में ऐसा ही कहा गया है। आपने फि‍र से याद दि‍ला दि‍या, अताउल्‍लाखान ने बड़ी ही रोतली आवाज में गाया था उसे।

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  2. आईये जानें ..... मैं कौन हूं !

    आचार्य जी

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  3. वाह, क्या बात है ! रचना में नायक ने प्रेम की हद तक गुजर जाने की खूब ठानी !

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  4. vandana ji,

    bahut hi diljali/ painfull kavita hai ji .. padhkar hi kuch kuch hone laga ....

    wah wah wah..

    bhai , maine bhi ke kavita likhi hai ,aapka aashirwad mil jaaye to krupa hongi !!

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  5. बस दीदार
    होता रहेगा तेरा
    और रूह को
    सुकून मिलता रहेगा

    वाह ...मन को छू गयी ये रचना...आरामगाह के लिए वसीयत....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. क्या ज़ुनून है
    क्या हसरत है
    बहुत सुन्दर रचना ... कमाल

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  7. बहुत सुन्दर सकून ही तो जरूरी है जिन्दगी के लिये। अच्छी रचना के लिये बधाई

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  8. वाह..!
    लगन हो तो ऐसी ही!
    --
    आज तो कमाल की मर्मस्पर्शी रचना लिखी है!

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  9. सुन्दर भाव,सुन्दर शब्दविन्यास.

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  10. वंदना जी आपकी कविता के भाव तो बहुत सुंदर हैं। पर माफ करें, कितने सारे विरोधाभास हैं इसमें।
    वंदना जी चेहरा खुला रखने से बात नहीं बनेगी। आपको गुजारिश आंख खुली रखने के लिए करनी पड़ेगी। और मिट्टी या कब्र में तो केवल जिस्‍म होगा। रूह तो वहां होगी ही नहीं। अगर उस जिस्‍म में रूह होगी तो फिर वह कब्रगाह नहीं होगी। कब्रगाह मृत शरीरों की होती है।
    वैसे सच्‍चा प्‍यार करने वाले तो मन की आंखों से दीदार करते हैं।

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  11. ऐसा जुनून तो ना देखा और ना सुना। हाँ देवदास बेचारा जरूर पेड़ के नीचे मरा। बढिया है वन्‍दना जी ऐसा जुनून भी अच्‍छा नहीं।

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  12. kitna pyara vasiyat........jaane ke baad bhi ruh ko uski jarurat hai.......:)


    behtareen!!

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  13. bahot badiyaa rachanaayen hai
    ispired from yourself.
    visit me www.pashashayar.blogspot.com
    for suggestion, if you can

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  14. आपकी यह रचना मजेदार है.
    अब अगली का इंतज़ार है...

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  15. दर्द उमड़ पड़ा है कविता में मैम..

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  16. मरने के बाद भी मेरी आँखे खुली रही ...
    इंतेहा है आपके इंतज़ार की ... कमाल का लिखा है ...

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