बिना बात के भी शिकायत होती है
हुस्न वालों की भी अजीब फितरत होती है
कभी शिकवों की लम्बी फेहरिस्त होती है
कभी बिना फेहरिस्त के भी शिकायत होती है
हुस्न की ये अदा भी गज़ब होती है
जब शिकायत भी प्यार भरी होती है
तकरार में भी इकरार नज़र आता है
तब हुस्न कुछ और निखर जाता है
शोख चंचल आँखों में खिले तबस्सुम
हुस्न का हुस्न और खिला जाते हैं
प्यार की तकरार की मिठास बढ़ा जाते हैं
रूठे हुस्न को मनाने की प्यास जगा जाते हैं
जब इश्क क़दमों में झुका होता है
हुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है
सुभानल्लाह....
जवाब देंहटाएंक्या बात है !!
हुस्न की अदा ही ऐसी कातिलाना होती है कि मत पूछिए....
हाय रब्बा !!
जब इश्क क़दमों में झुका होता है
जवाब देंहटाएंहुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है
वाह वाह वंदना क्या बात है....ये ग़ज़ल तो आप का मूड-ए-अंदाज़ बयाँ कर रही है बहुत खूब :)
जब इश्क क़दमों में झुका होता है
जवाब देंहटाएंहुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है
इसी अदा पर तो हर शख्स फ़िदा होता है।
सुन्दर शोख रचना ।
बहुत सुंदर, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह! कमाल की पंक्तियाँ है!
जवाब देंहटाएंमन की गहराइयों से निकली सराहनीय कविता /हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html
जवाब देंहटाएंहुस्न पर आपका फलसफा काबिलेतारीफ है!
जवाब देंहटाएंलगता है आपने बहुत गहराई से
चिन्तन-मनन किया है!
बढ़िया कविता!
अनोखे भाव!
बहुत खूब ... इश्क़ वालों की फ़ितरत अलग ही होती है ... बहुत लाजवाब लिखा है ...
जवाब देंहटाएंachhi rachna
जवाब देंहटाएंप्यार की तकरार की मिठास बढ़ा जाते हैं
रूठे हुस्न को मनाने की प्यास जगा जाते हैं
saadar
praveen pathik
9971969084
हुस्न की ये अदा भी गज़ब होती है
जवाब देंहटाएंजब शिकायत भी प्यार भरी होती है
वाह.....ये तो गज़ब की ही अदा है...
प्यार की तकरार की मिठास बढ़ा जाते हैं
रूठे हुस्न को मनाने की प्यास जगा जाते हैं
बिना तकरार के प्यार का कहाँ पता चलता है....
बहुत खूबसूरत रचना....
सुन्दर भाव वंदना जी.. पर आप इससे बेहतर कर सकती थीं, यकीं है मुझे
जवाब देंहटाएंwaah bahut khoob Vandana ji...lajawaab...
जवाब देंहटाएंbahut khub vandana ji..
जवाब देंहटाएंek ek shabd behtareen hain...
rachna bahut hi lajawaab ban padi hai...
yun hi likhte rahein...
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mere blog par meri nayi kavita,
हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
jaroor aayein...
aapki pratikriya ka intzaar rahega...
regards..
http://i555.blogspot.com/
क्या कहूँ.... एक एक शब्द ने दिल को छू लिया....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंshaandaar
जवाब देंहटाएंकभी शिकवों की लम्बी फेहरिस्त होती है
जवाब देंहटाएंकभी बिना फेहरिस्त के भी शिकायत होती है
badi sachchi baat kahi aapne....!!
waise Hushn ka andaaj katil hona, ye to samajh ki baat hai.....:)
badi pyari kavita........pyara andaaj...:D
kabhi samay mile to ma'm yahan pe dustak dena.........plz
जवाब देंहटाएंhttp://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7945.html
aur
www.jindagikeerahen.blogspot.com
behtareen
जवाब देंहटाएंwaah great aap bhut achha likhti hai mujhe bhut pasand hai aur ye kavita to kamaal kar diya i like it so so sos
जवाब देंहटाएंजब इश्क क़दमों में झुका होता है
जवाब देंहटाएंहुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है..
वाह वाह क्या बात है! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! लाजवाब रचना!
बिना बात के भी शिकायत होती है ...
जवाब देंहटाएंअजी ...ये हुस्न वालों नहीं इश्क वालों की भी होती है
जब इश्क क़दमों में झुका हो
हुस्न का अंदाज कातिल होता है ...क्यों ना हो ...!!
अलग अंदाज़ ...आपका ही है ना ...??...:):)