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गुरुवार, 20 मई 2010

बिना बात के भी शिकायत होती है

बिना बात के भी शिकायत होती है
हुस्न वालों की भी अजीब फितरत होती है

कभी शिकवों की लम्बी फेहरिस्त होती है
कभी बिना फेहरिस्त के भी शिकायत होती है

हुस्न की ये अदा भी गज़ब होती है
जब शिकायत भी प्यार भरी होती है

तकरार में भी इकरार नज़र आता है
तब हुस्न  कुछ और निखर जाता है

शोख चंचल आँखों में खिले तबस्सुम 
हुस्न का हुस्न और खिला जाते हैं 

प्यार की तकरार की मिठास बढ़ा जाते हैं
रूठे हुस्न को मनाने की प्यास जगा जाते हैं

जब  इश्क क़दमों में झुका होता है
हुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है

23 टिप्‍पणियां:

  1. सुभानल्लाह....
    क्या बात है !!
    हुस्न की अदा ही ऐसी कातिलाना होती है कि मत पूछिए....
    हाय रब्बा !!

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  2. जब इश्क क़दमों में झुका होता है
    हुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है
    वाह वाह वंदना क्या बात है....ये ग़ज़ल तो आप का मूड-ए-अंदाज़ बयाँ कर रही है बहुत खूब :)

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  3. जब इश्क क़दमों में झुका होता है
    हुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है

    इसी अदा पर तो हर शख्स फ़िदा होता है।
    सुन्दर शोख रचना ।

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  4. बहुत सुंदर, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. वाह! कमाल की पंक्तियाँ है!

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  6. मन की गहराइयों से निकली सराहनीय कविता /हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html

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  7. हुस्न पर आपका फलसफा काबिलेतारीफ है!
    लगता है आपने बहुत गहराई से
    चिन्तन-मनन किया है!

    बढ़िया कविता!
    अनोखे भाव!

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  8. बहुत खूब ... इश्क़ वालों की फ़ितरत अलग ही होती है ... बहुत लाजवाब लिखा है ...

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  9. achhi rachna
    प्यार की तकरार की मिठास बढ़ा जाते हैं
    रूठे हुस्न को मनाने की प्यास जगा जाते हैं
    saadar
    praveen pathik
    9971969084

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  10. हुस्न की ये अदा भी गज़ब होती है
    जब शिकायत भी प्यार भरी होती है

    वाह.....ये तो गज़ब की ही अदा है...

    प्यार की तकरार की मिठास बढ़ा जाते हैं
    रूठे हुस्न को मनाने की प्यास जगा जाते हैं

    बिना तकरार के प्यार का कहाँ पता चलता है....

    बहुत खूबसूरत रचना....

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  11. सुन्दर भाव वंदना जी.. पर आप इससे बेहतर कर सकती थीं, यकीं है मुझे

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  12. bahut khub vandana ji..
    ek ek shabd behtareen hain...
    rachna bahut hi lajawaab ban padi hai...
    yun hi likhte rahein...
    -----------------------------------
    mere blog par meri nayi kavita,
    हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
    jaroor aayein...
    aapki pratikriya ka intzaar rahega...
    regards..
    http://i555.blogspot.com/

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  13. क्या कहूँ.... एक एक शब्द ने दिल को छू लिया....

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  14. कभी शिकवों की लम्बी फेहरिस्त होती है
    कभी बिना फेहरिस्त के भी शिकायत होती है

    badi sachchi baat kahi aapne....!!
    waise Hushn ka andaaj katil hona, ye to samajh ki baat hai.....:)

    badi pyari kavita........pyara andaaj...:D

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  15. kabhi samay mile to ma'm yahan pe dustak dena.........plz

    http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7945.html

    aur

    www.jindagikeerahen.blogspot.com

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  16. waah great aap bhut achha likhti hai mujhe bhut pasand hai aur ye kavita to kamaal kar diya i like it so so sos

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  17. जब इश्क क़दमों में झुका होता है
    हुस्न का वो ही अंदाज़ तो कातिल होता है..
    वाह वाह क्या बात है! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! लाजवाब रचना!

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  18. बिना बात के भी शिकायत होती है ...
    अजी ...ये हुस्न वालों नहीं इश्क वालों की भी होती है
    जब इश्क क़दमों में झुका हो
    हुस्न का अंदाज कातिल होता है ...क्यों ना हो ...!!

    अलग अंदाज़ ...आपका ही है ना ...??...:):)

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