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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

देशभक्ति का दानव

देशभक्ति का दानव मुझमें
जाने क्यूँ मचलता रहता है
इसका कोई मान नही
इसकी कोई पहचान नही
फिर भी अपना राग सुनाता रहता है
सिर्फ चुनावी बिगुल बजने
पर ही सबको याद ये आता है
वरना सियासतदारों को
फूटी आँख ना भाता है
आज के युग में
दानव ही ये कहलाता है
इसकी माला जपने वाला
यहाँ महादानव कहलाता है
हर नेता इससे बचकर
निकलना चाहता है
जब बजती देशभक्ति की घंटी
संसद में आँख मूँद सो जाता है
इसके भयंकर रूप से तो
हर नेता घबराता है
जान की कीमत पर अब
कौन शोहरत पाना चाहता है
अब तो हर इंसान बस
पैसे की तराजू में तुलना चाहता है
देशभक्ति के पल्लू से तो बस
हाथ पोछना चाहता है
फिर क्यूँ ना भ्रष्टाचार , आतंकवाद
स्वार्थपरता के यज्ञ में
इसकी आहुति दे दें हम
फिर क्यूँ ना ऐसे दानव से
अब मुक्ति पा लें हम
आओ देशभक्ति के दानव से
मुक्त होने का प्रण लें हम
आओ प्रण करें
देशभक्ति के दानव का
सर कुचलकर रहेंगे हम
स्वार्थपरता , भ्रष्टाचार और आतंक
का नारा बुलंद करेंगे हम
तभी (भार + त ) भार से अटे
भारत को
देशभक्ति के चुंगुल से
मुक्त कर पाएंगे हम
और सही मायनो में
आने वाली पीढ़ी को
सन्मार्ग(कुमार्ग) दिखा जायेंगे हम

27 टिप्‍पणियां:

  1. तभी (भार + त ) भार से अटे
    भारत को
    देशभक्ति के चुंगुल से
    मुक्त कर पाएंगे हम
    और सही मायनो में
    आने वाली पीढ़ी को
    सन्मार्ग(कुमार्ग) दिखा जायेंगे हम...


    आज तो बहुत ही गजब का व्यंग्य लगाया है!
    आपकी इस विधा का तो जवाब ही नही है जी!
    काश् भारत का इससे भला हो जाये!

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  2. Badhayee vandana ...sundar prastuti ....bahut sahi varnan kia hai..
    yehi sachhai hai ....ham sabhi mahsus karte hain ..par vyak nahi kar pate hai....ishwar tumhari lekhni ko or prashast karen....tum uhi likhti raho or hame padhne ka mauka milta rahe.....

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  3. व्यंग के साथ चिंतन कराने वाली रचना...बहुत खूब

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  4. सही कहा मयंक जी, एक अच्छे लोग ही भारत को बदल पाएँगे और शुरुआत हो गयी है

    जवाब देंहटाएं
  5. सही कहा मयंक जी, एक अच्छे लोग ही भारत को बदल पाएँगे और शुरुआत हो गयी है

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  6. तभी (भार + त ) भार से अटे
    भारत को
    -----xxxx----xxx------
    आने वाली पीढ़ी को
    सन्मार्ग(कुमार्ग) दिखा जायेंगे हम...

    बहुत अच्छी व्यंग्यात्मक रचना! आज की पीढी को वर्तमान देश के हालात से अवगत कराती हुई तथा आने वाली पीढी को सन्मार्ग की सीख देती हुई बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति का प्रदर्शन! बहुत आभार!!

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  7. बिल्कुल सटीक बात कही है.

    शानदार रचना!

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  8. एक और रचना जो सच के चेहरे को दर्शाती है... बहुत बढ़िया रही..

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  9. बहुत ही सुन्दर और गहरे भाव के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना प्रशंग्सनीय है! बहुत बढ़िया लगा!

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  10. वंदना जी जब पहली दो लायने पढी तो दानब शब्द कुछ असंगत सा लगा मगर जब पूरी व्यंगात्मक कविता को पढ़ा तो
    इस शब्द की बात समझ में आई बहुत तीखी सच्चाई व्यक्त करती और ह्रदय को आंदोलित करती हुई रचना
    सादर
    प्रवीण पथिक
    99719690784

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  11. ्बहुत सुन्दर व्यन्ग्य रचना----धार बहुत पैनी है। पूनम

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  12. Ek achchi rachna.... lekin deshbhakti ko danav ke saath jorna sikke ka ek pahlu hai. iska doosra pahlu bhi dikhaiye.

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  13. हमारी देशभक्ति
    हिन्‍दी भक्ति है
    हिन्‍दी की भक्ति
    देशभक्ति की
    गजब की शक्ति है।

    नेता तो यहां भी
    बाज नहीं आते हैं
    अपनी राजनीति ही
    चलाते दौड़ाते हैं।

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  14. कमाल की व्यंग धार है ... तीखा लिखा है बहुत .. पर सच लिखा है आज कितने लोग हैं जो देश की सच्चे अर्थों में भक्ति करते हैं .......

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  15. अब तो हर इंसान बस
    पैसे की तराजू में तुलना चाहता है
    देशभक्ति के पल्लू से तो बस
    हाथ पोछना चाहता है
    ... बहुत सुन्दर !!

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  16. वंदना जी
    मन को उद्द्वेलित करने में सक्षम है यह रचना......बधाई !

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