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रविवार, 14 फ़रवरी 2010

प्रेम की परिधि

मुझे
रेखांकित किया
जब तुमने
अपने प्रेम की
परिधि में
बाँधा जब तुमने
अपने मूक प्रेम
की डोर से तुमने
मेरे भटकते
अर्धव्यास को
स्वयं के व्यास से
जोड़कर संपूर्ण
घेरा बना लिया
जब तुमने
तब उसी परिधि में
अपनी धुरी पर
घूमते- घूमते
कब मैं
तेरा ही रूप हो गयी
पता ही ना चला
आओ अब इस
परिधि में
एक दूजे को
समा लें हम
अपने अस्तित्व की
पूर्णता से सजा लें हम
एक दूजे की
सम्पूर्णता में
खो जायें हम
जहाँ दो ना रहें
एक हो जायें हम

36 टिप्‍पणियां:

  1. prem ke paridhi ke aandar he do jeev ik ho jate hain bahut badiya

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  2. प्रेम की परिधि को बहुत खूबसूरती से दर्शाया है आपने.....

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  3. एक दूजे की
    सम्पूर्णता में
    खो जायें हम
    जहाँ दो ना रहें
    एक हो जायें हम.nice

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  4. जहाँ दो न रहें
    एक हो जायें हम
    वन्दना जी आज के दिन पर बहुत ही प्यारी कविता लिखी है। बहुत बहुत बधाई

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  5. अर्धव्यास को
    स्वयं के व्यास से
    जोड़कर संपूर्ण
    घेरा बना लिया
    रेखागणितीय समर्पण की रचना.
    सुन्दर और सार्थक प्रयोगात्मक रचना के लिये बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  6. मुझे
    रेखांकित किया
    जब तुमने
    अपने प्रेम की
    परिधि में
    बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना वंदना जी ...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. एक दूजे की
    सम्पूर्णता में
    खो जायें हम
    जहाँ दो ना रहें
    एक हो जायें हम

    बहुत सुन्दर!
    प्रेम दिवस पर बढ़िया रचना प्रस्तुत की है आपने!
    इससे सुन्दर सन्देश दूसरा हो ही नही सकता!

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  8. बहुत खूब वंदना जी ! आज के दिन को आपने उत्सवी बना दिया ..आभार .

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  9. आओ अब इस
    परिधि में
    एक दूजे को
    समा लें हम
    अपने अस्तित्व की
    पूर्णता से सजा लें हम
    एक दूजे की
    सम्पूर्णता में
    खो जायें हम
    जहाँ दो ना रहें
    एक हो जायें हम
    Bahut khoob!

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  10. खूबसूरत जज्बातों को खूबसूरत शब्दों से सजाया है....सुन्दर रचना...

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  11. वाह!!....प्यार के रस में डूबी ये रचना ....अति उत्तम .

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  12. वंदना जी, आदाब
    ’प्रेम की परिधि’ रचना बहुत खूबसूरत है.
    ..अपने अस्तित्व की पूर्णता से सजा लें हम..
    समर्पण के भाव को प्रकट करती ये पंक्तियां बेहद शालीन और गरिमापूर्ण होने के कारण विशिष्ट बन गई हैं. इस रचना के लिये बधाई

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  13. दो अस्तित्वों का सम्पूर्ण विलयन प्रेम में सहज ही सम्पादित हो जाता है ।

    सुन्दर भावपूर्ण रचना । आभार ।

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  14. vandana ji, ye hai prem ki parakashtha/charmotkarsh ko darshati rachna. badhaai.

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  15. भावनाओं को बड़े सुन्दर ढंग से संजोया है....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  16. वाह वंदना जी, परिधि और व्यास तो ठीक है पर त्रिज्या कहाँ गयी.????????????. कुछ सेंत्रीपिटेल और सेंत्रिफुगल फ़ोर्स का खेल दिख रहा है . कविता की दृष्टि से तो मज़ा आ ही गया पर मुझे तो विज्ञान की दृष्टि से सोच कर और भी मज़ा आ रहा है बड़ी सारी संभावनाएं वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से दिख रही हैं ह ह ह ह ह .....

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  17. बहुत भावपूर्ण रचना है....बहुत सुन्दर लिखा है..

    एक दूजे की
    सम्पूर्णता में
    खो जायें हम
    जहाँ दो ना रहें
    एक हो जायें हम

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  18. दो से एक ... आत्मा से परमात्मा ... धरती आकाश का मिलन .... पूर्ण से संपूर्ण होने चाह ही तो जीवन है .... बौट ही उन्मुक्त रचना है .... लाजवाब ...

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  19. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति!

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  20. वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !
    बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने!

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  21. क्या "प्रेम-वृत्त" बनाया है आपने वन्दना जी। तारीफ करता हूँ आपकी चिन्तन का।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  22. प्रेम से परिपूर्ण सुंदर रचना .....!!

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  23. pyaar ki sampoorntaa ko
    darshaati huee
    kaamyaab rachnaa
    abhivaadan .

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  24. अर्थवाद के आज के दौर में इस तरह की प्रेमाभिव्यक्ति पल-पल विचलित होते मन को शुकून देती है ! सच है नेह से बडा कोइ रोग और प्यार से बडा कोई उपचार नहीं है ! जरूरत है तो सिर्फ़ शिद्दत से जानने और मानने की ! खूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई और साधुवाद !
    रवि पुरोहित
    ravipurohitravi.blogspot.com

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  25. एक दूजे की
    सम्पूर्णता में
    खो जायें हम
    जहाँ दो ना रहें
    एक हो जायें हम

    वंदना जी !
    aapkI rachna ne to premmaya banaa diya hai hum ko . sunder....ati sunder

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  26. मुझे
    रेखांकित किया
    जब तुमने
    अपने प्रेम की
    परिधि में
    वाह जी वाह!! बहुत खूब! आपने अपने गणितीय ज्ञान का भी पाण्डित्य प्रदशर्न बखूबी किया है। सच में बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, शब्द विन्यास सुन्दरतम`। आभार!!

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  27. ज़िन्दगी भर हम इसी परिधि में ही घूमते रहते हैं । सुन्दर कविता ।

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  28. जहाँ दो न रहें
    एक हो जायें हम
    .... बेहद प्रभावशाली व प्रसंशनीय रचना!!!

    जवाब देंहटाएं

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