पास होकर
क्यूँ दूर
चले जाते हो
दिल को मेरे
क्यूँ इतना
तड़पाते हो
तेरी बेरुखी
लेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए
या न आए
और तेरी दिल
तोड़ने की अदा
कहीं तेरी
सज़ा न बन जाए
फिर लाख
सदाएं भेजो
मुझे न
जहाँ में पाओगे
मेरी याद में
फिर तुम भी
इक दिन
तड़प जाओगे
मेरे रूठने पर
मुझे ना मना पाओगे
और इक दिन
इसी दर्द के
आगोश में
सिमट जाओगे
फिर मेरे दर्द के
अहसास को
समझ पाओगे
दिल तोड़ने की
सज़ा जान पाओगे
हर पल तड़पोगे
मगर मुझे न
पास पाओगे
तब तुम बेरुखी
का दर्द जान पाओगे
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंkya sadgi hai kavita me!
जवाब देंहटाएंतेरी बेरुखी
जवाब देंहटाएंलेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए
OMG! in panktiyan dil kahin andar tak utar gayin....
bahut hi oomda rachna...
Regards.......
तेरी बेरुखी
जवाब देंहटाएंलेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए
OMG! in panktiyan dil kahin andar tak utar gayin....
bahut hi oomda rachna...
Regards.......
जा तन लग वो तन जाने, ऐसी है इस रोग की माया
जवाब देंहटाएंवाकई बेरूखी का दर्द भी वही समझ सकता है।
वंदना जी '
जवाब देंहटाएंअपनों की बेरूख़ी का दर्द असहनिए होता है . इसे कोई भुक्त भोगी ही जान सकता है .
कहीं ऐसा न हो तेरी बेरुखी मेरी जान ले ले----- ये बेरुखी भी क्या चीज़ है इसका दर्द शायद विरह से भी बडा है बहुत सुन्दर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंइस कविता में बेरुखी के दर्द को बड़ी कुशलता से उतारा गया है।
जवाब देंहटाएंमत कर ऐसा
जवाब देंहटाएंकहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए
या न आए
और तेरी दिल
तोड़ने की अदा
कहीं तेरी
सज़ा न बन जाए
Behad khoobsurat panktiyaan !
"तेरी बेरुखी
जवाब देंहटाएंलेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए"
बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति है वन्दना जी , बधाई!
yahi kahungi,
जवाब देंहटाएंtumhari berukhi se pareshaan hain nazaare, zaraa sa muskurakar dhundh mein de do sahaare
dard ka bayaan ,
जवाब देंहटाएंmn ki iltejaa ,
ehsaas ki shiddat ,
aur
aapki khoobsurat nazm...
ek-ek shabd meiN
arth sumoye haiN .
spasht chetawani ke saath berukhi ke dard ki sunder abhivyakti. vandana ji aapki rachnayen mujhe...........
जवाब देंहटाएंइक दिन
जवाब देंहटाएंतड़प जाओगे
मेरे रूठने पर
मुझे ना मना पाओगे
और इक दिन
इसी दर्द के
आगोश में
सिमट जाओगे
इस सचाई के इर्द-गिर्द ही मेरी पीड़ा की नियति तय है
हर पल तड़पोगे
जवाब देंहटाएंमगर मुझे न
पास पाओगे
तब तुम बेरुखी
का दर्द जान पाओगे
बहुत ही सार्थक!
सम्वेदना के जज्बे को सलाम!
pyaari kavita hai
जवाब देंहटाएंउच्च कोटि की एक उत्कृष्ट रचना है. सधन्यवाद
जवाब देंहटाएंफिर मेरे दर्द के
जवाब देंहटाएंअहसास को
समझ पाओगे
दिल तोड़ने की
सज़ा जान पाओगे
बहुत सुन्दर रचना आभार
बेरूखी का दर्द बयान करती कविता
जवाब देंहटाएंदर्द देने वाला दर्द तभी समझता है जब वह खुद उसी दर्द का शिकार होता है।
-वाह, क्या खूब..
चेतावनी है यह -प्यारी सी !
जवाब देंहटाएं