तुम पुकार लो
एक बार
आवाज़ तो दो
मैं वक्त नही
जो वापस आ ना सकूं
मैं ख्वाब नही
जो फिर
देखा जा ना सकूं
तेरी इक आवाज़ पर
रस्मों के बंधन छोड़कर
रिवाजों की जंजीर तोड़कर
नदिया सी
उफनती ,मचलती
अपने सागर में समाने को
दौडी चली आउंगी
तुम एक बार पुकारो तो सही
दिल की कश्ती को
दरिया में उतारो तो सही
मैं वो लहर नही
जो वापस आ न सके
मैं वो डोर नही
जिसे तू सुलझा न सके
तेरे इक इशारे पर
तेरे गीतों के निर्मल धारे पर
पायल छनकाती
प्रीत का गीत गाती
तेरी सरगम की पुकारों पर
प्रेम रस बरसाती
इठलाती,बलखाती
आ जाउंगी
बस तुम एक बार
पुकारो तो सही
मुझे वापस
बुलाओ तो सही
एक बार
आवाज़ तो दो
मैं वक्त नही
जो वापस आ ना सकूं
मैं ख्वाब नही
जो फिर
देखा जा ना सकूं
तेरी इक आवाज़ पर
रस्मों के बंधन छोड़कर
रिवाजों की जंजीर तोड़कर
नदिया सी
उफनती ,मचलती
अपने सागर में समाने को
दौडी चली आउंगी
तुम एक बार पुकारो तो सही
दिल की कश्ती को
दरिया में उतारो तो सही
मैं वो लहर नही
जो वापस आ न सके
मैं वो डोर नही
जिसे तू सुलझा न सके
तेरे इक इशारे पर
तेरे गीतों के निर्मल धारे पर
पायल छनकाती
प्रीत का गीत गाती
तेरी सरगम की पुकारों पर
प्रेम रस बरसाती
इठलाती,बलखाती
आ जाउंगी
बस तुम एक बार
पुकारो तो सही
मुझे वापस
बुलाओ तो सही
तुम पुकार लो
जवाब देंहटाएंएक बार
आवाज़ तो दो
मैं वक्त नही
जो वापस आ ना सकूं
मैं ख्वाब नही
sundar
PRANAM VANDAN JI.
जवाब देंहटाएंAAPKO DEEP PARV KI HARDIK SHUBHKAAMNAIYEN !!
Kavita behterin hai par na jaane kyun mujhe prabhavit na kar saki (kshama karein)
haan magar
"प्रेम रस बरसाती
इठलाती,बलखाती
आ जाउंगी
बस तुम एक बार
पुकारो तो सही"
ye part accha ban pada hai...
:)
मैं वक्त नही
जवाब देंहटाएंजो वापस आ ना सकूं
मैं ख्वाब नही
जो फिर
देखा जा ना सकूं
बहुत सुन्दर भाव -- शायद पगडंडिया फिर से वही आहट सुनना चाहती है.
बहुर खूब लिखा है
गहरे संबंधों को उजागर करती अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंये एक बेहतरीन रचना है
जवाब देंहटाएंशायद शुभमुहूर्त में लिखी गयी है
सच कितनी सहज और शालीन रचना है ये
कहना अतिशयोक्ति नहीं है
दीपावली की आपके पूरे परिवार को शुभकामनाओं की कामना के साथ
नगर धुएं से भरा, सांस हुई दुश्वार
बम पटाखे फुलझड़ी, मत फूंको मेरे यार
अबकी बार हमने आतिशबाजी को अलविदा कह दिया ।
सच में किसी की आवाज़ में, पुकार में बहुत दम होता है .......... सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआवाज़ तो दो
जवाब देंहटाएंमैं वक्त नही
जो वापस आ ना सकूं
ham koi waqt nahi hain hamdam,
jab bulaoge chale aayenge...
bahut khoob..
पुकार जैसे आदिम विषय पर नये बिम्बों मे यह रचना है । एक गीत याद आता है " तुम पुकार लो तुम्हारा इंतेज़ार है " इस गीत मे जो तड़प थी उसका जवाब नहीं ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना . दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये .
जवाब देंहटाएंप्रेम रस बरसाती
जवाब देंहटाएंइठलाती,बलखाती
आ जाउंगी
बस तुम एक बार
पुकारो तो सही
मुझे वापस
बुलाओ तो सही.nice
बहुत गहरे उतर कर लिखी गई है।बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंwah kya baat hai......... ek purana geet yaad aa gaya.............tum pukaar lo, tumhara intzaar hai.........khwab chun rahi hai raat bejaraar hai.
जवाब देंहटाएंbahut khoob.
दिवाली की समस्त शुभकामनाएं पुरे परिवार को ...
जवाब देंहटाएंअर्श
kaash koi aisa kahne par pukaar le.....
जवाब देंहटाएंसुंदर.
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंतेरे गीतों के निर्मल धारे पर
जवाब देंहटाएंपायल छनकाती
प्रीत का गीत गाती
तेरी सरगम की पुकारों पर
प्रेम रस बरसाती
इठलाती,बलखाती
आ जाउंगी
vandana aapne dil khush kar diya,itani khubsurat nazm,waah,iski tunjhun mann mein baj uthi.
तेरी सरगम की पुकारों पर
जवाब देंहटाएंप्रेम रस बरसाती
इठलाती,बलखाती
आ जाउंगी
बस तुम एक बार
पुकारो तो सही
मुझे वापस
बुलाओ तो सही
सुन्दर पोस्ट है।
गोवर्धन-पूजा
और भइया-दूज की शुभकामनाएँ!
जबरदस्त रचना.बैठ गई दिल में.
जवाब देंहटाएंदीप-पर्व की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं'पुकार' की प्रतीक्षा की पीडा हृदय तक पहुंची. सुन्दर भावाभिव्यक्ति !!
तुम पुकार लो
जवाब देंहटाएंएक बार
आवाज़ तो दो
मैं वक्त नही
जो वापस आ ना सकूं
मैं ख्वाब नह
वन्दना जी बहुत सुन्दर कविता है शुभकामनायें
vandanaa ji .....ati sundar bhaav hai...waah
जवाब देंहटाएंbahut bhavpurn rachna....jahan samarpan aur sirf samarpan hi jhalakti hai.. bahut bahut badhai!!!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत,अतिसुन्दर.लौकिक और अलौलिक प्यार की पराकाष्ठा को अनुभुत कराती आपके काव्य की हर पन्क्तिया जैसे शब्दहीन सा हो जाने को विवश करती है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंbandhna
जवाब देंहटाएंbhut accha keh diya hai aapne
bhadhai
jasbirkalravihwg.blogspot.com
sunder rachna
जवाब देंहटाएंjasbirkalravihwg.blogspot.com
मैं वक्त नहीं जो बापिस आ न सकूं ----
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति |
आशा
बहुत खूब वंदना जी...
जवाब देंहटाएंबधाई...
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह! बड़ी सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंbehatarin rachana hai...
जवाब देंहटाएंbas isi ek ishare ki hi to jrurat hoti hai.....
जवाब देंहटाएंsaadar
वाह ...बेहतरीन अभिव्यक्ित ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंsundar..asha hai jaldi bulaaya jaaye...
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