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बुधवार, 30 सितंबर 2009

आ मेरी चाहत .................


मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ
तुझे ख्वाबों के
सुनहले तारों से
सजा दूँ
तेरी मांग में
सुरमई शाम का
टीका लगा दूँ
तुझे दिल के
हसीन अरमानों की
चुनरी उढा दूँ
अंखियों में तेरी
ज़ज्बातों का
काजल लगा दूँ
माथे पर तेरे
दिल में मचलते लहू की
बिंदिया सजा दूँ
अधरों पर तेरे
भोर की लाली
लगा दूँ
सिर पर तेरे
प्रीत का
घूंघट उढा दूँ

मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ

34 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर लगी आपकी यह चाहत .बढ़िया लिखा है आपने ...

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  2. किसी प्रेमी की अपनी प्रेयसी के लिये किसी एक दिवस के भिन्न भिन्न कालो के द्वारा श्रिन्गारिक उपमा देते हुये सजीव कल्पना जैसे पन्क्तियो मे साकार हो उठी है.

    सिर पर तेरे
    प्रीत का
    घूंघट उढा दूँ

    मेरी चाहत
    तुझे दुल्हन बना दूँ

    अन्त की चार पन्क्तियो मे प्रेमी की अपने प्रेयसी को दुल्हन के रूप मे प्राप्त करने की बलवती इच्छा इस कविता को जैसे सकारात्मकता प्रदान करती प्रतीत होती है.

    उम्दा कविता, प्रतीको के माध्यम से भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति.

    बधाई.

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  3. "आ
    मेरी चाहत
    तुझे दुल्हन बना दूँ"

    सुन्दर अभिव्यक्ति है।

    मगर,

    "तेरी मांग में
    सुरमई शाम का
    टीका लगा दूँ"

    शाम के सुरमई टीके की जगह
    प्रात: की उषा का सिन्दूर क्यों नही लगाया।

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  4. किसी प्रेमी की अपनी प्रेयसी के लिये किसी एक दिवस के भिन्न भिन्न कालो एवम अन्य प्रतीको के द्वारा श्रिन्गारिक उपमा देते हुये सजीव कल्पना जैसे पन्क्तियो मे अपने अद्भुत स्वरूप मे साकार हो उठी है.

    सिर पर तेरे
    प्रीत का
    घूंघट उढा दूँ

    मेरी चाहत
    तुझे दुल्हन बना दूँ

    अन्त की चार पन्क्तियो मे प्रेमी की अपने प्रेयसी को दुल्हन के रूप मे प्राप्त करने की बलवती इच्छा इस कविता को जैसे सकारात्मकता प्रदान करती प्रतीत होती है.

    उम्दा कविता, प्रतीको के माध्यम से भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति.

    बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  5. चाहत को चाहे कितना ही सजाओ संवारो
    पूरी हो न हो ये बड़ी विचित्र होती है
    चुनरी से ढको या शाम के टीके लगाओ
    बेसुरा गाओ या सुर में गाओ
    चाहे जो प्रयास करो
    ये भी पता नहीं लगता कब और कैसे आती है
    पर चाहत तो चाहत ही रह जाती है।

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  6. आ मेरी चाहत तुझे दुल्हन बना दू . उम्दा

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  7. सुन्दर प्रेम रस में डूबी आशावादी कविता है..

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  8. चाहत का दुल्हन वेश बढ़िया है ...!!

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  9. bahut pyaari kavita , aapne to bhaavo ko shabd de diya hai ji
    badhai sweekar kare,

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  10. वाह क्या बात है चाहत को दुल्हन बना दिया। बहुत प्यारी सी लिखी है यह रचना। आपकी खूबी यही है कि आपके पास रचनाएं लिखने के लिए विषयों की कमी नही है। हम सोचते रह्ते है और आप लिख देती है।

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  11. कमाल की चाहत है। आपकी चाहत का काव्यात्मक रंग देखकर एक शेर की दो पंक्तियां पेश है
    ये तो करिश्मा है लोगों की चाहत का, वरना
    आज पत्थर को ताजमहल कौन कहता।

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  12. mn ke ek-ek armaan ki
    bahut hi sundar abhvyaktee
    mn-mohak rachnaa . . .

    ---MUFLIS---

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  13. chahat ko dulhan ?

    wah wah !!

    "rang mazi ke jab bhi chatakh se hue,
    hum tasavvur ki surat banate rahe.
    "

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  14. वाह आ मेरी चाहत तुझे दुलहन बना दूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है वन्दना आज तक की बेहतरीन रचना बधाई

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  15. आपने अपनी चाहत में जीवन के रंग भर दिए हैं ,.......... लाजवाब लिखा है ..

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  16. आप जिंदगीसे कितनी उम्मीदें करती है और उसे कितने रंगों से सजाती है ,बहुत अच्छा लगता है ....

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  17. बहुत सुन्दर ढंग से आपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है।शुभकामनायें।
    हेमन्त कुमार

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  18. बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! इस बेहतरीन और शानदार रचना के लिए बधाई!

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  19. काश ये सब कुछ सच हो जाता और हम इसे महसूस करने की जगह देख पाते
    सुंदर अभिव्यक्ति
    मेरा ब्लॉग भी देखें rachanaravindra.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  20. काश ये सब कुछ सच हो जाता और हम इसे महसूस करने की जगह देख पाते
    सुंदर अभिव्यक्ति
    मेरा ब्लॉग भी देखें rachanaravindra.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  21. खूबसूरत भावो से युक्त सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  22. सिर पर तेरे
    प्रीत का
    घूंघट उढा दूँ

    मेरी चाहत
    तुझे दुल्हन बना दूँ:::::::
    वाह बहुत खूब
    आपने चाहत को इतने सुन्‍दर शब्‍दों में संजोया है कि मैं निशब्‍द हो गया हूं।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  23. सिर पर तेरे
    प्रीत का
    घूंघट उढा दूँ

    मेरी चाहत
    तुझे दुल्हन बना दूँ:::::::
    वाह बहुत खूब
    आपने चाहत को इतने सुन्‍दर शब्‍दों में संजोया है कि मैं निशब्‍द हो गया हूं।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  24. अंखियों में तेरी
    ज़ज्बातों का
    काजल लगा दूँ
    माथे पर तेरे
    दिल में मचलते लहू की
    बिंदिया सजा दूँ
    vandanaji
    bahut hi sunder bhavyakti hai ye apne pyar ke liye aapne subah shaam ke saath saath aapke man mein uth rehe bhavoo ka samjasya ker bahut hi adhbhut kavita rachi hai ..badhai ...

    जवाब देंहटाएं

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