तेरे गीतों की स्वरलहरी पर
कदम मेरे मचल जाते हैं
तू बादल बन छा जाता है
मैं मोर सी थिरक जाती हूँ
तेरे गीतों के बोलो पर
दिल मेरा तड़प जाता है
तू दर्द बन छा जाता है
मैं आंसुओं में डूब जाती हूँ
तेरी गीतों की हर धुन पर
इक आह सी निकल जाती है
तू भंवरा सा गुनगुनाता है
मैं कली सी शरमा जाती हूँ
श्रंगार रस से भरी हुई ...वाह
जवाब देंहटाएंbhut acchi rachna
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंगीतों की स्वर-लहरी पर,अरमान मचल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंआँसू के सैलाबों से, पाषाण पिघल जाते हैं।।
गम के नगमें सुन कर, मन से आह निकल जाती है।
दुख में जीवन जीने की, इक राह निकल जाती है।।
bahut sunder vandana ji, aapki rachnaon men kuchh apnapan mil
जवाब देंहटाएंसुन्दर रूमानी भाव लिए है यह रचना ..बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
वन्दना है, प्रार्थना है,
जवाब देंहटाएंअर्चना है, साधना है.
प्यार पूजा-पाठ है-
प्यार ही आराधना है.
वाह .... सुंदर .... आज कल तेवर बदले हुये हैं :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंati sundar rachana
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