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शनिवार, 21 मार्च 2009

मंथन

मंथन किसी का भी करो
मगर पहले तो
विष ही निकलता है
शुद्धिकरण के बाद ही
अमृत बरसता है
सागर के मंथन पर भी
विष ही पहले
निकला था
विष के बाद ही
अमृत बरसा था
विष को पीने वाला
महादेव कहलाया
अमृत को पीने वालों ने भी
देवता का पद पाया
आत्म मंथन करके देखो
लोभ , मोह , राग ,द्वेष
इर्ष्या , अंहकार रुपी
विष ही पहले निकलेगा
इस विष को पीना
किसी को आता नही
इसीलिए कोई
महादेव कहलाता नही
आत्म मंथन के बाद ही
सुधा बरसता है
इस गरल के निकलते ही
जीवन बदलता है
पूर्ण शुद्धता पाओगे जब
तब अमृत्व स्वयं मिल जाएगा
उसे खोजने कहाँ जाओगे
अन्दर ही पा जाओगे
आत्म मंथन के बाद ही
स्वयं को पाओगे
मंथन किसी का भी करो
पहले विष तो फिर
अमृत को भी
पाना ही होगा
लेकिन मंथन तो करना ही होगा

24 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन के अनुभवों से लबरेज कविता। बधाई।

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  2. वाह क्या बात है।
    आत्म मंथन की बात को कितने साधाहरण रुप से समझा दिया।
    बहुत ही बेहतरीन।

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  3. manthan kisi ka bh kari...............manthan to karna hi hoga. bahut khoob.sach atm gyaan ke liye apne saare vish baahar nikaalne padte hain. tabhi amrit milta hai.

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  4. वाह , शुभकामनाएं ,सीधे ही लख दिया आपने

    अपनी अपनी डगर

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  5. मंथन कविता हम सब का मंथन है । बहुत खूब

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  6. सुरों और असुरों ने रत्नाकर का मंथन कर डाला।

    रत्न-समुच्चय और गरल-अमृत भी खोज निकाला।

    अमृत-रस को पीने वाला , केवल देव कहाया।

    जिसने विष को पिया उसी ने महादेव पद पाया।

    पहले बोना पड़ता फिर, उसको काटा जाता है।

    कर्मों के अनुसार, पुण्य-फल को बाँटा जाता है।

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  7. सुरों और असुरों ने रत्नाकर का मंथन कर डाला।

    रत्न समुच्चय और गरल-अमृत भी खोज निकाला।

    अमृत-रस को पीने वाला , केवल देव कहाया।

    जिसने विष को पिया उसी ने महादेव पद पाया।

    पहले बोना पड़ता फिर, उसको काटा जाता है।

    कर्मों के अनुसार, पुण्य-फल को बाँटा जाता है।

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  8. बहुत सटीक बातें ... सुंदर प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया आपके चिठ्ठे की चर्चा समयचक्र में आज

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  10. जीवन और अध्यात्म एक साथ खूबसूरती से समझा दिया आपने ।
    सुंदर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  11. जीवन और अध्यात्म एक साथ खूबसूरती से समझा दिया आपने ।
    सुंदर प्रस्तुति ।

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  12. bahut acha taal mail prastut kiya hai aapne adhyatam aur naitik jeevan mein...badhai ho aapko :)

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  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  14. apni post me aapne sahi baat kahi hai ... well done its nice post

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  15. प्रिय वंदना...सही कहा तुमने शुद्धिकरण के बाद ही अमृत मिलता है ...जिन्दगी का फलसफा इतना ही गहरा है

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  16. अति सुन्दर रचना.
    मंथन का ऐसा अहसास मुझे भी प्रायः होता रहा, पर उसे इतने सुन्दर शब्द न दे पाया.................

    अति सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक आभार.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  17. अच्छा लिखतीं हैं आप

    बहुत अच्छी रचना

    आप हमारे नए ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं-

    पता है up4bhadas,blogspot.com

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  18. आत्म मंथन को कविता का रूप देने के लिए बधाई.
    सुंदर प्रस्तुति.

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  19. काफी सशक्त,प्रभावशाली रचना..........

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  20. very true...a strong statement...bahut sunder likhti hain aap.

    जवाब देंहटाएं

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