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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

प्यार हो तो ऐसा

बर्फ की मानिन्द
सर्द हाथ को
जो छुआ उसने
कुछ कहने और सुनने
से पहले
वहीँ साँसे
थम गयीं
आँखें पथरा गयीं
और
रूह खामोश हो गई

9 टिप्‍पणियां:

  1. pyaarki anubhuti ko vyakt karneki khubsurat raah hai aapki..vakt tham jaye ,jam jaaye...aur ruh ek ho jaye

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  2. बेहोशी ने होश उडा दिये
    होश मेँ होते तो ना जाने क्या होता।
    शीर्षक बहुत माकूल है।

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.

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  4. वाह प्यार की अच्छी कल्पना । ऐसे लिखते रहिए शुक्रिया

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  5. bahut bahut hi sundar vandana ji. sabse aham bat aapne baht kam shabdon me kavita kah dali.
    agar waqt mile to mera blog bhi dekhen

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  6. i am speechless about this poem , this is one of your best compositions ...

    the words are out of the owrld and creats an impressions of the love relation ,which can not be binded in the words..

    I must congretualate you on this " your best " composition.

    take care
    regards
    vijay

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