मुझे
न कहीं जाना है न आना है
मुझे तो यहीं कहीं ठहरना है
जैसे ठहरती है धूप आँगन में
जैसे ठहरती है उम्मीद मन में
जैसे ठहरती है आशा जीवन में
नैराश्य के गह्वरों से
दूर बनाया है मैंने अपना आशियाना
यहाँ सुबह है
सांझ है
हवा है
बारिश है
मिटटी की सौंधी खुशबू है
कण कण में व्याप्त है जीवन
जीवन वो नहीं जो जीया जा रहा है
जीवन वो है जिसने बताया तुम्हें
कहाँ ठहरना है
कहाँ छोडनी है अपनी छाप
कि
कायनात के अंत के बाद भी
बचे रहें मेरी मुस्कराहट के बीज
कि
रक्तबीज सी उगूँ
और कण कण में बिखेर दूँ
खिलखिलाहट का बीज
हर चेहरे की मुस्कराहट के ताबीज में मिलूँ
तो जान लेना
मैंने जान लिया है ठहरना
मैंने पा लिया है अपना होना
शंखनाद सी गूंजूं और हो जाए ज़िन्दगी मुकम्मल
जहाँ आने और जाने में शोर है
वहीं ठहरना एक खामोश क्रिया है
जो किसी प्रतिक्रिया की मोहताज नहीं
करके आने जाने से मुक्त ...मुझे ठहरने दो
क्योंकि
मुसाफिर नहीं जो दो घूँट जल पी जल दूँ गंतव्य पर ...
न कहीं जाना है न आना है
मुझे तो यहीं कहीं ठहरना है
जैसे ठहरती है धूप आँगन में
जैसे ठहरती है उम्मीद मन में
जैसे ठहरती है आशा जीवन में
नैराश्य के गह्वरों से
दूर बनाया है मैंने अपना आशियाना
यहाँ सुबह है
सांझ है
हवा है
बारिश है
मिटटी की सौंधी खुशबू है
कण कण में व्याप्त है जीवन
जीवन वो नहीं जो जीया जा रहा है
जीवन वो है जिसने बताया तुम्हें
कहाँ ठहरना है
कहाँ छोडनी है अपनी छाप
कि
कायनात के अंत के बाद भी
बचे रहें मेरी मुस्कराहट के बीज
कि
रक्तबीज सी उगूँ
और कण कण में बिखेर दूँ
खिलखिलाहट का बीज
हर चेहरे की मुस्कराहट के ताबीज में मिलूँ
तो जान लेना
मैंने जान लिया है ठहरना
मैंने पा लिया है अपना होना
शंखनाद सी गूंजूं और हो जाए ज़िन्दगी मुकम्मल
जहाँ आने और जाने में शोर है
वहीं ठहरना एक खामोश क्रिया है
जो किसी प्रतिक्रिया की मोहताज नहीं
करके आने जाने से मुक्त ...मुझे ठहरने दो
क्योंकि
मुसाफिर नहीं जो दो घूँट जल पी जल दूँ गंतव्य पर ...