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रविवार, 5 जुलाई 2015

कहीं बच्चे भी कभी बड़े होते हैं ?.........5



आज मेरा बेटा ईशान २१ साल का हो गया . पीछे मुड़कर देखती हूँ तो पता ही नहीं चलता कहाँ गुजरा इतना वक्त 
और ज़िन्दगी में पहली बार है कि मुझसे दूर हैदराबाद में माइक्रोसॉफ्ट में इंटर्नशिप के लिए गया हुआ है ........उसकी उन्नति की कामना करते हुए अपने मन के उदगार पांच दिनों से प्रगट कर रही थी क्योंकि ५ जुलाई जन्मदिन है पता नहीं कैसे पांच ही कविताओं ने आकार लिया इस बार ........अनंत शुभकामनाओं के साथ 

नौकरी जरूरी है 
उस पर मन का काम मिल जाए 
तो सोने पर सुहागा हो जाता है 
और तुमने वो सब पाया जो तुमने चाहा 
और कहीं न कहीं शायद मैंने भी 

माँ हूँ न , कैसे तुम्हारी तरक्की की राह में रोड़ा बन सकती हूँ 
जबकि अन्दर ही अन्दर जानती हूँ इस सत्य को 
कि तुम्हारी चाहत का मतलब है बिछोह 
होना होगा तुमसे दूर ...

' मैं यहाँ तू वहां '
गुजरना होगा इस दौर से 
फिर भी तुम्हारी तरक्की हेतु 
तुम्हारी इच्छा हेतु 
मान लेती हूँ मनौती 

कैसी माँ हूँ मैं ..........है न 
करने को खुद से दूर हो जाती हूँ आतुर 
और कर बैठती हूँ वो ही जो तुम चाहते हो मेरे बच्चे !!!


5 टिप्‍पणियां:

  1. अतुल्य अवतार होती है मा ।
    जिसकी कोई तुलना नही ।

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  2. माँ का ह्रदय एक माँ ही समझ सकती है। बेटे को हमारा भी शुभाशीष।

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  3. जब पहली बार मेरा बेटा मुझसे दूर गया था तब मैने भी यही सब महसूस किया वन्दना जी . हर माँ के दिल की आवाज है आपके दिल से निकली यह अभिव्यक्ति . बेटे को बहुत सारी शुभकामनाएं .आपको बधाई . दुखी होकर भी माँ यही तो चाहती है .

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