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बुधवार, 17 दिसंबर 2014

देखो ये है बच्चों की बारात




आओ आओ 
देखो ये है बच्चों की बारात 
जहाँ बच्चे ही दूल्हा 
बच्चे ही बाराती 
किसी की चिरी है छाती 
किसी की आँख है निकली 
किसी की अंतड़ियाँ 
तो किसी के भेजे में 
गोली है फंसी 
किसी का चेहरा यूँ लहुलुहान हुआ 
कि माँ से न पहचाना गया 
पिता रोते रोते बेदम हुआ 
माँ ने तो होश ही खो दिया 
जिसका लाल आज लाल हुआ 

ये कैसे जांबाज सिपाही 
बिन सेहरा पहने ही चल दीये 
मौत की दुल्हन से मिलने गले 
कब्र भी कम पड़ गयीं 
जिन्हें देख कबिस्तान की भी जान सूख गई 
ये कैसी  बारात आई है 
जहाँ हर ओर  रुसवाई है  
हर चेहरे पर मुर्दनी छाई है 
देख खुदा भी सहम गया 

क्या अब भी सियासतदारों न तुम्हारी आँख खुली ?

अब प्रश्न तुम से है 

ओ मानवता के दुश्मनों 
ये कैसा संहार किया 
ओ ताकतवर सियासी ताकतों (पाकिस्तान , अमेरिका )
ये फसल तो तुम्हारी ही है बोई हुई 
कल तुमने पाला जिसे 
आज छीना निवाला उसी ने 
अब तो जाग जाओ 
बच्चों की शहादत से तो सबक सीख जाओ 
वर्ना 
कल के तुम जिम्मेदार होंगे 
जब इन्ही में से किसी के अपने 
हाथ में बन्दूक पकड़ेंगे 
और निशाने पर होंगे ........... तुम 

क्योंकि 
मासूमियत के हत्यारे हो तुम सिर्फ तुम 
और तुम्हारी एकछत्र राज करने की ख्वाहिश 



7 टिप्‍पणियां:

  1. कल 18/दिसंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  2. तुतलाती आवाज़ों ने गुहार तो लगे होगी
    खुद को बचाने की हर की छलांग लगाई होगी
    ...............मार्मिक क्रंदन

    जवाब देंहटाएं
  3. तुतलाती आवाज़ों ने गुहार तो लगे होगी
    खुद को बचाने की हर की छलांग लगाई होगी
    ...............मार्मिक क्रंदन

    जवाब देंहटाएं
  4. बड़ा खौफनाक..बड़ा दर्दनाक ..
    सबकी आहें एक न एक दिन ऐसे कृत्य करने वालों को ले डूबेगी जरूर ...

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  5. विदारक, किसी को न मिले ऐसा दिन देखने को,

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  6. मजहब के नाम पर मासूमों की बलि दे डाली… संवेदनशील। ।

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