वो जो ढाँप कर नकाब मिलते हैं
दोस्त बन कर ही मुझे ठगते हैं
प्याज की परत से जिनके छिलके उतरते हैं
एक चेहरे में उनके हजार चेहरे दिखते हैं
सत्य के फेरों से जब गुजरते हैं
मेरे अपने बन मुझे ही ठगते हैं
रोने को न जब आँसू बचते हैं
हम गिर गिर कर तब संभलते हैं
मेरे पाँव से जो कालीन सरकाते हैं
वो ही मुस्कुराकर गले अब मिलते हैं
क़त्ल करने को तीर न तलवार चलाते हैं
अपनेपन की बर्छियों से ही आस्तीनें काटे जाते हैं
भरी दुनिया में गैर से खुद को लगते हैं
जब अपनों द्वारा नकारे जाते हैं
क़त्ल करने को तीर न तलवार चलाते हैं
जवाब देंहटाएंअपनेपन की बर्छियों से ही आस्तीनें काटे जाते हैं ..
कुछ दोस्त ऐसे ही होते हैं .. सावधान रहने कि जरूरत है ..
sundar bhav abhivyakti , vandana ji hardik badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर , बधाई
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्द रचना कुछ शेर सी, बधाई
जवाब देंहटाएंअगर ये ग़ज़ल है तो बहर का ध्यान रखिये
जवाब देंहटाएंरोने को न जब आँसू बचते हैं
जवाब देंहटाएंहम गिर गिर कर तब संभलते हैं
very right .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (25-03-2014) को "स्वप्न का संसार बन कर क्या करूँ" (चर्चा मंच-1562) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
कामना करता हूँ कि हमेशा हमारे देश में
परस्पर प्रेम और सौहार्द्र बना रहे।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर भाव ..
जवाब देंहटाएंKHYAAL ACHCHHE HAIN .
जवाब देंहटाएंबहुत हि बढ़िया व शानदार रचना , वंदना जी धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ प्राणायाम ही कल्पवृक्ष ~ ) - { Inspiring stories part -3 }
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंलेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
वंदना जी, अपने रचना की कुछ पंक्तियाँ आपको समर्पित कर रहा हूँ जिसे आप एक टिपण्णी के रूप में लीजियेगा _
जवाब देंहटाएं'' खेलना शगल है -वो खेलते ही आये हैं, मेरे जज़्बात तो उनके लिए खिलौना हैं. ''
वंदना जी, अपने रचना की कुछ पंक्तियाँ आपको समर्पित कर रहा हूँ जिसे आप एक टिपण्णी के रूप में लीजियेगा _
जवाब देंहटाएं'' खेलना शगल है -वो खेलते ही आये हैं, मेरे जज़्बात तो उनके लिए खिलौना हैं. ''
वंदना जी, अपने रचना की कुछ पंक्तियाँ आपको समर्पित कर रहा हूँ जिसे आप एक टिपण्णी के रूप में लीजियेगा _
जवाब देंहटाएं'' खेलना शगल है -वो खेलते ही आये हैं, मेरे जज़्बात तो उनके लिए खिलौना हैं. ''