जिस भी रंग को चाहा
वो ही ज़िन्दगी से निकलता रहा
लाल रंग .......... सुना था प्रेम का प्रतीक होता है
बरसों बीते
खेली ही नहीं
बिना प्रेम कैसी होली
उसके बाद तो मेरी हर होली ........बस हो ..........ली !!!
दहकते अंगारों पर
अब कितना ही पानी डालो
कुछ शोले उम्र भर सुलगा करते हैं
दिल में होली जल रही है .......................
बाहर होली, भीतर होली..
जवाब देंहटाएंथिरक रही हैं रंग-रंगोली...!
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सभी का यही हाल है वन्दना जी!
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धधक रही है मन में ज्वाला।
होली का दस्तूर निराला!
इतनी उथल पुथल हो रही है ,तो सच दिल में होली जल रही है ।
जवाब देंहटाएंभावनात्मक प्रस्तुति आभार अमिताभ बच्चन :सामाजिक और फ़िल्मी शानदार शख्सियत .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंbahut hi saar garbhit kavta or lekhni hoti hai ji !! prerna dayak bhi hoti hai !! ham ise share karna chahte hain apne blog " 5th pillar corruption killer " par kripya hameshaa ke liye izaajat de dijiye ji !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण प्रभावी रचना,,,
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
जवाब देंहटाएंअन्दर आग धधकता रहता है
रंग के बौछार से कुछ ठंडा होता है
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गहन भाव... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंदहकते शोलों पर पानी डालो , मगर सुलगते ही रहते हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
किसी की होली -- किसी की बस हो ली !
जवाब देंहटाएंगहन भावों को समेटे सुन्दर रचना।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंअगले दिन रंग भी बरसेंगे उसमें..
जवाब देंहटाएंभावुक करती रचना......
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
बहुत खूब ... दिल में जब होली जल रही हो तो रंगों का असर कहां होता है ...
जवाब देंहटाएंहीली तो हो ली
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंपधारें " चाँद से करती हूँ बातें "
Happy holi
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