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शनिवार, 23 मार्च 2013

दिल में होली जल रही है .......................

जिस भी रंग को चाहा 
वो ही ज़िन्दगी से निकलता रहा 

लाल रंग .......... सुना था प्रेम का प्रतीक होता है 

बरसों बीते 
खेली ही नहीं 
बिना प्रेम कैसी होली 
उसके बाद तो मेरी हर होली ........बस हो ..........ली !!!

दहकते अंगारों पर 
अब कितना ही पानी डालो 
कुछ शोले उम्र भर सुलगा करते हैं 

दिल में होली जल रही है .......................

17 टिप्‍पणियां:

  1. बाहर होली, भीतर होली..
    थिरक रही हैं रंग-रंगोली...!
    --
    सभी का यही हाल है वन्दना जी!
    --
    धधक रही है मन में ज्वाला।
    होली का दस्तूर निराला!

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  2. इतनी उथल पुथल हो रही है ,तो सच दिल में होली जल रही है ।

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  3. भावनात्मक प्रस्तुति आभार अमिताभ बच्चन :सामाजिक और फ़िल्मी शानदार शख्सियत .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  4. bahut hi saar garbhit kavta or lekhni hoti hai ji !! prerna dayak bhi hoti hai !! ham ise share karna chahte hain apne blog " 5th pillar corruption killer " par kripya hameshaa ke liye izaajat de dijiye ji !!

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  5. बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रभावी रचना,,,
    होली की हार्दिक शुभकामनायें!
    Recent post: रंगों के दोहे ,

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  6. दहकते शोलों पर पानी डालो , मगर सुलगते ही रहते हैं !
    बहुत खूब !

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  7. किसी की होली -- किसी की बस हो ली !
    गहन भावों को समेटे सुन्दर रचना।

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  8. बहुत खूब ... दिल में जब होली जल रही हो तो रंगों का असर कहां होता है ...

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  9. बहुत सुन्दर ...
    पधारें " चाँद से करती हूँ बातें "

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