पृष्ठ

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

सिद्धांत लागू हो रहा है हम पर

तुम ---
खामोश मोहब्बत हो कोई
और मैं ---
जैसे विराम कोई मिल जाये

तुम ----
दहकती ख्वाहिश हो कोई
और मैं---
जैसे बहकता सावन कोई बरस जाये

सिद्धांत लागू हो रहा है हम पर
विपरीत ध्रुवों के आकर्षण का ………है ना !!!!!!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ....नायाब खयाल ...बेहद सुन्दर ...कम शब्दों बड़ी बात ...बहुत बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. जब तक विपरीत रहें तब तक ही आकर्षण है .... बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! क्या बात कही है। बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रकृति रही है अपने मन में..आकर्षण स्वाभाविक है।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रकृति के सिधांतों के विपरीत जाना स्वाभाविक नहीं.

    सुंदर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रकृति का नियम ही है बिपरीत धुर्वो के तरफ आकर्षण का,बहुत ही सुन्दर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  7. एक सत्य आपकी बातों से सहमत

    जवाब देंहटाएं
  8. विपरीत लिंगीय आकर्षण प्रकृति का नियम है ! सुंदर अभिव्यक्‍ति।

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया