मैं नीली हँसी नहीं हँसती
कहा था तुमने एक दिन
बस उसी दिन से
खोज रही हूँ ..............नीला समंदर
नीला बादल , नीला सूरज
नीला चाँद , नीला दिल
हाँ ............नीला दिल
जिसके चारों तरफ बना हो
तुम्हारा वायुमंडल सफ़ेद आभा लिए नहीं
सफेदी निकाल दी है मैंने
अब अपने जीवन से
चुन लिया है हर स्याह रंग
जब से तुम्हारी चाहत की नीली
चादर को ओढा है मैंने
देखो तो सही
लहू का रंग भी नीला हो गया है मेरा
शिराएं भी सहम जाती हैं लाल रंग देखकर
कितना जज़्ब किया है न मैंने रंग को
बस नहीं मिली तो सिर्फ एक चीज
जिसके तुम ख्वाहिशमंद थे
कहा करते थे ............एक बार तो नीली हँसी हँस दो
देखो नीले गुलाब मुझे बहुत पसंद हैं
और मैं तब से खड़ी हूँ
झील के मुहाने पर
गुलाबों को उगाने के लिए
नीली हँसी के गुलाब ..........
एक अरसा हुआ
नीले गुलाब उगे ही नहीं
लगता है
तेरी चाहत के ताजमहल को बनाने के बाद
खुद के हाथ खुद ही काटने होंगे
क्यूंकि
सुना है नील की खेती के बाद जमीन बंजर हो जाती है ..........
अति सुन्दर नीला-काव्य..
जवाब देंहटाएंVah bahut sundar aur nili vytha-katha ko bkhubi sajoye prastuti
जवाब देंहटाएंनवीन शिल्प के साथ अवतरित यह कविता अंत में अवाक कर देती है।
जवाब देंहटाएंरोमांचक आखिरी पंक्तिया
जवाब देंहटाएंवाह...बस वाह ...!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंहँसी का भी रंगों में विभाजन कर दिया आपने!
गहरी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंशब्दों का नीला समंदर है आपकी रचना... सचमुच बहुत गहरी...
जवाब देंहटाएंBEAUTIFUL LINES WITH UNEXPECTED END. VERY NICE AND GRACEFUL.
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिये निशब्द करती आख़िरी पंक्ति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : समय की पुकार है,
वाह!!! वंदना जी अंतिम पंक्तियों ने कमाल कर दिया बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंअंतिम चार पंक्तियों में आपने सिक्सर मार दिया है!
जवाब देंहटाएंतेरी चाहत के ताजमहल को बनाने के बाद
खुद के हाथ खुद ही काटने होंगे
क्यूंकि सुना है नील की खेती के बाद
जमीन बंजर हो जाती है ......
gazab ke bhaw.....lajvaab...
जवाब देंहटाएंनील की खेती , बंजर जमीन ...
जवाब देंहटाएंइसलिए नीली हंसी हँसना नहीं !
adbhut!!!!! main samjh rahi thi...aur ant me vahi dekh kar ...adbhut.badhaii.
जवाब देंहटाएंओ नदी ... मिल जाये समंदर
जवाब देंहटाएंतो कुछ नीली हंसी कंदराओं को भी दे देना ...
उसके बाद बंजर होकर भी सुकून मिलेगा - नीली मुस्कान की ख्वाहिश पूरी करके
शब्द ही नहीं मिल रहे...क्या कहूँ.....~दिल दिमाग़...सभी कुछ नीला दिखाई दे रहा है...~बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएं~सादर !
सोंधी सी हँसी के बाद नीली सी हँसी :-))
जवाब देंहटाएंkya kavita likhi hain......wah.
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण रचना... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com आप का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं..
जवाब देंहटाएंkavita man ko bharpoor chhootee hai.
जवाब देंहटाएंkavita man ko bharpoor chhootee hai.
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