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रविवार, 4 नवंबर 2012

मैं नीली हँसी नहीं हँसती

मैं नीली हँसी नहीं हँसती 
कहा था तुमने एक दिन 
बस उसी दिन से 
खोज रही हूँ ..............नीला समंदर 
नीला बादल , नीला सूरज 
नीला चाँद , नीला दिल 
हाँ ............नीला दिल 
जिसके चारों  तरफ बना हो 
तुम्हारा वायुमंडल सफ़ेद आभा लिए नहीं 
सफेदी निकाल  दी है मैंने 
अब अपने जीवन से 
चुन लिया है हर स्याह रंग 
जब से तुम्हारी चाहत की नीली 
चादर को ओढा है मैंने 
देखो तो सही 
लहू का रंग भी नीला हो गया है मेरा 
शिराएं भी सहम जाती हैं लाल रंग देखकर 
कितना जज़्ब किया है न मैंने रंग को 
बस नहीं मिली तो सिर्फ एक चीज 
जिसके तुम ख्वाहिशमंद थे 
कहा करते थे ............एक बार तो नीली हँसी हँस दो 
देखो नीले गुलाब मुझे बहुत पसंद हैं 
और मैं तब से खड़ी हूँ 
झील के मुहाने पर 
गुलाबों को उगाने के लिए 
नीली हँसी के गुलाब ..........
एक अरसा हुआ 
नीले गुलाब उगे ही नहीं 
लगता है 
तेरी चाहत के ताजमहल को बनाने के बाद 
खुद के हाथ खुद ही काटने होंगे 
क्यूंकि 
सुना है नील की खेती के बाद जमीन बंजर हो जाती है ..........

24 टिप्‍पणियां:

  1. Vah bahut sundar aur nili vytha-katha ko bkhubi sajoye prastuti

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  2. नवीन शिल्प के साथ अवतरित यह कविता अंत में अवाक कर देती है।

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  3. बहुत खूब!
    हँसी का भी रंगों में विभाजन कर दिया आपने!

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  4. शब्दों का नीला समंदर है आपकी रचना... सचमुच बहुत गहरी...

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  5. वाह!!! वंदना जी अंतिम पंक्तियों ने कमाल कर दिया बहुत खूब...

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  6. अंतिम चार पंक्तियों में आपने सिक्सर मार दिया है!
    तेरी चाहत के ताजमहल को बनाने के बाद
    खुद के हाथ खुद ही काटने होंगे
    क्यूंकि सुना है नील की खेती के बाद
    जमीन बंजर हो जाती है ......

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  7. नील की खेती , बंजर जमीन ...
    इसलिए नीली हंसी हँसना नहीं !

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  8. adbhut!!!!! main samjh rahi thi...aur ant me vahi dekh kar ...adbhut.badhaii.

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  9. ओ नदी ... मिल जाये समंदर
    तो कुछ नीली हंसी कंदराओं को भी दे देना ...
    उसके बाद बंजर होकर भी सुकून मिलेगा - नीली मुस्कान की ख्वाहिश पूरी करके

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  10. शब्द ही नहीं मिल रहे...क्या कहूँ.....~दिल दिमाग़...सभी कुछ नीला दिखाई दे रहा है...~बहुत सुंदर !
    ~सादर !

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  11. सोंधी सी हँसी के बाद नीली सी हँसी :-))

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  12. भाव पूर्ण रचना... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com आप का स्वागत है।

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  13. बहुत सुन्दर...अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं..

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