सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है
ये ब्लोगिंग में मचा घमासान सा क्यों है
क्या हुआ जो एक पुरस्कार हाथ से छूट गया
क्या हुआ जो दिल तुम्हारा टूट गया
ऐसा तो हमेशा होता आया
फिर भी उठा आखिर ये बवाल सा क्यों है
क्या हुआ जो तुम्हारी पूछ ना हुई
क्या हुआ जो आयोजक की चाँदी हो गयी
यूँ ही तो नहीं बनता कोई खतरों का खिलाडी
आयोजकों पर मढ़ा ये इल्ज़ाम सा क्यों है
क्या हुआ जो आयोजन में कमी रह गयी
क्या हुआ जो बद इन्तजामी रह गयी
बड़े बड़े शहरों में छोटी छोटी
बातें होती रहती हैं
ऐसी बातें कहता हर बार वो है
हर आयोजक का पुराना जुमला यही क्यों है
क्या हुआ जो अपनी भड़ास दूसरों पर निकाल दी
क्या हुआ जो किसी शख्सियत ने वाह वाही बटोर ली
ये तो होता आया हर आयोजन में
फिर इस बार ही ये धमाल सा क्यों है
क्या हुआ जो तुम्हारी ट्रेन छूट गयी
क्या हुआ जो ट्राफ़ी तुमसे रूठ गयी
ये ही तो होता आया ब्लोगिंग की जुगाडु दुनिया में
फिर इस बार ही छाया ये तूफ़ान सा क्यों है
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है
ये ब्लोगिंग में मचा घमासान सा क्यों है
:):):):):):):):):)
ये ब्लोगिंग में मचा घमासान सा क्यों है
क्या हुआ जो एक पुरस्कार हाथ से छूट गया
क्या हुआ जो दिल तुम्हारा टूट गया
ऐसा तो हमेशा होता आया
फिर भी उठा आखिर ये बवाल सा क्यों है
क्या हुआ जो तुम्हारी पूछ ना हुई
क्या हुआ जो आयोजक की चाँदी हो गयी
यूँ ही तो नहीं बनता कोई खतरों का खिलाडी
आयोजकों पर मढ़ा ये इल्ज़ाम सा क्यों है
क्या हुआ जो आयोजन में कमी रह गयी
क्या हुआ जो बद इन्तजामी रह गयी
बड़े बड़े शहरों में छोटी छोटी
बातें होती रहती हैं
ऐसी बातें कहता हर बार वो है
हर आयोजक का पुराना जुमला यही क्यों है
क्या हुआ जो अपनी भड़ास दूसरों पर निकाल दी
क्या हुआ जो किसी शख्सियत ने वाह वाही बटोर ली
ये तो होता आया हर आयोजन में
फिर इस बार ही ये धमाल सा क्यों है
क्या हुआ जो तुम्हारी ट्रेन छूट गयी
क्या हुआ जो ट्राफ़ी तुमसे रूठ गयी
ये ही तो होता आया ब्लोगिंग की जुगाडु दुनिया में
फिर इस बार ही छाया ये तूफ़ान सा क्यों है
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है
ये ब्लोगिंग में मचा घमासान सा क्यों है
:):):):):):):):):)
aapne bhi mauka ka faayada utha liya... ek kavita likh daali
जवाब देंहटाएं@अरुण चन्द्र रॉय जी अपनी तो ये आदत है कि हम कुछ नही कहते :)))))))
जवाब देंहटाएंक्या करें अरुण जी दिल है कि मानता नहीं और लिख देता है कुछ ना कुछ …………वैसे भी इतना हंगामा बरपा हुआ है तो ये भी होना ही था :))))))
-:)))
जवाब देंहटाएंjo hota hai achhe ke liye hota hai ...
जवाब देंहटाएंजे बात ... ;-)
जवाब देंहटाएंऔर लीजिये पंगा, इनाम बाँटने वालों से ! :)
जवाब देंहटाएंमोहब्बत यह मोहब्बत - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
जवाब देंहटाएंचलिये हमलोगो को कम से कम एक सार्थक रचना का फ़ायदा तो हुआ.
जवाब देंहटाएंयह शुद्ध हास्य पसंद आया।
जवाब देंहटाएंकुछ तो गरम हवा चली ....वरना तो ब्लोगस पर पाला पड़ा हुआ था ।
जवाब देंहटाएंबड़ी ही रोचक शैली में उठाये गये प्रश्न..
जवाब देंहटाएंपरेशान व्यक्ति हर दिशा में भागता है.
जवाब देंहटाएंसही तक भी पहुँच ही जाता है कभी न कभी .
Mai to is ghamasaan se pooree tarah bekhabar hun!
जवाब देंहटाएंरोचक :)
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
हाहाहा.. ये भी खूब रही...
जवाब देंहटाएंbade soch se dhun raha tha jamana
जवाब देंहटाएंtum hi bah gaye nadi bahte obahte
hahaha wah bahut khoob...:-)
जवाब देंहटाएंAayojanon par teekha prahar wo bhi hansaate hansaate....
ओह!
जवाब देंहटाएंखूब रची है आपने यह कविता
सीने में ठंडक लाने के लिए.
बहुत सही कहा है वंदना जी :-)
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