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शनिवार, 23 जून 2012

बस कहानियों की खुरचन बच जाती है





अकाल

जिसमे नही कोई काल

काल तो खुद

काल कवलित हो गया

सिर्फ़ एक दृश्य

बाकी रहता है

जो मूँह जोये 
खडा रहता है
और अपनी बरबादी पर
खुद ही अट्टहास करता है
कल तक जहाँ दरिया बहा करते थे
आज वहाँ एक बूँ द पानी 
भी खुद को ना देख पाता है
छातियाँ धरती की ही नही फ़टतीं
हर छाती पर इतनी गहरी दरारें
उभर आती हैं जिसमे
सागर का पानी भी कम पड जाता है
आकाश की आग तो धरती सह लेती है
पर उस आग की तपिश ना सह पाती है
जिसमे मासूम ज़िन्दगियां झुलस जाती हैं
फ़ाकों पर इंसान तो रह लेता है
पर बेजुबान जानवरों की तो जान पर बन आती है

वक्त की तपती आँच पर जलते
बेजुबानों की सिसकती आवाज़
बिल से बाहर रेंगने लगती है

ना धरती पर जगह मिलती है

ना आकाश ही हमदर्दी दिखाता है

घर ,आँगन ,नदी ,तालाब ,पोखर
कच्ची- पक्की पगडंडियाँ
सूखे झाड- खंखाड 
उजाड बियाबान बस्ती 
बिना किसी आस के
शमशान मे तब्दील हो जाती हैं
एक जलता रेगिस्तान 
बाँह पसारे सबको 
स्वंय मे समाहित कर लेता है

हर चूल्हे की आग तो जैसे

हवाओं मे बिखर जाती है

तवों की ठंडक हड्डियों मे उतर आती है

और लाशों मे तब्दील हो जाती है

उस अकाल मे काल भी झुलस जाता है

सिर्फ़ राख का ढेर ही नज़र आता है
बस कहानियों की खुरचन बच जाती है
धरती का सीना उधेडती हुयी
किसी तश्तरी मे भोज सामग्री उँडेलती हुयी
अकाल का ग्रास बनती हुयी …………




21 टिप्‍पणियां:

  1. भावमय करते शब्‍दों का संगम .. उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  2. vastvikta ka darpan ....bahut acchi prastuti vandana jee ....mera blog aapke intjaar me hai...

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  3. आपके शीर्षक अनायास ही मन मोह लेते है ....बहुत खूब।

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  4. खुरचन ही शेष है .... कहानियाँ ढूँढने को

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  5. जीवंत दृश्य दिखा दिया है अकाल का ... संवेदनशील प्रस्तुति

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  6. pidito ki dasha unake manobhav ko shabd de diye hai apne..
    gahan bhav liye behtarin post...
    :-)

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  7. Bohot hi sundar likha h. . . har pal rang bdalti bus yahi zindagi h... yadein hi hoti h jo hmesha sath rehti h.... :)

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  8. excellent expression and full of emotions with true and deep feelings.

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  9. अकाल की विभीषिका साकार हो रही है !

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  10. बारिश की शुरूआत में ही अकाल का खयाल! शुभ शुभ लिखना पड़ेगा, डर लगता है।

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  11. बस कहानियों की खुरचन बच जाती है,

    क्या बात है बहुत सुंदर चिंतन. खूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  12. बहुत ही सटीक वर्णन किया है, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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